शनिवार, 28 मई 2011

शनिदेव न्यायप्रिय और भक्तो को अभय दान देने वाले देव माने जाते है शनिदेव प्रसन्न हो जाएं तो रंक को राजा और क्रोधित हो जाएं तो राजा को रंक भी बनाने मे द

शनि देव को समस्त ग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है, शनिदेव की जयन्ती 1 जून 2011 को है
वैदूर्य कांति रमल:,प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत: .
अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद: .
शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है,तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है,तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है,ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं. शनि ग्रह के प्रति अनेक कथाऐ हमारे बुजुर्गो से किदवन्ती के रूप मे सुन्ने को मिलती है साथ हि पुराणों में भी स्पष्ट उल्लेख हैं.शनि को सूर्य पुत्र माना जाता है.लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक,अशुभ और दुख कारक माना जाता है.पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं.लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है,जितना उसे माना जाता है.इसलिये वह शत्रु नही मित्र है.मोक्ष को देने वाला शनि ग्रह एक मात्र है.सत्य तो यह है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है,और प्रत्येक प्राणी के साथ न्याय करता है.जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं,शनि केवल उन्ही को प्रताडित करता है
सिद्धियों के दाता सभी विघ्नों को नष्ट करने वाले शनिदेव की जयन्ती 1 जून 2011 को है शनि देव को समस्त ग्रहों में सबसे शक्तिशाली ग्रह माना गया है, शनि देव के शीश पर अमूल्य मणियों से बना मुकुट सुशोभित है। शनि देव के हाथ में चमत्कारिक यन्त्र है, शनिदेव न्यायप्रिय और भक्तो को अभय दान देने वाले देव माने जाते है शनिदेव प्रसन्न हो जाएं तो रंक को राजा और क्रोधित हो जाएं तो राजा को रंक भी बनाने मे देरी नही लगाते है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि का फ़ल व्यक्ति की जन्म कुंडली के बलवान और निर्बल होने पर तय करते हैं कि जातक को शनि प्रभाव से बचने के लिये क्या क्या उपाय करने चाहिये।
शनि पक्षरहित होकर अगर पाप कर्म की सजा देते हैं तो उत्तम कर्म करने वाले मनुष्य को हर प्रकार की सुख सुविधा एवं वैभव भी प्रदान करते हैं। शनि देव की जो भक्ति पूर्वक व्रतोपासना करते हैं वह पाप की ओर जाने से बच जाते हैं जिससे शनि की दशा आने पर उन्हें कष्ट नहीं भोगना पड़ता। शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। शनि महाराज की पूजा के पश्चात राहु और केतु की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
सिंह, कन्या, तुला राशि पर शनि साढ़ेसाती का शुभाशुभ प्रभाव 14 नवंबर तक रहेगा। ढैय्या विचार- मिथुन व कुंभ राशि वालों को शनि की ढैय्या का अशुभ प्रभाव 14 नंवबर तक होगा।
मेष राशि- को शनि षष्ठ में संचार होने तथा पाया सोना होने से कठिन संघर्ष रहेगा। शनिवार के दिन तेल के साथ काली तिल, जौ और काली उड़द, काला कपड़ा ये सब चढ़ाने से लाभ होता है।
वृषभ राशि- को पंचमस्थ शनि पूज्य होगा। पाया लौहपाद होने से उच्च विद्या प्राप्ति में एवं कार्य, व्यवसाय में विघ्न-बाधाएँ होंगी। आय कम व खर्च भी अधिक रहेंगे। शनि का उपाय करना शुभ होगा। शनि की आराधना 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' से करनी चाहिए।
मिथुन राशि- चतुर्थ शनि होने से शनि की ढैय्या का प्रभाव अभी रहेगा। इस पर शनि का पाया भी सुवर्ण है जिससे आकस्मिक खर्च बढ़ेंगे तथा घरेलू उलझनें व व्यवसायिक परेशानियों में भी वृद्धि होगी। गृह पीड़ा और रोग पीड़ा निवारण के लिए सूर्यपुत्र शनि देव का अभिषेक करना फलदायी रहता है।
कर्क राशि- में शनि तृतीयस्थ होने से शुभफली है। इस राशि को शनि का पाया ताँबा होने से पराम में वृद्धि, निर्वाह योग्य धन प्राप्ति के साधन बनेंगे।
सिंह राशि- में द्वितीय स्थान का शनि होने से साढ़ेसाती का प्रभाव अभी रहेगा। आर्थिक परेशानियाँ एवं घरेलू उलझनें रहेंगी। परंतु इस पर शनि का पाया रजत होने से गुजारे योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। शनि की आराधना 'ॐ शं शनैश्चराय नमः' से करनी चाहिए।
कन्या राशि- में शनि का संचार 14 नवंबर तक रहेगा। शनि साढ़ेसाती का प्रभाव अभी बना रहेगा। तनाव रहेगा, बनते कामों में अड़चनें पैदा होंगी। ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। मंत्र का जाप करे।
तुला राशि- में शनि साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा जिससे कार्य व्यवसाय में आय कम, परंतु खर्च अधिक रहेंगे। 15 नवंबर से शनि इसी राशि पर संचार करने से आकस्मिक धन लाभ के अवसर भी प्राप्त होंगे।
वृश्चिक राशि- में 11वाँ शनि शुभफलदायक होगा। 3 मई से 24 जुलाई तक मंगल की स्वगृही दृष्टि होगी जिससे कुछ बिगड़े काम बनेंगे। निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे। परंतु खर्च अधिक तथा तनाव भी रहेंगे।
धनु राशि- में शनि दसवें स्थान पर होने से व्यवसाय एवं परिवार संबंधी कठिन परिस्थितियों का सामना रहेगा। मई के बाद गुरु की दृष्टि शुभ होगी।
मकर राशि- में शनि नवमस्थ होने से भाग्योन्नति व धन लाभ में अड़चनें पैदा होंगी। शनि का पाया लोहा होने से आय कम परंतु खर्चों में अत्याधिक वृद्धि होगी। शनि स्तोत्र का पाठ करना शुभ होगा।
कुंभ राशि- में शनि अष्टमस्थ होने से शनि की ढैय्या अभी 14 नवंबर तक रहेगी जिससे व्यवसाय एवं पारिवारिक उलझनें तथा खर्च बढ़ेंगे। पौराणिक मंत्र- नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌। छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्‌॥
मीन राशि- में शनि सप्तमस्थ होने से परिवार एवं करियर संबंधी परेशानियाँ रहेंगी। शनि का पाया चाँदी है तथा 7 मई तक गुरु का भी इस राशि पर स्वगृही संचार होने से धर्म-कर्म की ओर रुचि होगी तथा निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 25 मई 2011

भारत को भी राजनीति मे उठा-पटक का दौर भी ये ग्रह प्रारम्भ करा देगे मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का शनि से षडाष्टक योग

मेष राशि के मंगल से आठ ग्रहों का संबंध
मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का शनि से षडाष्टाक योग
मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का सूर्य से द्विद्वादश योग
मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का राहु से नवम पंचम योग
मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का केतु से त्रिकादश योग
यह 20 दिन ग्रह नक्षत्र के ग्रह योगायोग को देखते हुए आम जन के साथ साथ राजनेताओं को राष्टहित के लिये सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। यह समय योगो का चल है मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का शनि से षडाष्टक योग, मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का सूर्य से द्विद्वादश योग, मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का राहु से नवम पंचम योग, मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का केतु से त्रिकादश योग बन रहे है
बृहस्पति का परिवर्तन कई अन्य योग भी बना रहा है। जो देश के जनजीवन, राजनीतिक और आर्थिक परिदृष्य को भी प्रभावित करेंगे। मेष राशि में सूर्य, मंगल व शुक्र से संबंध स्थापित करेंगे,मेष राशि में स्थित बृहस्पति शनि से षडाष्टक संबंध स्थापित करेंगे, शनि कन्या राशि में वक्री अवस्था में गोचर कर रहे हैं, शनि और राहु का चतुर्थदशम योग, शनि और केतु चतुर्थदशम योग, सूर्य, मंगल, बृहस्पति, शुक्र और केतु से त्रिकादश योग, राहु से नवम पंचम योग,
ग्रह योगा-योगों को देखते हुए मैदिनी ज्योतिष के अनुसार यह समय इतना अनुकूल नहीं माना जा सकता।
संपूर्ण विश्व में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहेगा। प्राकृतिक प्रकोपों में बढ़ोतरी होगी।आतंकवाद एवं विस्फोटक की घटनाएं अभी और बढ़ेगी सत्ता और प्रजा के बीच में मनमुटाव अभी और बढेगा,
अग्नि कांड, भूकंप, उपद्रव, तूफान आदि के साथ-साथ दुर्घटनाओं की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता ग्रहचालो के प्रभाव दिखने भी लगे है,अमेरिका मे तुफान ज्वालामुखी कि राख का आसमान मे फैल कर अव्यवस्था पैदा करना,पाकिस्तान मे आतंकवाद विस्फोटक की घटनाएं होना इस बात का प्रमाण है कि ग्रहचाले अपना रगं दिखा रही है। भारत को भी राजनीति मे उठा-पटक का दौर भी ये ग्रह प्रारम्भ करा देगे मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र का शनि से षडाष्टक योग राजनेताओ के साथ साथ भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियो के काले कारनामो व अनैतिक आचरण को उजागर करेगा,सीमाओं पर आतंकवाद की घटनाएं प्रबल हो सकती है
आर्थिक दृष्टिकोण से भी समय इतना अनुकूल नहीं माना जा सकता, पेट्रोलियम के पदार्थों में मूल्यवृद्धि के साथ साथ सोने और चादि मे गुरू शुक्र के कारण विवाद उत्पन्न होने के भी योग नजर आ रहा है। जिस तरह के ग्रह योगा-योग हैं, उससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में कोई विशेष सफलता नजर नहीं आ रही है,
शास्त्र के अनुसार 12 राशियों को भी इन बीस दिनों में विशेष सावधानी बरतनें की जरूरत है।
मेष राशि वालो के लिये उपाय
1. श्रद्घापूर्वक चौमुखा घी का दीपक जलाकर ऊं हं पवननंदनाय नम: मंत्र की तीन माला सुबह-शाम जाप करें।
2. श्रद्घानुसार साबुत मसूर लगातार 20 दिन सफाई कर्मचारी को दान दें।
वृषभ राशि वालो के लिये उपाय
1. इन 20 दिनों में नियमित षडाक्षरी शिव मंत्र षडाक्षरी मंत्र यानि ऊँ नम: शिवाय, सामूहिक रुप से इन छ: अक्षरों को साक्षात शिव का स्वरुप माना गया है, का जाप करते हुए भगवान शिव का दुध व दही से अभिषेक करें।
2. श्रद्घानुसार गरीब व जरूरतमंद व्यक्तियों को दान दें।
मिथुन राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज घर में घी का दीपक जलाकर मंत्र-ॐ ह्रीं सर्वचक्र मोहिनी जाग्रय जाग्रय ॐ हुं स्वाहा: स्फटिक की माला से 1100 मन्त्र जप सुबह-शाम करें।
2. श्रद्घानुसार साबुत हरे मूंग लगातार 20 दिन अपने हाथ से गाय को खिलायें।
कर्क राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज घर में घी का दीपक जलाकर श्रीमद्भागवत के अष्टम स्कन्ध में गजेन्द्र मोक्ष की कथा है का पाठ करें।
2. श्रद्घानुसार चावल, सफेद वस्त्र गरीब लोगों में बांटे।
सिंह राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नानोपरांत घर में तेल का दीपक जलाकर शनि स्तोत्र ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌। का पाठ करें।
2. इन 20 दिनों में श्रद्घानुसार सरसों की खल गायों को अपने हाथ से खिलाएं।
कन्या राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज घर में दीपक जलाकर वैदिक शनि मंत्र ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:। स्तुति का पाठ करें।
2. श्रद्घानुसार साबुत मूंग हर रोज किसी किन्नर या गौशाला में दान दे या हरे वस्त्र चुडियां किन्नर को दे।
तुला राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज घर में घी का दीपक जलाकर महामृत्युंजय मंत्र ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूः भुवः स्वः। त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्‌। उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌। स्वः भुवः भू ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥ की तीन माला सुबह-शाम जाप करें।
2. हर रोज श्रद्घानुसार इन 20 दिनों में हरा पालक अपने हाथ से गाय को खिलाए।
वृश्चिक राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज घर में घी का दीपक जलाकर संकटमोचक हनुमानष्टक के सात पाठ सुबह-शाम करें।
2. इन 20 दिनों में हर रोज श्रद्घानुसार चना और गुड़ गाय और बंदर को खिलाये।
धनु राशि वालो के लिये उपाय
1. धनु राशि वाले अपने घर में घी का दीपक जलाकर दशाक्षरी(10) मंत्र- 'ॐ जूं सः मां पालय पालय'। या दुर्गा नवार्ण मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ॐ स्कंदमाता देव्यै नम: के पांच पाठ सुबह-शाम करें।
2. श्रद्घानुसार चने की दाल गरीब लोगों में बांट दें या गाय को खिला दें।
मकर राशि वालो के लिये उपाय
1. घर में सरसो के तेल का दीपक जलाकर शनि मंत्र ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिस्र वन्तु न: का जाप करें।
2. गौशाला में श्रद्घानुसार सरसों के तेल का दान देना आपके लिये अति लाभकारी होगा।
कुंभ राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज नित्यकर्म से निवृत्त होकर ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जाप करें।
2. साबुत उड़द श्रद्घानुसार 20 दिन अपने हाथ से गाय को खिलाये या गौ शाला मे एक साथ 21 किलो उडद साबुत दे।
मीन राशि वालो के लिये उपाय
1. हर रोज अपने घर में घी का दीपक जलाकर सप्तशती या नर्वाण मंत्र से जप करें। सप्तशती में प्रत्येक मंत्र के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके आहुति दें। की तीन माला का हवन शाम को करें।
2. यह 20 दिन हर रोज एक पीला पपीता छीलकर गाय को खिलाये पीले वस्त्रो को विष्णु जी को पहनाये
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 7 मई 2011

देव गुरू बृहस्पति 8 मई 2011 को दोपहर में 14 बजकर 14 मिनट पर मेष राशि मे प्रवेश करेगे मेष राशि मगंल कि राशि है तथा मगंल ग्रह देव गुरू बृहस्पति के मित्र माने गये है 17 मई 2011 तक देव गुरू बृहस्पति इस राशि मे भ्रमण करेगे। बृहस्पति नवग्रहों में सबसे शुभ है। कुंडली में शुभ बृहस्पति की स्थिति राजयोग कारक मानी गई है। मेष राशी में पहले से ही मंगल,शुक्र और बुध बेठे हे,..इन सभी का शनि के साथ षडाष्टक योग बन जायेगा, इस कारण महंगाई और बढ़ेगी तथा वातावरण तनावपूर्ण हो सकता है
मेष राशि वालों के लिए विशेष योग भी इस वर्ष रहेगा। देव गुरु बृहस्पति 13 वर्ष के पश्चात 8 मई 2011 को आपकी राशि में प्रवेश करेंगे और पूरे वर्ष भर आपकी ही राशि में रहेंगे। मेषराशि वालों के लिए देव गुरु बृहस्पति का राशि प्रवेश अनुकूल व लाभदायक रहेगा।
देव गुरू बृहस्पति को पीला रंग पसंद है। ये हाथ में छड़ी, कमल और मोती धारण किए हैं। बृहस्पतिदेव अंगीरासा के पुत्र हैं। बृहस्पति देवता की तीन पत्नियां शुभा, तारा और ममता हैं। इन्हें देवताओं के शिक्षक का स्थान प्राप्त है। बृहस्पति देवता ही पिछले जन्म के कर्मो, धर्म, ज्ञान और औलाद से संबंधित इश्यू का लेखा-जोखा रखते हैं। बृहस्पति देव के तीन नक्षत्रों (पुर्नवसु, विशाखा और पूर्व भाद्रपद) है और ये इनके देवता हैं। इनका रत्न पुखराज है। इनकी दिशा उत्तर-पूर्व है और इनके तत्व हिमद्रव और अंतरिक्ष हैं।
गुरू बृहस्पति के राशि परिर्वतन के साथ साथ अनेक परिर्वतन देश कि राजनैतिक क्षेत्रो मे दिखाई पडेगा। पडोसी देशो के साथ तनाव बढेगा महंगाई बढेगी।
विवाह में देरी का ज्योतिषिय कारण गुरु का कमजोर या विपरित होना माना जाता है। बृहस्पति की पूजा से भी इस दोष को दूर किया जा सकता है। दरअसल बृहस्पति की पूजा कई तरह के फल मिलते हैं। बस बृहस्पति के पूजन की विधि पवित्र और त्रुटि रहित होनी चाहिए। इससे बृहस्पति की पूजा का मनचाहा फल भी मिलता है।
जल्दी विवाह के लिए - गुरुवार को सुबह जल्दी जागकर, बृहस्पति देव का पूजन करें। पीली वस्तुएं, पीले फूल, चने की दाल, पीली मिठाई, पीले चावल आदि चढ़ाएं। अगर बृहस्पति लिंग रूप में हैं तो उनका केसर मिला दूध या पानी से अभिषेक करें। गुरुवार को उपवास करें या एक समय भोजन का नियम बनाएं।
धन प्राप्ति के लिए - बृहस्पति का पूजन कर पीली वस्तुओं का दान करें।
विद्या के लिए - बृहस्पति का रोजाना पूजन करें, अगर लिंग रूप में हो तो रोजाना जल चढ़ाएं।
परिवार में मधुरता के लिए - हर गुरुवार बृहस्पति को पीली मिठाई का भोग लगाएं। जल चढ़ाएं।
अच्छे व्यवसाय के लिए - गुरुवार को गरीबों को भोजन कराकर उचित दक्षिणा दें। बृहस्पति देव की पूजा गुरुवार को की जाती है,
मेष: मेष लग्न के लिए बृहस्पति भाग्योदय लाने वाले हैं नए प्रेम संबंध जन्म ले सकते हैं या पुराने प्रेम संबंध पुष्ट हो सकते हैं। जिनकी विवाह की उम्र है, उनके विवाह सम्पन्न हो सकते हैं। यह भाग्य फलने का वर्ष है
वृषभ: वृषभ लग्न के लिए यह ख्याति का वर्ष है भूमि से ब़डा लाभ, जमीन, मकान, खान से लाभ या ब़डी आर्थिक व्यवस्था, इसके आवश्यक परिणाम हैं। आपको आध्यात्म का नया परिचय मिलेगा,
मिथुन: लग्न से ग्यारहवें बृहस्पति लाभदायक हैं और प्रतिभा पर आधारित कार्य कराना चाहते हैं। यह अत्यन्त ओजस्वी बृहस्पति हैं जो ब़डे भाई या बहिन की तो चिंता कराएंगे,भागीदारी में लाभ होंगे, जीवनसाथी को व्यवसाय में लाभ होगा, उनके जीवन को नई ऊंचाई मिलेगी।
कर्क: राशि से दशम बृहस्पति प्रारंभ से ही शुभ फल देना शुरू कर देंगे वस्त्र और आभूषण बनेंगे तथा ऋण लेंगे।पिता के लिए शुभ समय चल रहा है,शासन से आपके संबंध सुधरेंगे।
सिंह: इस वर्ष बहुत दावतें मिलेंगी। खुशी के एक से अधिक अवसर होंगे,धार्मिक कार्यो में रूचि बढ़ेगी, धर्म कार्यो पर खर्चा करेंगे, पिता और माता के लिए अत्यन्त शुभ समय है और दूरस्थ स्थानों की या विदेश की यात्राएं होंगी।
कन्या: आठवें बृहस्पति भूमि प्राप्ति कराएंगे। अचानक धन प्राप्ति कराएंगे, ब़डे उपहार दिलाएंगे, कुल मिलाकर अच्छा रहेगा परन्तु शारीरिक कष्टों से बचने के लिए खानपान पर बहुत अधिक ध्यान दें।
तुला : प्रेम संबंधों में अति सावधानी बरतें। कोई बनी हुई बात बिग़ड सकती है। आपसी संबंधों में अहंकार को सामने नहीं आने दें। इस वर्ष भागीदारी में बहुत अधिक सावधानी बरतनी होगी
वृश्चिक: बृहस्पति के प्रभाव में धनागम काफी होगा और ऋण भी बढ़ेगा।जीवनसाथी के लिए भी अच्छा रहेगा राजपक्ष से लाभ मिलेगा, व्यवसाय शैली में परिवर्तन और प्रतिष्ठा बढ़ेगी। साढ़ेसाती की शुरूआत है जिसके अच्छा जाने की संभावना है
धनु : यह वर्ष भाग्योदय वाला है जिसमें आपकी पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी और संतान को लाभ होगा। आर्थिक लाभ की मात्रा में बढ़ोत्तरी होगी। छोटी-मोटी आकस्मिक घटनाएं हो सकती हैं परंतु बृहस्पति देवता के कारण आपकी रक्षा होती रहेगी
मकर : नौकरी करने वालों के लिए यह वर्ष बहुत अच्छा जाएगा। व्यवसाय में भी आवश्यक परिवर्तन आएंगे और आप कुछ नया करने की सोचेंगे। आपको अच्छा समर्थन मिलेगा। आपकी प्रतिष्ठा अचानक बढ़ेगी नौकरी या व्यवसाय में कोई पी़डा आ सकती है।
कुंभ : यह भाग्यशाली वर्ष है जिसमें बृहस्पति देवता आपके सप्तम, नवम व एकादश भाव को दृष्टिपात करते रहेंगे। प्रेम संबंधों में सफलता मिलेगी, जीवनसाथी के कार्य-व्यवसाय में बढ़ोत्तरी होगी, नए-नए अवसर मिलेंगे और आर्थिक लाभ की मात्रा बढ़ेगी।
मीन : इस आपकी महत्वाकांक्षाएं परवान चढ़ेंगी और आप जोश व उत्साह में भर जाएंगे। पारिवारिक मामलों में ब़डा दायित्व निभाएंगे और कई बार मंगलकारी कार्य होने के कारण दावतों में भाग लेंगे।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट
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