सोमवार, 11 जनवरी 2010

सूर्य ग्रहण का प्रभावभारी, हिमपात, दुर्घटनाएं और कुछ हादसे भी होने की संभावना है

15 जनवरी दिन शुक्रवार,यह खास दिन होगा,एक साथ तीन अद्भुत, दुर्लभ और सुखद संयोग बनने जा रहे हैं। मकर संक्रान्ति, मौनी अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक साथ कम से कम हजार साल बाद पड़ रहे हैं।
इस विलक्षण योग का सौम्य दिन शुक्रवार इंतजार कर रहा है। भारत में यह लगभग 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 3 बजकर 26 मिनट ही रहेगा, भारी हिमपात, दुर्घटनाएं और कुछ हादसे भी होने की संभावना है।
माघ मास अमावस्या को ग्रहण का स्पर्श दिन में 11 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा। ग्रहण का मोक्ष अपराह्न 3 बजकर 26 मिनट पर होगा। ग्रहण के 12 घंटे पहले ही व्रत, नियम, स्नान, दान का योग प्रारंभ हो जायेगा। यह ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और मकर राशि पर लगेगा। एक तरफ मौनी अमावस्या के स्नान का पुण्य तो दूसरी तरफ मकर राशि में सूर्य का प्रवेश करते ही (उत्तरायण होते ही) देवताओं के दिन का प्रारंभ।
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 14 जनवरी को ही सायं करीब 5.30 बजे हो जायेगे, लेकिन मकर संक्रान्ति का पुण्य काल 15 जनवरी को सूर्योदय से मध्याह्न तक रहेगा। ऐसा दुर्लभ संयोग हजार साल बाद आ रहा है। अमावस्या 14 जनवरी को दिन में नौ बजकर 41 मिनट से लग जायेगी जो दूसरे दिन 15 जनवरी को पूर्वाह्न 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगी। माघ मास की मौनी अमावस्या, ग्रहण और मकर संक्रान्ति के कारण स्नानार्थियों के तीनों कालों के त्रिदोष दैहिक, दैविक और भौतिक ताप विनष्ट होंगे और तीनों काल के पुण्य लाभ होंगे।
ग्रहण का सूतक काल ग्रहण प्रारंभ होने के 12 घंटे पहले से प्रारंभ हो जायेगा। बालक, वृद्ध और बीमार व्यक्तियों को सूतक काल से मुक्त रखा गया है।
जिन की जन्म कुण्डली में ग्रहण है। उनको भी ग्रहण में दान अवश्य करना चाहिए। इस ग्रहण के कारण दक्षिण देशों एंव प्रदेशों में रहने वालों को प्राकृतिक कारणो में हानि होगी तथा परेशानी धार्मिक लोगों को भी रहेगी।
सूर्य ग्रहण में स्नान करें। ग्रहण के मध्य में जप, पूजा करें। ग्रहण समाप्त होने से पहले दान करें। ग्रहण शुद्ध होने पर पुनः स्नान करना लाभदायक है। ग्रहण काल में सूर्य की पूजा करनी जरूरी है।
सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी ग्रहण में दुषित हो जाती है। तेल से तले पदार्थ कुशा, तिल, तुलसी आदि रखना श्रेष्ठ रहता है। सूखे खाद्य पदार्र्थो के कुशा इत्यादि डालने की आवश्यकता नहीं होती। सूर्य को नंगी आँखो से न देखे, ग्रहण तथा सूतक में ब्राताणों को भोजन नहीं खिलाना चाहिए।
मकर राशि तथा उतरा षाढ नक्षत्र में यह ग्रहण होगा। अतः इन राशि वालों को ग्रहण में पाठ-दान-जप करना श्रेष्ठ है। जिन की जन्म कुण्डली में ग्रहण है। उनको भी ग्रहण में दान अवश्य करना चाहिए। इस ग्रहण के कारण दक्षिण देशों एंव प्रदेशों में रहने वालों को प्राकृतिक कारणो में हानि होगी तथा परेशानी धार्मिक लोगों को भी रहेगी।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव सात राशियों पर
सूर्य ग्रहण का प्रभाव सात राशियों पर रहेगा। जिनमें मेष, वृष, कर्क, सिंह, कन्या, मकर, कुम्भ राशि वालों के लिए नुकसान दायक रहेगा। वहीं पांच राशियों पर ग्रहण मेहरबान है। जिनमें मिथुन, तुला, वृश्चिक, धनु, मीन राशि वालों को लाभदायक रहेगा। ग्रहण में हर राशि वाले को दान करना करना चाहिए।
गुरु कुंभ राशि में स्थित होने से अर्थ व्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। महंगाई पर नियंत्रण भी मुश्किल होगा। शेयर बाजार के लिए अच्छी खबर है यहां मार्केट में तेजी रहेगी।
राजनीतिक क्षेत्र में बड़े उलटफेर की आशंका है। अनुभवहीन और अपराधिक छवि के लोगों को कुछ क्षेत्र में सत्ता मिल सकती है। दलों में आपसी कलह और किसी बड़े दल में भीतरी नीतियों को लेकर ही असंतोष उभर सकता है।
विद्यार्थियों का मन अशांत रह सकता है। कुछ स्थानों पर शिक्षा प्रणाली को लेकर विरोध मुखर होने की संभावना है। विद्यार्थियों को महंगे शौक मुश्किल में डाल सकते हैं। राजनीतिक उथल-पुथल का प्रभाव प्रशासन पर भी पड़ेगा। निर्णय लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। कार्य का बोझ बढ़ेगा। कामकाजी महिलाओं को सफर एवं कार्यालयीन माहौल से परेशानी उठानी पड़ सकती है। घरेलू महिलाओं को चित्त एकाग्र कर खुद को काम में व्यस्त रखना होगा।
सिनेमा जगत के लिए इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपेक्षा से ज्यादा सफलता, यश और धन की प्राप्ति होगी। यह उद्योग लाभ में होगा।

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

कुंभ के स्नान पर्व 2010

इस सदी का पहला महाकुंभ 2010 में पडने वाला है। 14 जनवरी 2010 को मकर संक्रांति के स्नान से ही महाकुंभ की शुरुआत हो जाएगी जो 28 अप्रैल को बैसाख अधिमास पूर्णिमा स्नान तक चलेगा। छह अखाड़ों का शाही स्नान 15 व 30 मार्च और 14 अप्रैल को होगा।
कुंभ के स्नान पर्व
14 जनवरी 2010 मकर संक्रांति
15 जनवरी 2010 मौनी अमावस्या
20 जनवरी 2010 बसंत पंचमी
30 जनवरी 2010 माघ पूर्णिमा
12 फरवरी 2010 महाशिवरात्रि
15 मार्च 2010 सोमवती अमावस्या
16 मार्च 2010 नव संवत्सर
24 मार्च 2010 श्रीराम नवमी
30 मार्च 2010 चैत्र पूर्णिमा
14 अप्रैल 2010 मेष संक्रांति
28 अप्रैल 2010 बैसाख अधिमास पूर्णिमा
कुंभ संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका हिन्दी में शाब्दिक अर्थ कलश है। महाकुंभ हर 12 साल में 4 बार बारी-बारी से चार धार्मिक स्थलों पर लगता है। हरिद्वार में गंगा किनारे, उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे, नासिक में दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी के तट पर और इलाहाबाद में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर कुंभ मेला लगता है। चारों धार्मिक स्थलों पर महाकुंभ 12 साल में एक बार लगता है।कलश का अर्थ हम विस्तार से लिखेगे।