सोमवार, 28 दिसंबर 2009

चंद्र ग्रहण आठ राशियों के जातकों पर भारी रहेगा, बाकी के लिये सामान्य है।

चंद्र ग्रहण आठ राशियों के जातकों पर भारी रहेगा, बाकी के लिये सामान्य है।

लगभग एक घंटे का यह ग्रहण यहां आंशिक रूप से दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण 31 दिसंबर-एक जनवरी की रात्रि 00.22 बजे से शुरू होगा। 00.53 बजे ग्रहण का मध्यकाल होगा, जबकि रात्रि 1.24 बजे समाप्त हो जायेगा। ग्रहण का समय एक घंटे से कुछ ज्यादा रहेगा। यह चंद्र ग्रहण पौष पूर्णिमा के दिन आद्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में पड़ रहा है। मेरठ सहित उत्तर भारत में यह आंशिक रूप में दिखाई देगा। मेष, सिंह, कन्या, मकर राशियों के लिये ग्रहण सामान्य है, जबकि बाकी आठ राशियों के लिये कष्टप्रद हो सकता है। पौष मास की पूर्णिमा की रात्रि में खंडग्रास (आंशिक) चंद्रग्रहण संपूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देगा। चंद्रमा को ग्रहण के ग्रास का स्पर्श (ग्रहण का प्रारंभ) 31 दिसंबर बीत जाने के बाद 1 जनवरी की मध्यरात्रि 12.22 बजे (भारतीय समयानुसार 0.22 बजे) होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात्रि 12.53 बजे (भारतीय समयानुसार 0.53 बजे) होगा। इस समय चंद्रबिंब का 8.2 प्रतिशत भाग ग्रास से ग्रसित हुआ दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष (समापन) रात्रि 1.24 बजे होगा। चंद्रग्रहण का सूतक (वेध) इस खंडग्रास चंद्रग्रहण का सूतक स्पर्श (ग्रहण के प्रारंभ) के समय से 9 घंटे पूर्व शुरू होगा, अर्थात गुरुवार 31 दिसंबर को दोपहर 3.22 बजे से ग्रहण का सूतक लगेगा। ग्रहण के सूतक काल में भोजन-शयन, हास्य-विनोद, रतिक्रीड़ा, देवमूर्ति का स्पर्श, तेल-मालिश वर्जित है। लेकिन बालक, रोगी, वृद्ध और अशक्त सायं 7.52 बजे तक आहार और औषधि ग्रहण कर सकते हैं। मान्यता है कि कुश के स्पर्श से पदार्थ ग्रहण काल में दूषित नहीं होते हैं। गुरुवार 31 दिसंबर को दोपहर 3.22 बजे सूतक लगते ही मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे, जो दूसरे दिन शुक्रवार 1 जनवरी को खुलेंगे। चंद्रग्रहण का प्रभाव यह चंद्रग्रहण मिथुन राशि के अंतर्गत आद्र्रा नक्षत्र में पड़ेगा। भारतीय ज्योतिष के अनुसार विविध राशियों पर इस ग्रहण का फल निम्न प्रकार होगा- 1. मेष- समृद्धि 2. वृषभ- हानि, 3. मिथुन- आघात, 4. कर्क- क्षति, 5. सिंह- लाभ, 6. कन्या- सुख, 7. तुला- अपमान, 8. वृश्चिक- संकट, 9. धनु- जीवनसाथी को कष्ट, 10. मकर- आनंद, 11. कुंभ- चिंता, 12. मीन- तनाव।

यह ग्रहण राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों, उच्च पदाधिकारियों, धर्मात्माओं, विद्वानों, कलाकारों के लिए अति कष्टदायक रहने की संभावना है। देश के यमुना तटीय क्षेत्र, पंजाब, बिहार, दक्षिण भारत और पाकिस्तान के सिंध पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा।

गेहूं, चना, तेल, गुड़, घी, तिलहन, तरल (रस) पदार्थ, सूत-कपास, सोना-चांदी, लोहा, हल्दी, सरसों, लाल मिर्च, मसूर, छुआरा, सुगंधित वस्तुओं और श्रृंगार के सामान के मूल्य में तेजी आएगी। महंगाई और अशांति बढ़ेगी। चंद्रग्रहण के दृश्यकाल (पर्वकाल) में साधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है। ग्रहण की समाप्ति पर शुद्धि-स्नान और दान अवश्य करना चाहिए। जिन राशियों में ग्रहण का फल शुभ नहीं है, उनसे संबंधित लोग ग्रहण न देखें।

ग्रहण के कारक पृथ्वी, सूर्य एवं चंद्रमा क्रमश: पृथ्वी तत्व, तेज तत्व तथा जल तत्व के पर्याय हैं। जितने समय तक सूर्य की किरणों चंद्रमा तक पहुंचने में बाधित होती हैं, वही अवधि ग्रहणकाल के रूप में जानी जाती है। इन पंचतत्वों में से तीन तत्व ग्रहण के प्रमुख कारक हैं तथा यह घटना अंतरिक्ष अर्थात आकाश में होती है जो वायु के कई रूपों को स्वयं में समाहित किए हुए है। इस आधार पर कह सकते हैं कि पांच तत्वों की उपस्थिति में ग्रहण जैसी महत्वपूर्ण घटना घटित होती है। ग्रहण का प्रभाव भी सभी चर-अचर पर होना स्वाभाविक है।

जिस प्रकार सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र (हरियाणा) का विशेष महत्व होता है, उसी तरह चंद्रग्रहण में काशी का सर्वाधिक महत्व होगा। ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा को जल का कारक ग्रह माना गया है और काशी में गंगा चंद्राकार स्वरूप में दिखाई देती हैं। इसीलिए चंद्रग्रहण का सबसे अधिक अध्यात्मिक लाभ काशी में ही संभव है। लेकिन किसी भी नदी- सरोवर में नाभि तक जल में खड़े होकर मंत्र-साधना की जा सकती है। इसी कारण भारतीय संस्कृति में ग्रहण को एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि अध्यात्मिक साधना का महापर्व माना जाता है। आगामी चंद्रग्रहण भारत में इसके बाद चंद्रग्रहण शनिवार 26 जून 2010 को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को पड़ेगा, लेकिन यह देश के केवल पूर्वोत्तर राज्यों में ही बहुत कम समय के लिए आंशिक रूप से दिखाई देगा। ग्रहण जहां दिखाई देता है, वहीं उसका सूतक (वेध) माना जाता है।

ग्रहण आद्र्रा नक्षत्र व मिथुन राशि में घटित हो रहा है। अत: जिस जातक का जन्म नक्षत्र आद्रा है या जिसका जन्मनाम क,,छ से प्रारंभ हो रहा है, उसके लिए यह ग्रहण शुभफल प्रदाता है।

सत्ता से जुड़े दल आपसी वैमनस्यता के शिकार होंगे। सत्तारूढ़ दल में मतमतांतर संभावित है। राजनैतिक दलों में आपसी मतमतांतर के फलस्वरूप मंत्रिमंडल में परिवर्तन संभावित है।

ग्रहण का जनसामान्य पर भी विशेष प्रभाव रहेगा। मानव शरीर में 72 प्रतिशत पानी है। इस कारण जनसामान्य की विचार श्रंखला एवं मन:स्थिति विशेष प्रभावित होगी। मानसिक बाधा से ग्रसित रोगियों में उन्माद की स्थिति रह सकती है। प्रसवा महिलाओं में ऑपरेशन की अधिकता हो सकती है।

क्या करें

मंत्रग्रहण, मंत्रदीक्षा, जप, उपासना, पाठ, हवन, मानसिक जाप, चिंतन।

क्या नहीं करें

भोजन, भोजन पकाना, शयन, मल-मूत्र उत्सर्जन, रतिक्रिया, उबटन।

चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

मेष- रुके हुए कार्य पूर्णता की ओर बढ़ेंगे। सुख की अनुभूति होगी। मन शुभ विचारों से ओतप्रोत रहेगा। ओम अश्विनी कुमाराय नम: मंत्र का जाप करें।

वृष- अनावश्यक प्रपंच में पड़ सकते हैं। कार्यो में व्यवधान व हानि संभव। यात्रा निर्थक हो सकती है। ओम चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप करें।

मिथुन- कार्यो में असफलता, शारीरिक कष्ट, वैमनस्यता, वाहन संचालन में सतर्कता, पारिवारिक विघटन। ओम दितिये नम: मंत्र का जाप करें।

कर्क- विनिमय में सतर्कता, उतावलापन हानिकारक, वाणी को पूर्ण संयत रखें, पारिवारिक सहयोग में कमी संभावित। ओम बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करें।

सिंह- यह ग्रहण आपके लिए शुभ है। व्यावसायिक लाभकारी अनुबंध होने की संभावना है। रुका धन प्राप्त हो सकता है। ओम अर्यमणो नम: मंत्र का जाप करें।

कन्या- उपयोगी समाचारों की प्राप्ति होगी। आमोद-प्रमोद में समय व्यतीत होगा। भवन या वाहन की समस्या का समाधान होगा। ओम आदित्याय नम: मंत्र का जाप करें।

तुला- कार्यो में अचानक व्यवधान संभावित है। अतिविश्वास आपकी प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है। ओम इंद्राय नम: मंत्र का जाप करें।

वृश्चिक- कई कार्य ऐसे होते हैं जो केवल सुनने-समझने के होते हैं। ऐसे में नए कार्यो को प्रारंभ करने का अभी समय नहीं है। ओम हों जुं स: महामंत्र का जाप करें।

धनु- खानपान का ध्यान रखें। साथी के स्वास्थ्य में गड़बड़ी हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय में अपेक्षित लाभ की संभावना है। ओम बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करें।

मकर- मिश्रित समय । नाकाऊ से दोस्ती नाकाऊ से बैर सिद्धांत का पालन करें। तटस्थ रहें, तेल में मुंह देखकर दान दें तथा ओम विष्णवे नम: महामंत्र का जाप करें।

कुंभ- शारीरिक श्रम की अधिकता होगी तथा वैचारिक उथल-पुथल के कारण कहीं बने बनाए कार्य लंबित ही रहेंगे। ओम वं वरुणाय नम: मंत्र का जाप करे

मीन- वैचारिक अस्थिरता बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में कुछ व्यवधान के पश्चात सफलता अर्जित करने में सफल होंगे। ओम पूष्णो नम: मंत्र का जाप करें।

यदि आप कुछ जानना चाहते है तो हमे मेल का सकते है। या फोन पर बात कर सकते है। मो--०९३५९१०९६८३---09808668008

शनिवार, 19 दिसंबर 2009

गुरू के राशि परिवर्तन का प्रभाव

गुरू के राशि परिवर्तन का प्रभाव
गुरू नवग्रहों में ऐसा ग्रह है जो धर्म-अध्यात्म, बुद्धि-विवेक, ज्ञान, विवाह, पति, संतान, पुत्र सुख, बड़े भाई का कारक माना जाता है. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी गुरू हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शरीर में वसा, पाचन क्रिया, कान, हृदय सहित लीवर को प्रभावित करता है. इन सभी विषयों में गुरू का प्रभाव आपको अपनी कुण्डली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार मिलता है।
20 दिसम्बर रात 12 बजकर 15 मिनट पर गुरू अपनी नीच राशि मकर से निकलकर कुम्भ राशि में प्रवेश कर गये हैं गुरू का कुम्भ राशि में गोचर सामान्य शुभ नहीं माना जाता है। गुरू का मंगल व शनि से षडाष्टक सम्बन्ध बन रहा है जो अशुभ फलदायक कहा गया है। इन ग्रहों का सीधा प्रभाप राष्ट ीय सुरक्षा व्यसस्था एवं सुधार कार्यो पर पड सकता है एवं आर्थिक क्षेत्र के लिए भी यह योग शुभ फलदायी नहीं है। इस राशि में गुरू लगभग पांच महीने यानी 1 मई 2010 तक रहेगा. इस दौरान आप भी गुरू को आशा भरी नजरों से देख सकते हैं अगर आप अविवाहित हैं और शादी करना चाहते या फिर आप संतान के इच्छुक हैं. अगर आप नौकरी-व्यवसाय में उन्नति की आशा रखते हैं अथवा किसी ऋण से मुक्ति की कोशिश कर रहे हैं तब भी गुरू के राशि परिवर्तन को उम्मीद भरी नजरों से देख सकते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि इन सभी विषयों में शुभ और अपेक्षित परिणाम आपको अपनी राशि के अनुरूप प्राप्त होगा।
दिनांक 21 दिसम्बर 2009 को प्रातः 5 बजकर 23 मिनट पर वृश्चिक राशि से शुक्र धुन राशि में राशि परिवर्तन करगें बुध, राहु सूर्य शुक्र चारों ग्रह धनु राशि में युति करेंगे शुक्र अस्त सूर्य के साथ होने के कारण सभी ग्रहों फलों को प्रभावित किया जा रहा है राहु सूर्य ग्रहण योग का निर्माण कर रहे हैं। शुक्र के अस्त होने के कारण फिल्म/मनोरजन उद्योग को बडा झटका लगने के प्रबल योग बन रहे हैं इस योग के कारण अभिनैय के क्षेत्र में जनहानि हो सकती है।
कहा गया है- सर्पान्वितः स तु खगः शुभदोऽपि कष्टं।
दुःखं दशान्तयसमयें कुरूते विशेषात्।।
जो ग्रह राहु के साथ बैठता है वह ग्रह चाहे शुभ हो परन्तु कष्टकारक होते हैं, राहु सर्प है यह अपना जहर (विष) अपने साथ बैठने वाले ग्रहों को प्रदान करता है।
मेष राशि वाले जातकों के लिए गुरू का यह गोचर अत्यंत शुभ फलदायी रहेगा इसका कारण यह है कि आपकी राशि से एकादश भाव में गुरू का गोचर कर रहा है. इस स्थिति के कारण आपको धन का लाभ मिलेगा जिससे आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. सुख-सुविधाओं एवं मान-सम्मान में भी बढ़ोतरी होगी. मित्रों से भी लाभ की अच्छी संभावना रहेगी. अगर इन दिनों आपके विवाह की बात चल रही है तो आपका विवाह हो सकता है. अगर विवाहित हैं और संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं तो आपकी इच्छा पूरी हो सकती है.
उपाय ---विष्णु की पूजा कर सकते हैं तथा गुरू मंत्र का जप कर सकते हैं इससे शुभ फलों में वृद्धि होगी.
वृष राशि---आपको धैर्य एवं समझदारी से चलने का प्रयास करना होगा क्योंकि आपके लिए यह समय संघर्षमय रह सकता है. आपके लिए उचित होगा कि अपनी वाणी पर नियंत्रण रखें और सभी को आदर दें. इससे आपका मान- सम्मान बना रहेगा. आर्थिक परेशानियां भी इन दिनों सिर उठा सकती हैं नये निवेश सोच समझ कर करें. नई योजना पर कार्य शुरू करने की सोच रहे हैं तो अभी उसे टाल देना उचित रहेगा क्योंकि, इस विषय में भी गुरू का इस समय आपकी जन्म राशि से दसवें घर में होना शुभ नहीं है।
उपाय ---गणेश जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए गुरू की उपसना से भी आपको लाभ मिल सकता है।
मिथुन राशि--शुभ फलदायी भाग्य में वृद्धि होगी. धर्म एवं आध्यात्मिक दृष्टि से समय उत्तम रहेगा जिससे घर में धार्मिक कार्य सम्पन्न होंगे. भाई एवं संतान पक्ष से सहयोग प्राप्त होगा. आप अपने प्रयासों से मन की कुछ इच्छाओं को पूर्ण कर सकते हैं. बीते दिनों जिन समस्याओं से आप परेशान थे उनमें कमी महसूस करगें।
उपाय---विष्णु की आराधाना एवं गुरूवार के दिन व्रत व पूजा भी कर सकते हैं यह भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा.
कर्क राशि ---आपको अपनी वाणी के साथ ही साथ क्रोध पर भी नियंत्रण रखना होगा अन्यथा घर-परिवार में जहां मुश्किलो का सामना करना पड़ सकता है कार्यक्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ सकता है. मान-सम्मान की हानि आपकी जन्म राशि से आठवें घर में गुरू का गोचर होना स्वास्थ्य के लिए कष्टकारी रह सकता है. ऐसे में, आपके लिए उचित होगा कि अपनी सेहत का ध्यान रखें तथा अनावश्यक भाग-दौड़ से बचें।
उपाय---गुरूवार के दिन नवग्रह सूक्त का पाठ करना चाहिए. गुरूवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा गाय के घी का दीपक जलकर करनी चाहिए
सिंह राशि---आजीविका के क्षेत्र में सभी प्रकार की परेशानियां धीरे-धीरे कम होती जाएंगी और कामयाबी का रास्ता खुलेगा. आर्थिक परेशानियों भी दूर होंगी और आपने किसी से लोन लिया है तो उसे चुका देंगे. पारिवारिक समस्याएं भी बात-चीत व समझदारी से सुलझ सकती हैं। विवाह के इच्छुक हैं और घर में विवाह सम्बन्धी बात-चीत चल रही है तो इस अवधि में आपकी शादी होने की संभावना प्रबल है. सगे-सम्बन्धियों से सहयोग प्राप्त करना आसान होगा.
उपाय ---गुरू की शुभता का पूरा लाभ उठाने के लिए गायत्री मंत्र का जप करें,।
कन्या राशि---धैर्य एवं परिश्रम से कार्य करना उचित होगा राशि से छठे घर गुरू में है. इस गोचर के प्रभाव के कारण आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है विशेष तौर पर पेट व त्वचा समबन्धी रोग आपके लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं. आप अगर किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सम्मिलित हो रहे हैं तो काफी मेहनत करनी होगी अन्यथा सफलता मिलना कठिन होगा. दाम्पत्य जीवन में भी समस्याएं उत्पन्न होंगी.
उपाय ---साई बाबा एवं गुरू की पूजा भी लाभकारी रहेगी.
तुला राशि---गुरू जन्म राशि से पांचवें घर में होना शुभ फलदायी रहेगा. गुरू के प्रभाव के कारण आपको भाग्य का सहयोग प्राप्त होगा. कई प्रकार की उलझनों को सुलझानें में सफल होंगे. नौकरी एवं व्यवसाय में लाभ की अच्छी संभावना रहेगी. कई नये कार्य भी इस अवधि में पूरे होंगे. आप चाहें तो इस समय निवेश भी कर सकते हैं. विवाह एवं संतान प्राप्ति के लिए भी गुरू का कुम्भ राशि में गोचर करना शुभ रहेगा.
उपाय -- गुरू के मंत्रों का जाप करें।
वृश्चिक राशि ---आपको कई प्रकार की परेशानियों से राहत मिलेगी परंतु मानसिक चिंताएं बढ़ेंगी. इस दौरान आप स्थान परिवर्तन कर सकते हैं अथवा नौकरी एवं व्यवसाय में बदलाव कर सकते हैं. कार्य क्षेत्र में सहकर्मियों से विवाद हो सकता है इसी प्रकार भाई-बंधुओं से भी मतभेद की स्थिति रह सकती है. आपकी मॉ को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है चिकित्सक से परामर्श करना श्रेयकर होगा. आपके लिए सलाह है कि धैर्य व परिश्रम से अपने कार्य पर ध्यान दें.।
उपाय --गुरू की पूजा करें तथा गायत्री मंत्र का जाप प्रतिदिन एक माला करें।
धनु राशि--आपकी जन्म राशि से तीसरे घर में गुरू होगे जिससे भाई-बहनों से मतभेद हो सकता है. सगे-सम्बन्धियों से भी किसी बात को लेकर मतांतर रह सकता है. इन दिनों आप शारीरिक थकान महसूस कर सकते हैं. आर्थिक स्थिति में अनुकूलता बनाये रखने के लिए तथा सम्मान प्राप्ति हेतु आपको अपने कार्य व्यवसाय पर मनोयोग से ध्यान देना होगा. आपके लिए सलाह है कि गुरू के इस गोचर की अवधि में लम्बी यात्रों से बचें.
उपाय --- केले के पेड पर घी का दीपक जलायें तथा जल दें हल्दी डालकर।
मकर राशि --आपकी जन्म राशि से दूसरे घर में गुरू का गोचर होना आपके लिए सुखद होगा. गुरू के इस गोचर के प्रभाव से धन का लाभ होगा. यह आपके आत्मविश्वास को भी बढ़ायेगा तथा व्यवहार में भी बदलाव महसूस करेंगे. आप अगर विवाह के योग्य हैं तो आपकी शादी हो सकती है. संतान के इच्छुक हैं तो आपकी इच्छा पूरी होगी. छात्रों को शिक्षा में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे.
उपाय ---भगवान विष्णु की आराधाना एवं गुरूवार के दिन व्रत व पूजा भी कर सकते हैं यह भी आपके लिए लाभप्रद रहेगा.
कुम्भ राशि --प्रथम भाव में गुरू के होने के कारण आपको उन बातों से बचना चाहिए जिससे सम्मान की हानि हो सकती है. गुरू का यह गोचर कार्य क्षेत्र में अनचाहे स्थान पर स्थानांतरण करवा सकता है. कार्यों में संतुष्टि की कमी रह सकती है. आपके कार्य विलम्ब से पूरे होंगे तथा आपके कार्य को कम सराहा जा सकता है. इसके अलावा मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलने से मन असंतुष्ट रह सकता है.
उपाय----गायत्री मंत्र का जप करें, सूर्य नमस्कार करें. गुरू ग्रह की पूजा एवं उपासना से फायदा होगा तथा गुरूवार के केले पेड को जल दें।
मीन राशि--बारहवें घर में गुरू का अशुभ कहलाता है. गुरू के इस गोचर के प्रभाव के कारण आपके घर में कई मांगलिक कार्य भी हो सकते हैं जिससे आपके व्यय बढ़ेंगे. इससे आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. मित्रों द्वारा लगाये गये आरोप से मन दुरूखी रह सकता है. परिवर में जीवनसाथी एवं संतान से मतभेद हो सकता है. कोई पुराना रोग उभर सकता है.
उपाय----गायत्री मंत्र का जप करें, सूर्य नमस्कार करें. गुरू ग्रह की पूजा एवं उपासना से फायदा होगा तथा गुरूवार के केले पेड को जल दें।
जिन व्यक्तियों कि कुण्डली में गुरू 6,8 ,12 स्थानों पर है उन्हें गुरू महाराज की प्रतिदिन आराधना करनी चाहिए माथे पर हल्दी या केसर को गाय के दूध में मिला कर मस्तक पर लगाना चाहिए।
पं0 राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य भृगु ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र सदर मेरठ कैंट

शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है

कर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। कर्म अर्थात् सद्कर्म, दीन दुखी, असहाय जीव की सेवा ही ईश्वर की सर्वोत्कृष्ट उपासना है। जो व्यक्ति एक ओर प्राणियों पर अत्याचार करे, उनको सताए तथा बेईमानी, झूँठ चोर बाजारी को अपनाए तथा दूसरी ओर तिलक लगाकर घन्टों ईश्वर का भजन करे, वह लेखक की दृष्टि में सबसे अधम पापी है। निर्दोष असहाय को पीड़ा पहुँचाना, लेखक की दृष्टि में अधर्म है।
जो व्यक्ति तन, मन, धन से, सच्चे हृदय से असहाय, दीन व दुखियों की सहायता करता है, उनका उप्रकार करता है, उससे बढ़कर पुण्यात्मा कोई नहीं और न ही सद्कर्म अर्थात् “परोप्रकार से बढ़कर कोई धर्म नहीं।”
-‘मनु’ ने ‘मनुस्मृति’ में लिखा है -
“सर्वभूतेषु चात्मान सर्वभूतानि चात्मनि।
संग पश्यन्नात्मयाजी स्वराज्यमधि गच्छति।।”
जो सब प्राणियों में स्वयं को तथा अपने में सबको देखता है तथा दूसरों के लिए स्वार्थ त्याग करता है वह स्वयं पर, अपनी इच्छाओं पर अधिकार प्राप्त कर लेता है।

शनिवार, 5 दिसंबर 2009

सुख दु:ख का निर्घारण ईश्वर कुण्डली में ग्रहों स्थिति के आधार पर करता है

हम जैसा कर्म करते हैं उसी के अनुरूप हमें ईश्वर सुख दु: देता है। सुख दु: का निर्घारण ईश्वर कुण्डली में ग्रहों स्थिति के आधार पर करता है। जिस व्यक्ति का जन्म शुभ समय में होता है उसे जीवन में अच्छे फल मिलते हैं और जिनका अशुभ समय में उसे कटु फल मिलते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह शुभ समय क्या है और अशुभ समय किसे कहते हैं।अमावस्या में जन्म,संक्रान्ति में जन्म ,भद्रा काल में जन्म,कृष्ण चतुर्दशी में जन्म,समान जन्म नक्षत्र,सूर्य और चन्द्र ग्रहण में जन्म,सर्पशीर्ष में जन्म,गण्डान्त योग में जन्म ,त्रिखल दोष में जन्म,मूल में जन्म दोष,ज्योतिषशास्त्र में इन दोषों के अलावा कई अन्य योग और हैं जिनमें जन्म होने पर अशुभ माना जाता है इनमें से कुछ हैं यमघण्ट योग, वैधृति या व्यतिपात योग एव दग्धादि योग हें। इन योगों में अगर जन्म होता है तो इसकी शांति अवश्य करानी चाहिए।