शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

अंक ज्योतिष का वर्तमान रूप पाश्चात्य सभ्यता की ही देन है,

अंक ज्योतिष का वर्तमान रूप पाश्चात्य सभ्यता की ही देन है, जिसके अनुसार मूलांक का आधार जन्म तारीख है। तारीख के अंकों को, एक से अधिक अंक होने पर, जोड़ कर मूलांक निकाला जाता है।
अंक शास्त्र अर्थात् ‘न्यूमेरोलॉजी’ भविष्य कथन की एक पद्धति है। ज्योतिष शास्त्र के ज्ञान के बिना भी कई लोग इस शास्त्र का प्रयोग करते हैं। जन्मतिथि अथवा किसी खास अंक के ‘भाग्यशाली’ या लाभदायक सिद्ध होने पर लोग उसी तिथि को या अंक के आधार पर हर महत्वपूर्ण कार्य करने का प्रयास करते हैं ताकि उनका कार्य निर्विघ्न पूरा हो सके।
अंक शास्त्र से यह जाना जा सकता है कि आज का दिन आपके लिए कैसा रहेगा या किसी महीने की कौन सी तारीख आपके लिए अच्छी या बुरी रहेगी। इस तरह अंक शास्त्र का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। हमारे द्वारा अकं ज्योतिष के उपायो सहित जन्म कुन्डली बनाई जाती है,

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