बुधवार, 19 अगस्त 2009

लक्ष्मी, ऐश्वर्य,वशीकरहण,उच्चाटन,पुत्र प्राप्ति,राज सम्मान,सुख और संपत्ति की प्राप्ति के मार्ग

नवरात्रों के प्रारम्भ होने से पूर्व अपने सभी मित्रों को बताने का प्रयास कर रहा कि हमें आराधना करते समय और भगवान से कुछ मांगते समय किन किन नियमो का पालन करना चाहिऐ। हम मन से भगवान कि प्रार्थना कर रहें परन्तु उसके पश्चात भी हमारी कामना पुर्ण नहीं हो पा रही हैं इसके लिये भगवान को दोष देते हैं जो ठिक नहीं मैं जो जानता हुं अपके सामने रख कर प्रयास कर चाहता हुं कि आप भी उन नियमो का पालन करे जो शास्त्रो में लिखे हैं इन्हीं के आधार पर हमारें पुर्वजो ने राजा,महाराजाओं को लक्ष्मी, ऐश्वर्य,वशीकरहण,उच्चाटन,पुत्र प्राप्ति,राज सम्मान,सुख और संपत्ति की प्राप्ति के मार्ग दिखाये थे। आप भी इन्हें प्रयो्र में लाये और लाभ उठायें।
- लक्ष्मी, ऐश्वर्य, धन संबंधी प्रयोगों के लिए पीले रंग के आसन का प्रयोग करें।
- वशीकरहण, उच्चाटन आदि प्रयोगों के लिए काले रंग के आसन का प्रयोग करें। बल, शक्ति आदि प्रयोगों के लिए लाल रंग का आसन का प्रयोग करें।
- सात्विक साधनाओं, प्रयोगां के लिए कुशा के बने आसन का प्रयोग करें।
- वस्त्र - लक्ष्मी संबंधी प्रेयोगों में आप पीले वस्त्रों का ही प्रयोग करें। यदि पीले वस्त्र न हों तो मात्र धोती पहन लें एवं उपर शाल लपेट लें। आप चाहे तो धोती को केशर के पानी में भिगोंकर पीला भी रंग सकते हैं।
हवन- जायफल से कीर्ति और किशमिश से कार्य की सिद्धि होती है।
आंवले से सुख और केले से आभूषण की प्राप्ति होती है। इस प्रकार फलों से अर्ध्य देकर यथाविधि हवन करें।
खांड, घी, गेंहूं, शहद, जौं, तिल, बिल्वपत्र, नारियल, किशमिश और कहदंब से हवन करें।
गेंहूं से होम करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
खीर से परिवार, वृद्धि, चम्पा के पुष्पों से धन और सुख की प्राप्ति होती है।
आवंले से कीर्ति और केले से पुत्र प्राप्ति होती है।
कमल से राज सम्मान और किशमिश से सुख और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
खांड, घी, नारियल, शहद, जौं और तिल इनसे तथा फलों से होम करने से मनवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है। व्रत करने वाला मनुष्य इस विधान से होम कर आचार्य को अत्यंत नम्रता के साथ प्रणाम करें और यज्ञ की सिद्धि के लिए उसे दक्षिणा दें इस महाव्रत को पहले बताई हुई विधि के अनुसार जो कोई करता है उसके सब मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र व्रत करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है।
नवार्ण मंत्र को मंत्रराज कहा गया है।
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चे ।
शीघ्र विवाह के लिए
क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए स्फटिक की माला पर।
ओंम ऐं हृी क्लीं चामुणयै विच्चे।
परेशानियो के अन्त के लियें
क्लीं ह्री ऐं चामुण्डायै विच्चें।

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