गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

30 को शनि पुष्य का मंगलकारी योग तीन दशक बाद अद्भुत योग: शनि पुष्य नक्षत्र

30 को शनि पुष्य का मंगलकारी योग तीन दशक बाद अद्भुत योग: शनि पुष्य नक्षत्र इस बार दिवाली से एक हफ्ते पहले 30 अक्टूबर,10 को पूर्ण शनि पुष्य नक्षत्र का मंगलकारी योग धनवर्षा करेगा और गृहस्थ जीवन में खुशहाली लाएगा, शनिवार को सप्तमी के साथ सुबह 7 बजे से ही अष्टमी भी शुरू हो जाएगी, जिससे कार्तिक माह का यह शनिवार सभी राशि के जातकों के लिए विशेष फलदायी रहेगा। यह शनिवार का है और इस दिन इस मुहूर्त में की जाने वाली खरीदारी सुख, शांति व समृद्धिकारक रहेगी। बात पुष्य नक्षत्र की नहीं, शनि-पुष्य योग की है। इस साल दिवाली से एक हफ्ते पहले यानी 30 अक्टूबर 2010 को पूर्ण शनि पुष्य नक्षत्र योग बन रहा है। ये बेहद दुर्लभ योग है।

शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। शनि एक क्रूर ग्रह है, साढ़ेसाती और ढैय्या में प्रभावित व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष शनिवार 30 अक्टूबर 2010 को विशेष योग शनि पुष्य नक्षत्र योग बन रहा है। यह शनि की कृपा दिलाने वाला योग है।

वैसे तो हर 27 दिन में पुष्य नक्षत्र का योग बनता है परंतु दीपावली पूर्व आने वाला पुष्य नक्षत्र सबसे अधिक शुभ माना जाता है। यह योग जिस वार को आता है, उसके अनुसार फल प्रदान करता है। इस वर्ष यह योग शनिवार को आ रहा है, जो कि शनि की कृपा बरसाएगा। इस दिन शनि दोष से पीडि़त लोगों को शनि की पूजा करनी चाहिए और शनि संबंधी दान करने से कई परेशानियों से निजात मिलेगी।

शनि पुष्य नक्षत्र का योग पूर्व में सन् 1980 में आया था। इस वर्ष 30 अक्टूबर का दिन शनि से संबंधित कार्य करने वाले लोगों को विशेष लाभ प्राप्त होगा। जो व्यक्ति टेक्नोलॉजी या आइटी क्षेत्र, वाहन, लौहा, मशीनरी, न्याय क्षेत्र से जुड़े हैं उन्हें शनि के विशेष आराधना करनी चाहिए। इस दिन शनि देव को तेल चढ़ाएं और हनुमान चालिसा का पाठ करें। ऐसा करने पर सभी राशि वालों को शनि की कृपा प्राप्त होगी। इस दिन भूमि-भवन के नए सौदे विशेष फायदा देने वाले होंगे।

इस पुष्य मुहूर्त में जमीन या फ्लेट खरीदना, गृहप्रवेश, सभी वाहन, लोहे के सामान या फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, मोबाइल, गारमेंट्स, बर्तन व सोने व चांदी के आभूषणों की खरीदी करना अतिशुभ रहेगा। इस दिन मुहूर्त के अनुसार सभी भौतिक सुविधाओं के सामानों की खरीदी की जा सकती है। वैसे आमतौर पर शनिवार को लोहा खरीदना शुभ नहीं माना जाता है, परन्तु इस दिन पूर्ण पुष्यनक्ष्त्र होने से सभी तरह के वाहनों और स्टील के सामानों की खरीद करना भी शुभ रहेगा। इस साल 3 नवंबर को धनतेरस से पहले शनि पुष्य पर खरीदी का एक और महायोग होने से शुभ योग है

12 राशियों पर शनि पुष्य याग का प्रभाव क्या रहेगा

मेष: पूरे दिन सर्वश्रेष्ठ व फलदायी, सफलता मिलेगी महत्वपूर्ण कार्यों में आ रहे विघ्न दूर होंगे।

वृष: मध्यमश्रेणी, मामूली अड़चन के बाद अचानक सुविधा मिलेगी। रूके हुऐ कार्य बनेगे अधिकारी वर्ग साथ देगा

मिथुन: मंगलकारी, धनलाभ का योग, नए संबंध बनेंगे। मकान-जमीन आदि खरीदने की संभावना है।

कर्क: जन्म से ही पुष्य,संतान,पदोन्नति, कार्य पूरे होंगे। पुष्य नक्षत्र तो कर्क राशि वालों के लिए सर्वाधिक शुभ होता है इसलिए संतान,पदोन्नति, जैसे कार्य पूरे होंगे। नयी परियोजना बनेंगी,जो निश्चित ही सफल होंगी।

सिंह: मन की अशांति व बाधाएं दूर होगी, नए दोस्त बनेंगे, जो भविष्य में आर्थिक तौर पर लाभ

कन्या: धन की सुविधा मिलेगी, विवाद से बचें।प्रेम सम्बन्धो मे तनाव बन सकता है

तुला: पूर्ण मंगलकारी, महिलाओं के लिए फलदायी सभी अटके काम बनेंगे, संतान संबंधी समस्याएं दूर होंगी

वृश्चिक: धनलाभ, अशुभ समाचार भी मिल सकता है, यात्रा टालें।

धनु: मंगलकारी, नए समाचार मिलेंगे, कार्य पूरे होंगे,पदोन्नति, आर्थिक तरक्की नए समाचार मिलेंगे।

मकर: आपसी विवाद से बचें, लड़ाई झगड़ें से दूर रहें यात्रा में सावधानी बरतें

कुंभ: मिलाजुला लेकिन पूर्ण सफल, कुछ अटके काम बनेंगे। नए मित्र बनेंगे। प्रॉपटी में पैसा लगाने की गलती न करें

मीन: पूर्णदृष्टि, यात्रा योग, धनलाभ होगा,अटका धन भी वापस मिलेगा। वाहन की खरीदारी संभव है।

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

Jyotishachayoan and take advantage of the experience.ज्योतिषाचायों के अनुभव का लाभ उठायें।

प्रिय मित्रो/बहनो
आज नेट के माध्यम से सम्पर्क करना आसान होगया है जिसका लाभ सभी को उठाना चाहियें हम भी इस क्रम में हें और आप तक अपने सस्थांन / केन्द्र के जन कल्याण के विचारो से आपको अवगत करा रहें हैं। चाहते हैं कि आप हमारे सस्थांन / केन्द्र के ज्योतिषाचायों के अनुभव का लाभ उठायें। हिन्दु शास्त्रो में कहां गया हैं नवरात्रो से लेकर गोवर्धन के पश्चात तक संसार को चलाने वाले सभी देवी देवता धरती पर रहकर जनकल्याण के कार्यो को करते हैं तथा उन भक्तो की सुनते हैं जो उन्हे अपने कष्टो के निवारणार्थ पुकारते हैं। यदि आप अपने लग्न चक्र , राशि के आधार पर जानना चाहते है कि आपको दीपावली पर क्या करना चाहिये जिससे आपके घर में लक्ष्मी का सदा निवास करे, प्रसन्न रहे तो हमारे को मेल पर नाम एवं जन्म तिथि जन्म समय जन्म स्थान भेजकर करे और ज्ञात करे। हमारे सस्थांन / केन्द्र के ज्योतिषाचायों के द्धारा आपके नाम पिता के नाम व गोत्र व स्थान के साथ Sri Yantra,,Shiv Parivar,,Crystal Ganesh,,SriYantra(Mixed Metal),,Spatic Sri Yantra,,Spatic Ganesh,,Spatic Shiva Linga,,Spatic Ban Linga,,Spatic Crystal Nandi,,आदि यन्त्रो को वैदिक मन्त्रों के उच्चाण के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जाती हैं। mo--09359109683

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बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

शारदीय नवरात्र दिनांक शुक्रवार 8 अक्टूबर, 2010 से आरंभ

दुर्गा-सप्तशती के पाठों को करके कोई भी भक्त मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है।स्वस्थ्य जीवन, सुखद परिवार व शक्ति, शत्रु से विजय और आरोग्यता के लिए माँ भगवती की आराधना प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धा व विश्वास के साथ करनी व करानी चाहिए। शारदीय नवरात्र दिनांक शुक्रवार 8 अक्टूबर, 2010 से आरंभ होकर शनिवार दिनांक 16 अक्टूबर, 2010 को सम्पन्न होंगे।

शारदीय नवरात्र में शक्ति की पूजा करते हैं। शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक होते हैं। व्रती प्रतिपदा से नवमी तक व्रत करते हैं।

8 अक्टूबर शुक्रवार से नवरात्र प्रारंभ हो जाएंगे। घट स्थापना आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को चित्रा नक्षत्र एवं वैद्धति योग रहित समय में द्विस्वभाव लग्न प्रात: या मध्याह्न में की जाती है। इस वर्ष 8 अक्टूबर 2010 को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा है परन्तु उस दिन चित्रा नक्षत्र एवं वैद्धति योग रहित लग्न का अभाव है। ऐसी स्थिति में या तो लाभ का चौघडि़या में घट स्थापना करनी चाहिए या अभिजित मुहू‌र्त्त में घट स्थापना करनी चाहिए और उस दिन लाभ का चौघडि़या है प्रात: 7.30 बजे से 9 बजे तक और अभिजित मुहूर्त है 12 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजे तक है। परंतु इस दिन 12 बजकर 30 मिनट पर शुक्र वक्री हो रहा है। इसलिए इससे पहले घट स्थापना होना अति आवश्यक है।

8 अक्टूबर 2010 शुक्रवार को अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11.36 से 12.24 के बीच है। अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित करने के लिये शुद्ध देशी घी गाय का घी हो तो सर्वोत्तम है प्रयोग करनी चाहिए।

रविवार, 3 अक्तूबर 2010

साढे साति आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं


शनिदेव की माहदशा या साढे साति आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। शनिदेव प्रायः किसी को क्षति नहीं पहुंचाते लेकिन मतिभ्रम की स्थिति अवश्य पैदा करते है, ऐसी परस्थिति में शनि शांति के लिये उपाय रामबाण का कार्य करते हैं। शनिदेव से प्राप्त कष्टों से बचाव की जानकारियों के लिये आप भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर मेरठ कैन्ट से सम्पर्क कर सकते है।
ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को शनैश्चर कहा गया है। यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रहमाना गया है। यह ग्रहो में बड़ा है इसलिए यह एक राशि का भ्रमण करने में ढाई वर्ष तथा 12 राशियों का भ्रमण करने में लगभग 30 वर्ष का समय लगाता है। यह जैसा दिखता है, वैसा नहीं है। इसे एक उदासीन, निराशावादी, ढीठ और जिद्दी ग्रह भी माना गया है। शनि ग्रह की प्रकृति विशिष्ट है;हमारे धर्म ग्रन्थों में शनि को काना, बहराए, गूंगा, और अंधा माना गया है। शनि की गति मंद है। शनि की अपने पिता सूर्य से शत्रुता है।

शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

अंक ज्योतिष का वर्तमान रूप पाश्चात्य सभ्यता की ही देन है,

अंक ज्योतिष का वर्तमान रूप पाश्चात्य सभ्यता की ही देन है, जिसके अनुसार मूलांक का आधार जन्म तारीख है। तारीख के अंकों को, एक से अधिक अंक होने पर, जोड़ कर मूलांक निकाला जाता है।
अंक शास्त्र अर्थात् ‘न्यूमेरोलॉजी’ भविष्य कथन की एक पद्धति है। ज्योतिष शास्त्र के ज्ञान के बिना भी कई लोग इस शास्त्र का प्रयोग करते हैं। जन्मतिथि अथवा किसी खास अंक के ‘भाग्यशाली’ या लाभदायक सिद्ध होने पर लोग उसी तिथि को या अंक के आधार पर हर महत्वपूर्ण कार्य करने का प्रयास करते हैं ताकि उनका कार्य निर्विघ्न पूरा हो सके।
अंक शास्त्र से यह जाना जा सकता है कि आज का दिन आपके लिए कैसा रहेगा या किसी महीने की कौन सी तारीख आपके लिए अच्छी या बुरी रहेगी। इस तरह अंक शास्त्र का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे द्वारा अकं ज्योतिष के उपायो सहित जन्म कुन्डली बनाई जाती है,

प्रत्येक शनिवार को प्रातः

प्रत्येक शनिवार को प्रातः के समय बेलपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलकर शिवलिंग पर अर्पित करें, आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से शुरू करें। मनोकामना की पूर्ति के पश्चात् ईश्वर का धन्यवाद करें तथा मंदिर में प्रसाद चढ़ाएं।

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

विदेश यात्रा

चंद्र पर्वत से निकल कर शनि पर्वत की ओर जाने वाली रेखा विदेश यात्रा या विदेश से लाभ की सूचक होती है। ऐसी रेखा अक्सर आयात निर्यात का व्यवसाय करने वालों के हाथ में होती है।