मंगलवार, 27 सितंबर 2011

नवरात्रके अवसर पर करे नौ ग्रहो के उपाय

नवरात्रके अवसर पर करे नौ ग्रहो के उपाय
सूर्य: यदि आपकी जन्म पत्रिका में सूर्य अच्छे फल नही दे रहा है, तो नवरात्र में आपको महात्रिपुरसुंछरी और कूष्माण्डा देवी की उपासना करनी होगी और मन्त्र ‘ऐं क्लीं सौः’ का जप नवरात्र में करना आपको लाभ दायक होगा। बालत्रिपुरसुन्दी तथा कूष्माण्डा देवी का विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र रखकर उनका नित्य पूजन करें ने कृष्टो मे कमी आयेगी, मन्त्र की नित्य 9 माला करे।
चन्द्रमा: जन्मपत्रिका में यदि चन्द्रमा अच्छे फल नही दे रहा है, तो व्यक्ति को माँ लक्ष्मी और शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। इन नवरात्र में प्रथम दिन से ही दोनों देवियों के चित्र, के सामने अथवा यन्त्र को सामने रखकर सर्वप्रथम उनकी पूजा-उपासना करें। तत्पष्चात् ‘ऊँ नमः कमलवासिन्यै स्वाहा’ मन्त्र का नवरात्रपर्यन्त नित्य 9 मालाओं का जप करें।
मंगल: यदि आपकी जन्मपत्रिका में मंगल अच्छे फल नही दे रहा है, तो इन नवरात्र में स्कन्दमाता और मातंगी देवी की पूजा-उपासना करनी चाहिए। प्रथम नवरात्र से ही दोनों देवियों के विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र को स्थापित करके उनकी पूजा-उपासना करनी चाहिए। तत्पष्चात ‘ऊँ हीं क्लीं हं मातंग्यै फट् स्वाहा’ मन्त्र की नवरात्रपर्यन्त 9 मालाओं का जप करें।
बुध: यदि जन्मपत्रिका में बुध अच्छे फल नही दे रहा है, और समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, तो इस नवरात्र में महातारा और ब्रह्मचारिणी देवी के विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र को स्थापित कर नवरात्रपर्यन्त नित्य उनका पूजन अर्चन करें और ‘ऊँ हीं त्रीं हुं फट्’ मन्त्र का नवरात्रपर्यन्त नित्य 9 मालाओं का जप करें।
गुरू: यदि आपकी जन्मपत्रिका में गुरू अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है तो उसे अनुकूल बनाने के लिए नवरात्र में नित्य माँ बगलामुखी और माँ चन्द्रघण्टा के चित्र अथवा यन्त्र का पूजन करें। मन्त्र की नित्य 9 मालाओं का नवरात्र पर्यन्त जप करें।
शुक्र: यदि आपकी जन्मपत्रिका में शुक्र अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है तो उसे अनुकूल बनाने के लिए इन नवरात्रों में माँ भुवनेष्वरी और महागौरी के चित्र अथवा यन्त्र की स्थापना कर नित्य उनका पूजन-अर्चन करें और नित्य 9 मालाओं का जप करें।
शनि: यदि आपकी जन्मपत्रिका में शनि अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है तो नवरात्र में महाकाली और कालरात्रि की उपासना करना श्रेष्ठ होगा। इस हेतु इनके विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र का नवरात्र पर्यन्त नित्य पूजन-अर्चन करें और ‘ऊँ हृौ काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा’ मन्त्र की नित्य 9 मालाओं का जप करें।
राहू: यदि आपकी जन्मपत्रिका अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है और आपको पीड़ित कर रहा हो, तो उसे अनुकूल बनाने के लिए माँ छिन्नमस्ता और माँ कात्यायिनी की नित्य पूजा-उपासना करली चाहिए। इस हेतु नवरात्र में प्रथम दिन से ही पूजा स्थान में उनके विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र की स्थापना कर नित्य उनका पूजन करें। मन्त्र की 9 मालाओं का जप नवरात्र पर्यन्त करें।
केतु: जन्मपत्रिका में केतु अशुभफलकारी हो, अच्छे फल नही दे रहा है और उसे अनुकूल बनाने के लिए नवरात्र में त्रिपुर भैरवी और सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना उनके विग्रह, चित्र अथवा यन्त्र की स्थापना कर नवरात्र पर्यन्त नित्य करनी चाहिए। साथ ही ‘हसैं हसकरीं हसैं’ मन्त्र का नवरात्र पर्यन्त नित्य 9 मालाओं का जप करना चाहिए।
शारदीय नवरात्र 28 सितम्बर से 05 अक्टूबर, 2011 तक रहेंगे। 28 सितम्बर, बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र 13.38 तक है। तत्पश्चात चित्रा प्रारम्भ होगा, जो घटस्थापना में वर्जित माना जाता है। बुधवार होने के कारण अभिजित भी वर्जित है। इसलिए इस दिन घटस्थापना सूर्योदय के पश्चात द्विस्वभाव लग्न कन्या में ही करना श्रेष्ठ है। घटस्थापना मुहूर्त मेरठ प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 44 तक

प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 24 सितंबर 2011

नवरात्र 28 सितम्बर से 05 अक्टूबर, 2011 तक

नवरात्र 28 सितम्बर से 05 अक्टूबर, 2011 तक
शारदीय नवरात्र 28 सितम्बर से 05 अक्टूबर, 2011 तक रहेंगे। 28 सितम्बर, बुधवार के दिन हस्त नक्षत्र 13.38 तक है। तत्पश्चात चित्रा प्रारम्भ होगा, जो घटस्थापना में वर्जित माना जाता है। बुधवार होने के कारण अभिजित भी वर्जित है। इसलिए इस दिन घटस्थापना सूर्योदय के पश्चात द्विस्वभाव लग्न कन्या में ही करना श्रेष्ठ है।
इनके दर्शन मात्र से सभी अभीष्ट पूरे होते है. शक्ति के महत्व के कारण ही भारत में अनेक शक्तिपीठ हैं. शक्तिपीठों की संख्या के संबंध में भिन्न-भिन्न मत हैं, लेकिन 'तंत्रचूड़ामणि' ग्रंथ के अनुसार, ऐसे 51 शक्तिपीठ हैं. इनमें कुछ प्रमुख के नाम हैं-ज्वालामुखी, कामाख्या, त्रिपुरसुंदरी, वाराही, काली, अंबिका, भ्रामरी, ललिता आदि।
घटस्थापना मुहूर्त मेरठ प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 44 तक
नई दिल्ली प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 44 मिनट तक
मुंबई प्रातः 06 बजकर 32 मिनट से 07 बजकर 54 मिनट तक
कोलकाता प्रातः 05 बजकर 30 मिनट से 06 बजकर 56 मिनट तक
चेन्नाई प्रातः 06 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक
जयपुर प्रातः 06 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 48 मिनट तक
जाधपुर प्रातः 06 बजकर 32 से मिनट 07 बजकर 59 मिनट तक
चण्डीगढ़ प्रातः 06 बजकर 18 से मिनट 07 बजकर 48 मिनट तक
लखनऊ प्रातः 06 बजकर 01 से मिनट 07 बजकर 28 मिनट तक
वाराणसी प्रातः 05 बजकर 52 से मिनट 07 बजकर 18 मिनट तक
पटना प्रातः 05 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 10 मिनट तक
गुवाहाटी प्रातः 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक
भुवनेश्वर प्रातः 06 बजकर 40 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक
रायपुर प्रातः 05 बजकर 57 मिनट से 07 बजकर 21 मिनट तक
हैदराबाद प्रातः 06 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक
बेंगलूरु प्रातः 06 बजकर 12 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक
नागपुर प्रातः 06 बजकर 07 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक
अहमदाबाद प्रातः 06 बजकर 34 मिनट से 07 बजकर 58 मिनट तक
भोपाल प्रातः 06 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
व्यक्ति शक्ति पीठों के दर्शन के लिये नहीं जा पाते है, उन्हें घर में ही इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लेना चाहिए. सामान्य दिनों में भी कई लोग इसका पाठ कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं. ब्रह्म देव को पिता स्वरुप माना गया है. सभी देवों में उन्हें अधिक महत्व दिया गया है. परन्तु शक्ति पूजा को ब्रह्मा से भी श्रेष्ठतर माना गया है. वह सृष्टि के निर्माण, पालन या संहार का कारण नहीं है. यह सब ब्रह्म की शक्ति द्वारा ही संपन्न होता है. इसीलिए शक्ति पीठ सदा भक्तों से भरे रहते है.
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

नवरात्र 28 सितम्बर से 05 अक्टूबर, 2011 तक

शारदीय नवरात्र 28 सितम्बर से 05 अक्टूबर, 2011 तक रहेंगे। 28 सितम्बर, बुधवार के दिन हस्त नक्षत् 13.38 तक है। त्पश्चात चित्रा प्रारम्भ होगा, जो घटस्थापना में वर्जित माना जाता है। बुधवार होने के कारण अभिजित भी वर्जित है। इसलिए इस दिन घटस्थापना सूर्योदय के पश्चात द्विस्वभाव लग्न कन्या में ही करना श्रेष्ठ है।
इनके दर्शन मात्र से सभी अभीष्ट पूरे होते है. शक्ति के महत्व के कारण ही भारत में अनेक शक्तिपीठ हैं. शक्तिपीठों की संख्या के संबंध में भिन्न-भिन्न मत हैं, लेकिन 'तंत्रचूड़ामणि' ग्रंथ के अनुसार, ऐसे 51 शक्तिपीठ हैं. इनमें कुछ प्रमुख के नाम हैं-ज्वालामुखी, कामाख्या, त्रिपुरसुंदरी, वाराही, काली, अंबिका, भ्रामरी, ललिता आदि।
घटस्थापना मुहूर्त मेरठ प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 44 तक
नई दिल्ली प्रातः 06
बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 44 मिनट तक
मुंबई प्रातः 06 बजकर 32 मिनट से 07 बजकर 54 मिनट तक

कोलकाता प्रातः 05 बजकर 30 मिनट से 06 बजकर 56 मिनट तक

चेन्नाई प्रातः 06 बजकर 01 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक

जयपुर प्रातः 06 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 48 मिनट तक

जाधपुर
प्रातः 06 बजकर 32 से मिनट 07 बजकर 59 मिनट तक

चण्डीगढ़ प्रातः 06 बजकर 18 से मिनट 07 बजकर 48 मिनट तक

लखनऊ प्रातः 06 बजकर 01 से मिनट 07 बजकर 28 मिनट तक

वाराणसी प्रातः 05 बजकर 52 से मिनट 07 बजकर 18 मिनट तक

पटना प्रातः 05 बजकर 43 मिनट से 07 बजकर 10 मिनट तक
गुवाहाटी प्रातः 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक

भुवनेश्वर प्रातः 06 बजकर 40 मिनट से 07 बजकर 03 मिनट तक

रायपुर प्रातः 05 बजकर 57 मिनट से 07 बजकर 21 मिनट तक

हैदराबाद प्रातः 06 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक

बेंगलूरु प्रातः 06 बजकर 12 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक

नागपुर प्रातः 06 बजकर 07 मिनट से 07 बजकर 31 मिनट तक

अहमदाबाद प्रातः 06 बजकर 34 मिनट से 07 बजकर 58 मिनट तक

भोपाल प्रातः 06 बजकर 14 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
व्यक्ति शक्ति पीठों के दर्शन के लिये नहीं जा पाते है, उन्हें घर में ही इन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लेना चाहिए. सामान्य दिनों में भी कई लोग इसका पाठ कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं. ब्रह्म देव को पिता स्वरुप माना गया है. सभी देवों में उन्हें अधिक महत्व दिया गया है. परन्तु शक्ति पूजा को ब्रह्मा से भी श्रेष्ठतर माना गया है. वह सृष्टि के निर्माण, पालन या संहार का कारण नहीं है. यह सब ब्रह्म की शक्ति द्वारा ही संपन्न होता है. इसीलिए शक्ति पीठ सदा भक्तों से भरे रहते है.
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683