सोमवार, 28 दिसंबर 2009

चंद्र ग्रहण आठ राशियों के जातकों पर भारी रहेगा, बाकी के लिये सामान्य है।

चंद्र ग्रहण आठ राशियों के जातकों पर भारी रहेगा, बाकी के लिये सामान्य है।

लगभग एक घंटे का यह ग्रहण यहां आंशिक रूप से दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण 31 दिसंबर-एक जनवरी की रात्रि 00.22 बजे से शुरू होगा। 00.53 बजे ग्रहण का मध्यकाल होगा, जबकि रात्रि 1.24 बजे समाप्त हो जायेगा। ग्रहण का समय एक घंटे से कुछ ज्यादा रहेगा। यह चंद्र ग्रहण पौष पूर्णिमा के दिन आद्रा नक्षत्र और मिथुन राशि में पड़ रहा है। मेरठ सहित उत्तर भारत में यह आंशिक रूप में दिखाई देगा। मेष, सिंह, कन्या, मकर राशियों के लिये ग्रहण सामान्य है, जबकि बाकी आठ राशियों के लिये कष्टप्रद हो सकता है। पौष मास की पूर्णिमा की रात्रि में खंडग्रास (आंशिक) चंद्रग्रहण संपूर्ण भारतवर्ष में दिखाई देगा। चंद्रमा को ग्रहण के ग्रास का स्पर्श (ग्रहण का प्रारंभ) 31 दिसंबर बीत जाने के बाद 1 जनवरी की मध्यरात्रि 12.22 बजे (भारतीय समयानुसार 0.22 बजे) होगा। ग्रहण का मध्यकाल रात्रि 12.53 बजे (भारतीय समयानुसार 0.53 बजे) होगा। इस समय चंद्रबिंब का 8.2 प्रतिशत भाग ग्रास से ग्रसित हुआ दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष (समापन) रात्रि 1.24 बजे होगा। चंद्रग्रहण का सूतक (वेध) इस खंडग्रास चंद्रग्रहण का सूतक स्पर्श (ग्रहण के प्रारंभ) के समय से 9 घंटे पूर्व शुरू होगा, अर्थात गुरुवार 31 दिसंबर को दोपहर 3.22 बजे से ग्रहण का सूतक लगेगा। ग्रहण के सूतक काल में भोजन-शयन, हास्य-विनोद, रतिक्रीड़ा, देवमूर्ति का स्पर्श, तेल-मालिश वर्जित है। लेकिन बालक, रोगी, वृद्ध और अशक्त सायं 7.52 बजे तक आहार और औषधि ग्रहण कर सकते हैं। मान्यता है कि कुश के स्पर्श से पदार्थ ग्रहण काल में दूषित नहीं होते हैं। गुरुवार 31 दिसंबर को दोपहर 3.22 बजे सूतक लगते ही मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे, जो दूसरे दिन शुक्रवार 1 जनवरी को खुलेंगे। चंद्रग्रहण का प्रभाव यह चंद्रग्रहण मिथुन राशि के अंतर्गत आद्र्रा नक्षत्र में पड़ेगा। भारतीय ज्योतिष के अनुसार विविध राशियों पर इस ग्रहण का फल निम्न प्रकार होगा- 1. मेष- समृद्धि 2. वृषभ- हानि, 3. मिथुन- आघात, 4. कर्क- क्षति, 5. सिंह- लाभ, 6. कन्या- सुख, 7. तुला- अपमान, 8. वृश्चिक- संकट, 9. धनु- जीवनसाथी को कष्ट, 10. मकर- आनंद, 11. कुंभ- चिंता, 12. मीन- तनाव।

यह ग्रहण राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों, उच्च पदाधिकारियों, धर्मात्माओं, विद्वानों, कलाकारों के लिए अति कष्टदायक रहने की संभावना है। देश के यमुना तटीय क्षेत्र, पंजाब, बिहार, दक्षिण भारत और पाकिस्तान के सिंध पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा।

गेहूं, चना, तेल, गुड़, घी, तिलहन, तरल (रस) पदार्थ, सूत-कपास, सोना-चांदी, लोहा, हल्दी, सरसों, लाल मिर्च, मसूर, छुआरा, सुगंधित वस्तुओं और श्रृंगार के सामान के मूल्य में तेजी आएगी। महंगाई और अशांति बढ़ेगी। चंद्रग्रहण के दृश्यकाल (पर्वकाल) में साधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है। ग्रहण की समाप्ति पर शुद्धि-स्नान और दान अवश्य करना चाहिए। जिन राशियों में ग्रहण का फल शुभ नहीं है, उनसे संबंधित लोग ग्रहण न देखें।

ग्रहण के कारक पृथ्वी, सूर्य एवं चंद्रमा क्रमश: पृथ्वी तत्व, तेज तत्व तथा जल तत्व के पर्याय हैं। जितने समय तक सूर्य की किरणों चंद्रमा तक पहुंचने में बाधित होती हैं, वही अवधि ग्रहणकाल के रूप में जानी जाती है। इन पंचतत्वों में से तीन तत्व ग्रहण के प्रमुख कारक हैं तथा यह घटना अंतरिक्ष अर्थात आकाश में होती है जो वायु के कई रूपों को स्वयं में समाहित किए हुए है। इस आधार पर कह सकते हैं कि पांच तत्वों की उपस्थिति में ग्रहण जैसी महत्वपूर्ण घटना घटित होती है। ग्रहण का प्रभाव भी सभी चर-अचर पर होना स्वाभाविक है।

जिस प्रकार सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र (हरियाणा) का विशेष महत्व होता है, उसी तरह चंद्रग्रहण में काशी का सर्वाधिक महत्व होगा। ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा को जल का कारक ग्रह माना गया है और काशी में गंगा चंद्राकार स्वरूप में दिखाई देती हैं। इसीलिए चंद्रग्रहण का सबसे अधिक अध्यात्मिक लाभ काशी में ही संभव है। लेकिन किसी भी नदी- सरोवर में नाभि तक जल में खड़े होकर मंत्र-साधना की जा सकती है। इसी कारण भारतीय संस्कृति में ग्रहण को एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि अध्यात्मिक साधना का महापर्व माना जाता है। आगामी चंद्रग्रहण भारत में इसके बाद चंद्रग्रहण शनिवार 26 जून 2010 को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को पड़ेगा, लेकिन यह देश के केवल पूर्वोत्तर राज्यों में ही बहुत कम समय के लिए आंशिक रूप से दिखाई देगा। ग्रहण जहां दिखाई देता है, वहीं उसका सूतक (वेध) माना जाता है।

ग्रहण आद्र्रा नक्षत्र व मिथुन राशि में घटित हो रहा है। अत: जिस जातक का जन्म नक्षत्र आद्रा है या जिसका जन्मनाम क,,छ से प्रारंभ हो रहा है, उसके लिए यह ग्रहण शुभफल प्रदाता है।

सत्ता से जुड़े दल आपसी वैमनस्यता के शिकार होंगे। सत्तारूढ़ दल में मतमतांतर संभावित है। राजनैतिक दलों में आपसी मतमतांतर के फलस्वरूप मंत्रिमंडल में परिवर्तन संभावित है।

ग्रहण का जनसामान्य पर भी विशेष प्रभाव रहेगा। मानव शरीर में 72 प्रतिशत पानी है। इस कारण जनसामान्य की विचार श्रंखला एवं मन:स्थिति विशेष प्रभावित होगी। मानसिक बाधा से ग्रसित रोगियों में उन्माद की स्थिति रह सकती है। प्रसवा महिलाओं में ऑपरेशन की अधिकता हो सकती है।

क्या करें

मंत्रग्रहण, मंत्रदीक्षा, जप, उपासना, पाठ, हवन, मानसिक जाप, चिंतन।

क्या नहीं करें

भोजन, भोजन पकाना, शयन, मल-मूत्र उत्सर्जन, रतिक्रिया, उबटन।

चंद्र ग्रहण का राशियों पर प्रभाव

मेष- रुके हुए कार्य पूर्णता की ओर बढ़ेंगे। सुख की अनुभूति होगी। मन शुभ विचारों से ओतप्रोत रहेगा। ओम अश्विनी कुमाराय नम: मंत्र का जाप करें।

वृष- अनावश्यक प्रपंच में पड़ सकते हैं। कार्यो में व्यवधान व हानि संभव। यात्रा निर्थक हो सकती है। ओम चंद्रमसे नम: मंत्र का जाप करें।

मिथुन- कार्यो में असफलता, शारीरिक कष्ट, वैमनस्यता, वाहन संचालन में सतर्कता, पारिवारिक विघटन। ओम दितिये नम: मंत्र का जाप करें।

कर्क- विनिमय में सतर्कता, उतावलापन हानिकारक, वाणी को पूर्ण संयत रखें, पारिवारिक सहयोग में कमी संभावित। ओम बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करें।

सिंह- यह ग्रहण आपके लिए शुभ है। व्यावसायिक लाभकारी अनुबंध होने की संभावना है। रुका धन प्राप्त हो सकता है। ओम अर्यमणो नम: मंत्र का जाप करें।

कन्या- उपयोगी समाचारों की प्राप्ति होगी। आमोद-प्रमोद में समय व्यतीत होगा। भवन या वाहन की समस्या का समाधान होगा। ओम आदित्याय नम: मंत्र का जाप करें।

तुला- कार्यो में अचानक व्यवधान संभावित है। अतिविश्वास आपकी प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है। ओम इंद्राय नम: मंत्र का जाप करें।

वृश्चिक- कई कार्य ऐसे होते हैं जो केवल सुनने-समझने के होते हैं। ऐसे में नए कार्यो को प्रारंभ करने का अभी समय नहीं है। ओम हों जुं स: महामंत्र का जाप करें।

धनु- खानपान का ध्यान रखें। साथी के स्वास्थ्य में गड़बड़ी हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय में अपेक्षित लाभ की संभावना है। ओम बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करें।

मकर- मिश्रित समय । नाकाऊ से दोस्ती नाकाऊ से बैर सिद्धांत का पालन करें। तटस्थ रहें, तेल में मुंह देखकर दान दें तथा ओम विष्णवे नम: महामंत्र का जाप करें।

कुंभ- शारीरिक श्रम की अधिकता होगी तथा वैचारिक उथल-पुथल के कारण कहीं बने बनाए कार्य लंबित ही रहेंगे। ओम वं वरुणाय नम: मंत्र का जाप करे

मीन- वैचारिक अस्थिरता बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में कुछ व्यवधान के पश्चात सफलता अर्जित करने में सफल होंगे। ओम पूष्णो नम: मंत्र का जाप करें।

यदि आप कुछ जानना चाहते है तो हमे मेल का सकते है। या फोन पर बात कर सकते है। मो--०९३५९१०९६८३---09808668008

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें