रविवार, 25 दिसंबर 2011

इस बार 57 साल बाद शनिश्चरी अमावस्या 24 को, इन मंत्रों से होगी हर परेशानी दूर

इस बार 57 साल बाद शनिश्चरी अमावस्या 24 को, इन मंत्रों से होगी हर परेशानी दूर -
भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह की अपनी प्रकृति है और वह उसी के अनुसार किसी व्यक्ति पर असर डालता है। मनुष्य जीवन पर सबसे अधिक समय तक यदि कोई ग्रह प्रभाव डालता है तो वह है शनि। शनि किसी भी धनवान व्यक्ति को भिखारी भी बना सकता है। ग्रहों के मुख्य नियंत्रक हैं शनि। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनिदेव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। इस बार 57 साल बाद अपने नक्षत्र केतु और अपनी उच्च राशि तुला में शनिवार के दिन शनि अमावस्या आ रही हैं इससे पूर्व वर्ष 1954 में ऐसा हुआ था, जब अपने नक्षत्र और उच्च राशि तुला में शनि अमावस्या आई हो। इस बार मूल नक्षत्र केतु का काल 24 दिसंबर को सुबह 9.19 बजे ज्येष्ठा नक्षत्र का उपरांत प्रारंभ होगा।वर्ष 2012 में एक बार अप्रैल में शनि अमावस्या आएगी
अमावस्या का महत्व
शास्त्रों के अनुसार देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृ दोष हो, संतान हीन योग बन रहा हो या फिर नवम भाव में राहू नीच के होकर स्थित हो, उन व्यक्तियों को यह उपवास अवश्य रखना चाहिए. इस उपवास को करने से मनोवांछित उद्देश्य़ की प्राप्ति होती है. विष्णु पुराण के अनुसार श्रद्धा भाव से अमावस्या का उपवास रखने से पितृ्गण ही तृ्प्त नहीं होते, अपितु ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, विश्वेदेव, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते है.
24 दिसम्बर को शनि अमावस्या है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएं पूरी करता है। सा़ढ़ेसाती व ढैया प्रभावित जातक शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं क्रूर नहीं कल्याणकारी हैं शनि। इस दिन विशेष अनुष्ठानों से पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पा सकता है। इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है, इसलिए शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध जरूर करना चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनिदेव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बडी सहजता से हो जाता है।
24 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या है। इस अवसर पर यदि शनिदेव को प्रसन्न किए जाए तो उनका कुप्रभाव कम हो सकता है। नीचे शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्र दिए हैं। इनके विधिवत जप से शनिदेव प्रसन्न हो जाते हैं-
वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।
लघु मंत्र
ऊँ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।
जप विधि
शनिश्चरी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।
24 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या है। यदि इस दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उपाय किए जाएं तो शनिदेव अति प्रसन्न होते हैं तो जीवन में आ रही परेशानियों को कम कर देते हैं। यदि आप भी शनि पीड़ा से मुक्ति चाहते हैं तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन नीचे लिखे टोटके करें-
टोटके
*- कांसें की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखकर दान करें।
*- सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर दान करें और पीपल की जड़ में तेल चढ़ाएं।
*- शनिश्चरी अमावस्या केदिन सूर्यास्त के समय जो भोजन बने उसे पत्तल में लेकर उस पर काले तिल डालकर पीपल की पूजा करें तथा नैवेद्य लगाएं और यह भोजन काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।
*- तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं।
जिन जातक की जन्म कुंडली या राशियों पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है वे इसकी शांति व अच्छे फल प्राप्त करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं।
*पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और उनके दर्शन करे ।
*श्री शनिदेव का आह्वान करने के लिए हाथ में नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत व जल लेकर इस मंत्र का जाप करते हुए प्रार्थना करें- ह्रीं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायार्मात्ताण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्।। ह्रीं बीजमय, नीलांजन सदृश आभा वाले, रविपुत्र, यम के अग्रज, छाया मार्तण्ड स्वरूप उन शनि को मैं प्रणाम करता हूं और मैं आपका आह्वान करता हूँ॥
*शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे अनुकूल मंत्र है ' शनि मंत्र --ॐ शं शनैश्चराय नम:,इस मंत्र का जाप करे .इस दिन आप श्री शनि देव के दर्शन जरूर करें।
*शनिदेव की दशा में अनुकूल फल प्राप्ति कराने वाला मंत्र ( ओम् प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:)
*श्री शनिदेव का अदभुद वैदिक मंत्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम् छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥
* इस दिन मनुष्य को सरसों का तेल, उडद, काला तिल, देसी चना, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री अपने ऊपर वार कर शनिदेव के चरणों में चढाकर शनिदेव का तैलाभिषेक करना चाहिए।
* शनिश्चरी अमावस्या को सुबह या शाम शनि चालीसा का पाठ या हनुमान चालीसा, बजरंग बाण का पाठ करें।
*. पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज और सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
*. तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबों को दान करें और पक्षियों को खिलाएं .
*. शनि अमावस्या के दिन बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करें। अवश्य धन प्राप्ति होगी।
* शनि अमावस्या के दिन संपूर्ण श्रद्धा भाव से पवित्र करके घोडे की नाल या नाव की पेंदी की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें।
* शनि अमावस्या के दिन 108 बेलपत्र की माला भगवान शिव के शिवलिंग पर चढाए। साथ ही अपने गले में गौरी शंकर रुद्राक्ष 7 दानें लाल धागें में धारण करें।
* जिनके ऊपर शनि की अशुभ दशा हो ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे
आपकी राशि- प्रभाव - उपचार
मेष - दुर्घटना, यश हानि - शनि का तेलाभिषेक
वृष - आकस्मिक लाभ - लोहे की वस्तुदान
मिथुन - रोग व शत्रु पीड़ा - उड़द की वस्तुदान
कर्क - कर्ज से मुक्ति - शनि का तेलाभिषेक
सिंह - पारिवारिक कलह - बंदरों को गुड़ एवं चने
कन्या - धनलाभ, विदेशयात्रा - लोहे की वस्तुदान
तुला - मान-सम्मान में वृद्धि - उड़द की वस्तुदान
वृश्चिक - मानसिक क्लेश - लोहा एवं तेलदान
धनु - स्थान परिवर्तन, विदेश यात्रा- काले वस्त्रदान
मकर - आर्थिक लाभ, समृद्धि - शनि यंत्र की पूजन
कुंभ - राज पद की प्राप्ति - पानी में कोयला प्रवाह
मीन - कार्य सिद्धि - तेल, तिल व गुड़ का दान
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

1 टिप्पणी:

  1. पहली बार आप के ब्लॉग पर आना हुआ,अच्छा लगा देख कर,इस विषय पर इतनी अच्छी तरह से जानकारी शायद किसी ब्लॉग पर नहीं,हो तो मैं ने अभी देखा नहीं ,आभार .....लगता है आना जाना लगा रहेगा यहाँ....

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