रविवार, 31 मार्च 2013

हनुमान प्रश्नावली चक्र: हर व्यक्ति के मन में अपने भविष्य के प्रति कई प्रश्न होते हैं


हनुमान प्रश्नावली चक्र:
हर व्यक्ति के मन में अपने भविष्य के प्रति कई प्रश्न होते हैं। वह हमेशा उन प्रश्नों के उत्तर की खोज में लगा रहता है लेकिन उन प्रश्नों का उत्तर मिलना बहुत कठिन होता है। ऐसे में हनुमान ज्योतिष के माध्यम से हर प्रश्न का उत्तर आसानी से जाना जा सकता है। इस आर्टिकल के साथ हनुमान प्रश्नावली चक्र प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें आपके हर प्रश्न का उत्तर छिपा है।
उपयोग विधि
जिसे भी अपने प्रश्नों का उत्तर चाहिए वे स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करे और पांच बार ऊँ रां रामाय नम:मंत्र का जप करने के बाद 11 बार ऊँ हनुमते नम:मंत्र का जप करे। इसके बाद आंखें बंद हनुमानजी का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें।
 जिस कोष्ठक(खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक को देखकर अपने प्रश्न का उत्तर देखें। कोष्ठकों के अंकों के अनुसार फलादेश

1- आपका कार्य शीघ्र पूरा होगा।

2- आपके कार्य में समय लेगगा। मंगलवार का व्रत करें।

3- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें तो कार्य शीघ्र पूरा होगा।

4- कार्य पूर्ण नहीं होगा।

5- कार्य शीघ्र होगा, किंतु अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी पड़ेगी।

6- कोई व्यक्ति आपके कार्यों में रोड़े अटका रहा है, बजरंग बाण का पाठ करें।

7- आपके कार्य में किसी स्त्री की सहायता अपेक्षित है।

8- आपका कार्य नहीं होगा, कोई अन्य कार्य करें।

9- कार्यसिद्धि के लिए यात्रा करनी पड़ेगी।

10- मंगलवार का व्रत रखें और हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो मनोकामना पूर्ण होगी।

11- आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। सुंदरकांड का पाठ करें।

12- आपके शत्रु बहुत हैं। कार्य नहीं होने देंगे।

13- पीपल के वृक्ष की पूजा करें। एक माह बाद कार्य सिद्ध होगा।

14- आपको शीघ्र लाभ होने वाला है। मंगलवार को गाय को गुड़-चना खिलाएं।

15- शरीर स्वस्थ रहेगा, चिंताएं दूर होंगी।

16- परिवार में वृद्धि होगी। माता-पिता की सेवा करें और रामचरितमानस के बालकाण्ड का पाठ करें।

17- कुछ दिन चिंता रहेगी। ऊँ हनुमते नम: मंत्र की प्रतिदिन एक माला का जप करें।

18- हनुमानजी के पूजन एवं दर्शन से मनोकामना पूर्ण होगी।

19- आपको व्यवसाय द्वारा लाभ होगा। दक्षिण दिशा में व्यापारिक संबंध बढ़ाएं।

20- ऋण से छुटकारा, धन की प्राप्ति तथा सुख की उपलब्धि शीघ्र होने वाली है। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
21- श्रीरामचंद्रजी की कृपा से धन मिलेगा। श्रीसीताराम के नाम की पांच माला रोज करें।

22- अभी कठिनाइयों का सामाना करना पड़ेगा पर अंत में विजय आपकी होगी।

23- आपके दिन ठीक नहीं है। रोजाना हनुमानजी का पूजन करें। मंगलवार को चोला चढ़ाएं। संकटों से मुक्ति मिलेगी।

24- आपके घर वाले ही विरोध में हैं। उन्हें अनुकूल बनाने के लिए पूर्णिमा का व्रत करें।

25- आपको शीघ्र शुभ समाचार मिलेगा।

26- हर काम सोच-समझकर करें।

27- स्त्री पक्ष से आपको लाभ होगा। दुर्गासप्तशती का पाठ करें।

28- अभी कुछ महीनों तक परेशानी है।

29- अभी आपके कार्य की सिद्धि में विलंब है।

30- आपके मित्र ही आपको धोखा देंगे। सोमवार का व्रत करें।

31- संतान का सुख प्राप्त होगा। शिव की आराधना करें व शिवमहिम्नस्तोत्र का पाठ करें।

32- आपके दुश्मन आपको परेशान कर रहे हैं। रोज पार्थिव शिवलिंग का पूजन कर शिव ताण्डवस्तोत्र का पाठ करें। सोमवार को ब्राह्मण को भोजन कराएं।

33- कोई स्त्री आपको धोखा देना चाहती है, सावधान रहें।

34- आपके भाई-बंधु विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को व्रत रखें।

35- नौकरी से आपको लाभ होगा। पदोन्नति संभव है, पूर्णिमा को व्रत रख कथा कराएं।

36- आपके लिए यात्रा शुभदायक रहेगी। आपके अच्छे दिन आ गए हैं।

37- पुत्र आपकी चिंता का कारण बनेगा। रोज राम नाम की पांच माला का जप करें।

38- आपको अभी कुछ दिन और परेशानी रहेगी। यथाशक्ति दान-पुण्य और कीर्तन करें।

39- आपको राजकार्य और मुकद्मे में सफलता मिलेगी। श्रीसीताराम का पूजन करने से लाभ मिलेगा।

40- अतिशीघ्र आपको यश प्राप्त होगा। हनुमानजी की उपासना करें और रामनाम का जप करें।

41- आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

42- समय अभी अच्छा नहीं है।

43- आपको आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ेगा।

44- आपको धन की प्राप्ति होगी।

45- दाम्पत्य सुख मिलेगा।

46- संतान सुख की प्राप्ति होने वाली है।

47- अभी दुर्भाग्य समाप्त नहीं हुआ है। विदेश यात्रा से अवश्य लाभ होगा।

48- आपका अच्छा समय आने वाला है। सामाजिक और व्यवसायिक क्षेत्र में लाभ मिलेगा।

49- आपका समय बहुत अच्छा आ रहा है। आपकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होगी।

प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

श्री सालासर बालाजी स्वयं स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। हर रोज दूर-दूर से भक्त मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनोवांछित फल पाते हैं।

राजस्थान के चुरू जिले में स्थित श्री सालासर धाम पर श्रद्धालुओं का तांता साल भर लगा रहता है। शक्ति पीठ का इतिहास सन् 1754 ई. में नागौर के असोटा निवासी साखा जाट को घिटोला के खेत में हल जोतते समय एक मूर्ति मिली। रात को स्वप्न में श्री हनुमान ने प्रकट होकर मूर्ति को सालासर पहुंचाने का आदेश दिया। उसी रात सालासर में भक्त मोहनदास जी को भी हनुमान जी ने दर्शन देकर कहा कि असोटा ठाकुर द्वारा भेजी गई काले पत्थर की मूर्ति को धोरे (टीले) पर ठाकुर सालमसिंह की उपस्थिति में स्थापित कर देना। धोरे पर जहां बैल चलते-चलते रुक जाएं, वहीं श्री बालाजी की प्रतिमा स्थापित करना।
वह बैलगाड़ी (रेड़ा) आज भी सालासर धाम में दक्षिण पोल पर दर्शनार्थ रखी हुई है। सालासर ग्राम भूतपूर्व बीकानेर राज्य के अधीनस्थ था। सालासर की देख-रेख ठाकुर धीरजसिंह जी के जिम्मे थी। उन्हीं दिनों एक प्रसिद्ध डाकू सहस्रों घोड़ों एवं साथियों को लिए, अत्याचार करता हुआ सालासर के निकट पहुंचा। संध्या हो जाने पर उसने वहीं पड़ाव डालने का विचार कर सहयोगी डाकुओं को गांव से रसद लाने को भेजा। रसद न देने पर लूट लेने की धमकी दी गई।
घबराए हुए ठाकुर सालमसिंह जी भक्तप्रवर के पास, जो टीले पर कुटिया में रहते थे, गए और कहा कि महाराज बड़ी विपत्ति में हूं, न रसद है और न सेना। तब भक्तप्रवर मोहनदास जी ने आश्वासन दिया और श्री बाला जी का नाम लेकर शत्रु की नीली झंडी को तीर से उड़ा देने का आदेश दिया। उन्होंने उसके प्रविष्ट होने से पूर्व ही ऐसा कर देने का आदेश दिया। लोगों ने ऐसा ही किया और गांव का संकट दूर हो गया। डाकू सरगना पैरों में आ गिरा और उसके सहयोगी डरके मारे भाग गए। श्री बाला जी के प्रति ठाकुर सालमसिंह की भक्ति बढ़ी और साथ ही बढ़ा भक्तप्रवर मोहनदास जी के प्रति विश्वास। इस प्रकार नीतिज्ञ एवं वचनसिद्ध महात्मा मोहनदास जी की कृपा से गांव की रक्षा एक नहीं अनेक बार हुई। महामारियों तथा अकाल की स्थितियों से समय-समय पर जनता को आश्चर्यजनक रूप से छुटकारा मिला। श्री बाला जी की मूर्ति की स्थापना सालासर में संवत् 1811 में श्रावण शुक्ला नवमी, शनिवार को हुई। उस समय जूलियासर के ठाकुर जोरावर सिंह ने मनौती पूरी होने पर बंगला (छोटा मंदिर) बनवाया। संवत् 1815 में फतेहपुर (शेखावटी) के मुसलमान कारीगर नूर मोहम्मद व दाऊ ने मंदिर का निर्माण किया। मंदिर का विस्तार संवत् 1860 में लक्ष्मण गढ़ के सेठ रामधन चैखानी ने करवाया। तब से आज तक भक्तों की मनोकामना सिद्ध होने पर सालासर में मंदिर, धर्मशालाओं आदि का निर्माण कार्य दिन-रात चल रहा है।
जालवृक्ष में श्रीफल बंधन जब सीकर नरेश, रावराजा देवी सिंह जी के पुत्र नहीं हुआ तब वे सालासर पधारे तब भक्तप्रवर मोहनदास जी ने मनोकामनापूर्ति के लिए श्रीबाला जी को एक श्रीफल (नारियल) चढ़ाकर उसे समीपस्थ जाल वृक्ष में बांध देने को कहा। भक्त की आज्ञा का भक्तिभाव से पालन करके राव राजा ने श्री मोहनदास जी से विदा ली। दस मास पश्चात कुमार का जन्म हुआ जिसका नाम लक्ष्मण सिंह रखा गया। उसके मुंडन संस्कार के लिए संवत् 1844 में राव राजा सपरिवार सालासर आए और मंदिर के समीप एक महल का निर्माण करवाया तथा भूमि भी प्रदान की। तभी से मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर में स्थित जाल वृक्ष में नारियल बांधने की परंपरा चली आ रही है। वर्तमान में वह जाल वृक्ष तो नहीं है पर नारियल अभी भी चढ़ाए जा रहे हैं जो भक्तों की आस्था के वास्तु की दृष्टि से सालासर श्रीबाला जी का मंदिर श्री सालासर बाला जी मंदिर पूर्व मुखी है जिसके आग्नेय क्षेत्र में धूनी है। इसके ईशान में कुआं है और खुला और बढ़ा हुआ आंगन है। र्नै त्य (दक्षिण-पश्चिम) क्षेत्र बंद है। सालासर का विस्तार भी पूर्व, ईशान में है। श्रीबाला जी के मंदिर की पूर्व दिशा में 2 किलोमीटर पर अंजना माता का मंदिर है। शुभ वास्तु लक्षणों से भरपूर यह मंदिर वैभवशाली एवं सुंदर है। सालासर धाम में असोज व चैत्र मास की पूर्णिमा को दो बड़े मेले लगते हैं जिनमें 15 लाख श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था अनेक संस्थाओं द्वारा की जाती है। श्री सालासर बालाजी स्वयं स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। यह विश्व में हनुमान भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। हर रोज दूर-दूर से भक्त मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनोवांछित फल पाते हैं।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683










शुक्रवार, 29 मार्च 2013

वशीकरण, ग्रह दोष की शांति, लक्ष्मी की प्राप्ति, प्रमेह रोग से मुक्ति और मनोकामना की पूर्ति


सुयोग्य ब्राह्मणों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करवाएं और उसका श्रवण करें। रुद्री के एक पाठ से बाल ग्रहों की शांति होती है। तीन पाठ से उपद्रव की शांति होती है। पांच पाठ से ग्रहों की, सात से भय की, नौ से सभी प्रकार की शांति और वाजपेय यज्ञ फल की प्राप्ति और ग्यारह से राजा का वशीकरण होता है और विविध विभूतियों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार ग्यारह पाठ करने से एक रुद्र का पाठ होता है। तीन रुद्र पाठ से कामना की सिद्धि और शत्रुओं का नाश, पांच से शत्रु और स्त्री का वशीकरण, सात से सुख की प्राप्ति, नौ से पुत्र, पौत्र, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार नौ रुद्रों से एक महारुद्र का फल प्राप्त होता है जिससे राजभय का नाश, शत्रु का उच्चाटन, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि, अकाल मृत्यु से रक्षा तथा आरोग्य, यश और श्री की प्राप्ति होती है। तीन महारुद्रों से असाध्य कार्य की सिद्धि, पांच महारुद्रों से राज्य कामना की सिद्धि, सात महारुद्रों से सप्तलोक की सिद्धि, नौ महारुद्रों के पाठ से पुनर्जन्म से निवृŸिा, ग्रह दोष की शांति, ज्वर, अतिसार तथा पिŸा, वात व कफ जन्य रोगों से रक्षा, सभी प्रकार की सिद्धि तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर का श्रेष्ठ द्रव्यों से अभिषेक करने का फल जल अर्पित करने से वर्षा की प्राप्ति, कुशा का जल अर्पित करने से शांति, दही से पशु प्राप्ति, ईख रस से लक्ष्मी की प्राप्ति, मधु और घी से धन की प्राप्ति, दुग्ध से पुत्र प्राप्ति, जल की धारा से शांति, एक हजार मंत्रों के सहित घी की धारा से वंश की वृद्धि और केवल दूध की धारा अर्पित करने से प्रमेह रोग से मुक्ति और मनोकामना की पूर्ति होती है, शक्कर मिले हुए दूध अर्पित करने से बुद्धि का निर्मल होता है, सरसों या तिल के तेल से शत्रु का नाश होता है और रोग से मुक्ति मिलती है। शहद अर्पित करने से यक्ष्मा रोग से रक्षा होती है तथा पाप का क्षय होता है। पुत्रार्थी को भगवान सदाशिव का अभिषेक शक्कर मिश्रित जल से करना चाहिए। उपर्युक्त द्रव्यों से अभिषेक करने से शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। रुद्राभिषेक के बाद ग्यारह वर्तिकाएं प्रज्वलित कर आरती करनी चाहिए। इसी प्रकार भगवान शिव का भिन्न-भिन्न फूलों से पूजन करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कमलपत्र, बेलपत्र, शतपत्र और शंखपुष्प द्वारा पूजन करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। आक के पुष्प चढ़ाने से मान-सम्मान की वृद्धि होती है। जवा पुष्प से पूजन करने से शत्रु का नाश होता है। कनेर के फूल से पूजा करने से रोग से मुक्ति मिलती है तथा वस्त्र एवं संपति की प्राप्ति होती है। हर सिंगार के फूलों से पूजा करने से धन सम्पति बढ़ती है तथा भांग और धतूरे से ज्वर तथा विषभय से मुक्ति मिलती है। चंपा और केतकी के फूलों को छोड़कर शेष सभी फूलों से भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। साबुत चावल चढ़ाने से धन बढ़ता है। गंगाजल अर्पित करने से मोक्ष प्राप्त होती है।

रविवार, 17 मार्च 2013

दुख, दरिद्रता आदि समाप्त करने के लिये, इसके लिए शुद्ध वास्तु यंत्र लेकर केसर से सभी सदस्यों का नाम लिख लें और नमो वैश्वानर वास्तु रुपाय, भूपति त्वं मे देहि दापय स्वाहा। दिए गए मंत्र का ग्यारह बार जप करें। यह उपाय होली से पहले पांच दिन तक करें। इसके पश्चात यंत्र को होली की अग्नि में डाल दें प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

कर्ज मुक्ति यदि आप लगातार कर्जों से परेशान हों

कर्ज मुक्ति यदि आप लगातार कर्जों से परेशान हों या व्यवसाय में बाधा आ रही हो, या किसी भी प्रकार आय में वृद्धि नहीं हो पा रही हो तो एक सियार सिंगी होली के दिन एक चांदी की डिब्बी में रख लें व प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में सिंदूर चढ़ाते रहें। ऐसा करने से आप की उपर्युक्त सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी व शीघ्र ही फल की प्राप्ति होगी 

जन्मपत्री कि विवेचना एक ऐसा विषय है जिसे लिख कर नही समझाया जा सकता टाईप करने मे परेशानिया होने के कारण यहां पर बात नही हो पा सकती अगर आप चाहे तो फोन न० 9359109683 पर बात कर सकते है