सोमवार, 19 अक्तूबर 2009

हमारी एक गलती कई पिडियों को कर्ज में डूबो देती हैं

आज समाज में धनवान व्यक्ति के लिये सबकुछ माफ हैं जिसके पास धन (लक्ष्मी) नही हैं उसके न मित्र हैं न भाई न बन्धु स्वजन परिजन आदि सभी साथ छोड कर चले जाते है,धनहिन होना एक अलग बात हैं परन्तु यदि आप कर्जदार हैं तो आपके लिये कष्टदायक है कर्ज न उतरे- निरन्तर बढता रहें यह उससे भी ज्यादा दुख दायी हैं।मेरे पास पिछले एक वर्ष से एक बडे उधोगपति के परिवार के सदस्य जन्म पत्रियो को दिखाते चले आरहे थे और हर बार केवल एक प्रश्न गुरू जी हमारे परिवार का प्रत्येक व्यक्ति कर्जदार क्यो बनता जा रहा हैं। जबकि परिवार अधिकतर व्यक्तियों के व्यापार भी ठिक हैं काम मिलने में भी हमको कोई ज्यादा परेशानियां नही आती हैं। इस परिवार के कई रिशतेदार प्रदेश व केन्द्र सरकार में उच्चअधिकरी हैं। मेरे द्धारा उन्हे कई उपाय कराये गये परन्तु कुछ समय लगता हैं कि लाभ हैं फिर ऐसा लगने लगता कि कर्ज नहीं उतरेगा। एक दिन परिवार के सभी सदस्यों की जन्म पत्रियों को देखने के लिये परिवार के एक सदस्य के घर पर मै गया ग्रहों कि दशा तथा कुन्डलियों के योगो को देखने के पश्चात ऐसा काई योग सामने नही आया जिससे लगे कि इनके परिवार पर कर्ज निरन्तर बढ रहा है। जिस दिन मैं उनके घर पर सभी कि जन्म पत्रियों को देख रहा था वह दिन था मंगलवार का तभी उनके परिवार के एक सदस्य ने कहा गुरूजी अगर बुरा न माने तो मैं और मेरी पत्नी जरा बैंक चले जाये लोन के कागजों पर आज हस्ताक्षर हो गये तो आज ही लोन ऐकाउन्ट में आ जायेगा नहीं तो चार दिन की छुटटी हो जायेगी उस समय मैने कहा ठिक है अभी मैं चाय पी ही रहा था कि मुझे याद आया कि आज मंगलचार है यदि आज भी इन्होंने बैंक से कर्ज लिया तो यह कर्ज इन पर और चढ जायेगा तथा उतरने का नहीं है। मैंने फोन पर तुरन्त मना कि कि वह आज कर्ज न लें चाहे कुछ भी हो वह लोग बैंक से वापस चले आये उसके पश्चात मैंने उन्हें बताया कि आपके घर से लक्ष्मी के रूठने के कारण क्या हैं। कभी-कभी पूर्वजन्म के पाप स्वरूप जन्म कुण्डली में दुष्ट ग्रहों के योग से पर्याप्त श्रम सामर्थ्य करने पर भी अभीष्ट धन की प्राप्ति नहीं हो पाती। जीवन अभाव ग्रस्त हो जाता है। अत जिन कारणों से लक्ष्मी जी अप्रसन्न हो जाती हैं सर्वप्रथम उन्हें दूर करने का प्रयत्न चाहिए इसके उपरान्त ऐसी परिस्थितियों से त्राण के लिए और अभीष्ट धन की प्राप्ति के लिए हमारे ऋषिवरों ने जो उपाय बतायें हैं उनका यथा सम्भव उपयोग करने से अपनी श्री सम्पन्नता में वृद्धि कर सकते हैं।मंगलवार को ऋण लेने से लक्ष्मी का रूठना प्रारम्भ हो जाता है और बहुत काल तक ऐसा करने से लक्ष्मी पलायित हो जाती है। मंगलवार को लिया हुआ ऋण वापस जाने का नाम नहीं लेता और घर में ऋण का स्थायी वास हो जाता है और नये-नये ऋण लेने की स्थितियां पैदा करता रहता है। इसी प्रकार रविवार को जब हस्त नक्षत्र पडे तब व़द्धि योग और संक्रान्ति के पुण्यकाल में तथा जब मंगलाव को चतुर्थी, नवमी अथवा चतुर्दशी तिथि पडे तब भी ऋण नहीं लेना चाहिए इस दिन लिया हुआ ऋण उसके कुल में विद्यमान रहता है और लक्ष्मी के रूठने का प्रमुख कारण बनता है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय मित्र आपका धन्यवाद साथ हि निवेदन यदि हिन्दी भाषा में आपके सन्देश प्राप्त होगे तो हिन्दी सेवा प्रारम्भ करने का उददेश्य सार्थक हो जायेगा।

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  2. बहुत ही अच्छी जानकारी आप देते है। जारी रखे....


    http://sunitakhatri.blogspot.com

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  3. pandit ji kya aap ek kundali dekh sakte hain....ye meri kundali nahi..hai meri sister kee hai uskee shaadi ko lekar kaafi pareshan hain...aur hamari mataji to bahut pareshan hain...aap to samjh sakte hee hain ki maa ke liye beti ke haath peele karna kitna jaroori hai...

    agar aap agree hain to aap apna mail id bata dein main aap ko kundali ya detail mail kar dunga...

    ye kundali gyan to waise bhee samaj seva ke liye hai...........
    aapka dhanyavaad....

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