रविवार, 3 अक्तूबर 2010

साढे साति आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं


शनिदेव की माहदशा या साढे साति आने पर जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते हैं। शनिदेव प्रायः किसी को क्षति नहीं पहुंचाते लेकिन मतिभ्रम की स्थिति अवश्य पैदा करते है, ऐसी परस्थिति में शनि शांति के लिये उपाय रामबाण का कार्य करते हैं। शनिदेव से प्राप्त कष्टों से बचाव की जानकारियों के लिये आप भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर मेरठ कैन्ट से सम्पर्क कर सकते है।
ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को शनैश्चर कहा गया है। यह सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रहमाना गया है। यह ग्रहो में बड़ा है इसलिए यह एक राशि का भ्रमण करने में ढाई वर्ष तथा 12 राशियों का भ्रमण करने में लगभग 30 वर्ष का समय लगाता है। यह जैसा दिखता है, वैसा नहीं है। इसे एक उदासीन, निराशावादी, ढीठ और जिद्दी ग्रह भी माना गया है। शनि ग्रह की प्रकृति विशिष्ट है;हमारे धर्म ग्रन्थों में शनि को काना, बहराए, गूंगा, और अंधा माना गया है। शनि की गति मंद है। शनि की अपने पिता सूर्य से शत्रुता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें