शनि अमावस्या पर उपाय
श्याम रंग के शनिदेव : शनिदेव का रंग श्यामवर्ण है और अमावस्या की रात्रि भी काली होती है। दोनों के ही गुणधर्म एक समान हैं। इसलिए शनिदेव को अमावस्या अधिक प्रिय है। पूर्वकाल से ही अमावस्या के दिन पर शनिदेव का पूजन सातवीक, तांत्रिक विशेष रूप से करते चले आ रहे हैं। शनि की कृपा का पात्र बनने के लिए शनिश्चरी अमावस्या को सभी जातक विधिवत आराधना करें। भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय रहती है। 21 अप्रैल 2012 को शनिवार के दिन शनिश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है 21 अप्रैल 2012 को शनिवारी अमावस्या होने से खप्पर योग व शनि-गुरु का समसप्तक योग ठीक नहीं है सत्ता पक्ष के लिए संकट की घड़ी का योग बन रहे है। कई अप्रत्याशित घटना के योग बनेगे। देश और विदेश में वायू यान दुर्घटना, आतंकवाद से जन धन की हानि, अपराधों में वृद्धि, अराजकता जैसे वातावरण के योग बन रहे है।
शनिश्चरी अमावस्या 21 अप्रैल 2012 के दिन प्रात:७ बजकर ३० मिनट से ९ बजे तक शनिअभिषेक प्रारम्भ होना चाहिये उसके पश्चात शाम को ६ बजकर ३० मिनट से प्रारम्भ हो कर अद्वरात्री तक शनिअभिषेक किया जाना चाहिये
  • श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें- ह्रीं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। ह्रीं बीजमय, नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
  • शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है ‘ शनि मंत्र –ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
  • शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र ( ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:)
  • श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
  •  इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
  •  शनिश्चरी अमावस्या को सुबह या शाम शनि चालीसा का पाठ या हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
  • . पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज और सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
  • घर में प्रात:काल व सायंकाल दीप, धूप जरूर जलाएं और 'ॐ नम: शिवाय:' के पाठ का उच्चारण करें। सायंकाल में शनिदेव मंत्र  'ॐ
    प्रां  प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:' का यथाशक्ति जाप करें।
  • तुला राशि में शनिदेव उच्च के होते हैं। तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। शनिदेव, शुक्र आपस में मित्र हैं। शुक्र जल तत्व ग्रह है और शुक्र को दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से संबंध जोड़ा जाता है। साढ़ेसाती आरंभ होने पर ऐसे व्यक्तियों को स्वास्थ्य व मानसिक परेशानियां बढ़ जाती हैं। इसके लिए मछलियों को आटे की छोटी-छोटी गोली बनाकर खिलायें या रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े डालें।
  • प्रत्येक शनिवार का व्रत रखें और लोहे के बर्तन में श्रध्दानुसार  सरसों का तेल भरकर उसमें अपना मुंह देखकर उसे किसी शनिदेव के मंदिर में दान करें व तेल से बनी वस्तुएं खिलाएं। शुक्र सजने-संवरने आदि का द्योतक होता है। इसलिए अपना पहना हुआ अच्छा साफ-सुथरा कपड़ा किसी जरूरतमंद को भोजन कराने के बाद दान करें।
  • व्यवसाय संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए शनिदेव की प्रतिमा का सोमवार, मंगलवार व शनिवार को सरसों के तेल से अभिषेक  करें उक्त पौराणिक मंत्र का 108 बार जाप वहीं बैठकर करें।
    नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
    छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
  • शुक्र ग्रह के देवता लक्ष्मी जी हैं। इसलिए व्यवसाय में यदि ज्यादा परेशानी आ रही हो तो लक्ष्मी नारायण भगवान को मुकुट सहित पोशाक चढ़ाएं और दशरथकृत शनिदेव के स्तोत्र का पाठ करें। यदि संबंधित जातक के पूर्वकृत अशुभ कर्मों के फलस्वरूप सप्तम स्थान में अनिष्टकारी शनिदेव हो और ऐसा जातक मदिरा पान करता हो तथा अपने कर्मों के प्रति लापरवाह हो तो वह अविलंब अपने कर्मों में सुधार लायें व मदिरापान तुरंत छोड़ दें, अन्यथा उसे कष्ट प्राप्ति से कोई भी रोक नहीं सकेगा। इन्हें शनिदेव वैदिक मंत्र का जाप दो माला सुबह शाम अवश्य करना चाहिए।
  • शुक्रवार की रात सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो कर रख दें। शनिवार की सुबह नहाकर साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसौं के तेल में छौंककर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से ऊतारकर किसी सुनसान स्थान पर रख आएं। इस टोटके को करने से शनिदेव के प्रकोप में अवश्य कमी होगी।
  • शनिश्चरी अमावस्या के दिन लोहे की कटोरी में तेल भरें, इसके बाद उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद इस तेल को किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान में दे दें। यह उपाय इस अमावस्या से शुरू करके प्रति शनिवार करना चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव जल्दी प्रसन्न होते हैं।
  • प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683