गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

दीपावली पूजन कैसे करें----1

दीपावली पूजन कैसे करें----
कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की कार्तिक अमास्या, दिन बुधवार, चित्रा नक्षत्रकालीन में वर्ष 2011 की दीपावली का पूजन किया जाएगा. बुधवार की रात्रि को 18-46 से 2042 तक वृष लग्न तथा सिह लग्न मे श्री महालक्ष्मी का पूजन व दीपावली का शुभ पर्व इस दिन प्रदोष काल से मध्य रात्रि तक श्री लक्ष्मी नारायण का पूजन, कुबेर पूजन, दीप पूजन कर घर में दीप जलाकर मंत्र -जप, तप, ध्यान आदि कार्य कर्ने से अनेक गुणा पुन्यफल प्राप्त होते है.

प्रातः स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब निम्न संकल्प से दिनभर उपवास रहें- मम सर्वापच्छांतिपूर्वकदीर्घायुष्यबलपुष्टिनैरुज्यादि- सकलशुभफल प्राप्त्यर्थं गजतुरगरथराज्यैश्वर्यादिसकलसम्पदामुत्तरोत्तराभिवृद्ध्‌यर्थं इंद्रकुबेरसहितश्रीलक्ष्मीपूजनं करिष्ये। संध्या के समय पुनः स्नान करें। लक्ष्मीजी के स्वागत की तैयारी में घर की सफाई करके दीवार को चूने अथवा गेरू से पोतकर लक्ष्मीजी का चित्र बनाएं। (लक्ष्मीजी का छायाचित्र भी लगाया जा सकता है।)

भोजन में स्वादिष्ट व्यंजन, कदली फल, पापड़ तथा अनेक प्रकार की मिठाइयाँ बनाएं। लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर मौली बाँधें। इस पर गणेशजी की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें। फिर गणेशजी को तिलक कर पूजा करें। अब चौकी पर छः चौमुखे व 26 छोटे दीपक रखें। इनमें तेल-बत्ती डालकर जलाएं। फिर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से विधिवत पूजन करें। पूजा पहले पुरुष तथा बाद में स्त्रियां करें। पूजा के बाद एक-एक दीपक घर के कोनों में जलाकर रखें। एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर निम्न मंत्र से लक्ष्मीजी का पूजन करें- नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरेः प्रिया। या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां सा मे भूयात्वदर्चनात॥ इस मंत्र से इंद्र का ध्यान करें- ऐरावतसमारूढो वज्रहस्तो महाबलः। शतयज्ञाधिपो देवस्तमा इंद्राय ते नमः॥ इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करें- धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भवंतु त्वत्प्रसादान्मे धनधान्यादिसम्पदः॥ इस पूजन के पश्चात तिजोरी में गणेशजी तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजा करें। तत्पश्चात इच्छानुसार घर की बहू-बेटियों को आशीष और उपहार दें। लक्ष्मी पूजन रात के बारह बजे करने का विशेष महत्व है। इसके लिए एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेशजी की मूर्ति रखें। समीप ही एक सौ एक रुपए, सवा सेर चावल, गुढ़, चार केले, मूली, हरी ग्वार की फली तथा पाँच लड्डू रखकर लक्ष्मी-गणेश का पूजन करें। उन्हें लड्डुओं से भोग लगाएँ। दीपकों का काजल सभी स्त्री-पुरुष आँखों में लगाएं। फिर रात्रि जागरण कर गोपाल सहस्रनाम पाठ करें। इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाएँ नहीं। बड़े-बुजुर्गों के चरणों की वंदना करें। व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें। रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरान्त चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल्ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) पर कंकू से तिलक करें। (हालांकि आजकल घरों मे ये सभी चीजें मौजूद नहीं है लेकिन भारत के गाँवों में और छोटे कस्बों में आज भी इन सभी चीजों का विशेष महत्व है क्योंकि जीवन और भोजन का आधार ये ही हैं) दूसरे दिन प्रातःकाल चार बजे उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर उसे दूर फेंकने के लिए ले जाते समय कहें 'लक्ष्मी-लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिद्र जाओ'। लक्ष्मी पूजन के बाद अपने घर के तुलसी के गमले में, पौधों के गमलों में घर के आसपास मौजूद पेड़ के पास दीपक रखें और अपने पड़ोसियों के घर भी दीपक रखकर आएं।

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