शनिवार, 15 अगस्त 2009

शनि की नज़र 9 सितम्बर 2009 के उपरांत शनि कन्या राशि में शनि साढे़साती किस को कष्ट देगी किस को

9 सितम्बर 2009 को शनि कन्या राशि में तथा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में भ्रमण करेंगे तथा पूरे साल कन्या राशि में ही रहेंगे। मत्स्य पुराण में महात्मा शनि देव का शरीर इन्द्र कांति की नीलमणि जैसी है,वे गिद्ध पर सवार है,हाथ मे धनुष बाण है एक हाथ से वर मुद्रा भी है, शनि देव का विकराल रूप भयावना भी है.शनि पापियों के लिये हमेशा ही संहारक हैं.शनि प्रधान जातक तपस्वी और परोपकारी होता है,वह न्यायवान,विचारवान,तथा विद्वान भी होता है,बुद्धि कुशाग्र होती है,शान्त स्वभाव होता है,और वह कठिन से कठिन परिस्थति में अपने को जिन्दा रख सकता है. ‘सूर्य एक राशि पर एक महीने, चंद्रमा सवा दो दिन, मंगल डेढ़ महीने, बुध और शुक्र एक महीने, वृहस्पति तेरह महीने रहते हैं, शनि किसी राशि पर साढ़े सात वर्ष (साढ़े साती) तक रहते है। शनि की कुदृष्टि से राजाओं तक का वैभव पलक झपकते ही नष्ट हो जाता है। शनि की साढ़े साती दशा जीवन में अनेक दु:खों, विपत्तियों का समावेश करती है। अत: मनुष्य को शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए शनिवार का व्रत करते हुए शनि देवता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मेष: मेष राशि के जातकों के लिए शनि छठे भाव में आए हैं। शत्रु , बीमारी तथा कर्जे से मुक्ति मिलेगी। वैवाहिक जीवन का आनंद उठाएंगे तथा धन प्राप्ति के योग बनेंगे। वृष: शनि पंचम भाव में विचरण करेंगे। विवादों एवं झूठे प्रत्यारोप धन हानि की ओर संकेत देते हैं। मानसिक तनाव के साथ-साथ संतान से मतभेद की स्थिति आ सकती है। मिथुन: शनि की लघु कल्याणी ढैया चलेगी। पारिवारिक विवादों असंतुष्टि आर्थिक हानि के साथ-साथ खर्चों में वृद्धि से परेशानी बनेगी। विवाद तथा खिन्नता रहेगी। कर्क: तृतीय भाव में शनि सफलता , आनंद , उत्सव , नौकरी अथवा व्यापार में उन्नति के साथ-साथ धन लाभ के योग बनेंगे। शत्रुओं की पराजय के साथ-साथ सम्मान के पात्र भी बनेंगे। सिंह: स्वास्थ्य में कमी , धन हानि विवादों तथा अनावश्यक खर्चों से परेशानी का अनुभव होगा। मानसिक अशांति , पत्नी के स्वास्थ्य में गिरावट , शत्रु बाधा से परेशानी अनुभव करेंगे। शनि साढ़ेसाती की अंतिम ढैया से भी परेशानी एवं धन हानि के योग बनेंगे। कन्या: शनि साढ़ेसाती मध्य में रहेगी। पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य में कमी के कारण परेशानी होगी। शत्रुओं से भय प्राप्त , सम्मान हानि के योग बनेंगे। प्रयासों में असफलता तथा खर्चों में बढ़ोत्तरी के कारण परेशान रहेंगे। तुला: शनि साढ़ेसाती की प्रथम ढैया रहेगी। दुर्घटना से खतरा रहेगा। परिवार में विवाद तथा कानूनी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। वृश्चिक: धन लाभ के साथ-साथ स्थाई सम्पत्ति का लाभ प्राप्त होने के योग बनेंगे। सम्मान उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे और पारिवारिक प्रसन्नता रहेगी। धनु: बीमारी तथा परिवार में अशान्ति बनने से खिन्नता रहेगी। धन हानि के संकेत भी हैं। विवादों से बचें। सम्मान में कमी का अनुभव करेंगे। मकर: आय में कमी तथा शत्रु बाधा से परेशानी होगी। प्रयासों में असफलता से खिन्नता का अनुभव करेंगे। विवादों तथा झगड़े झंझटों से बचना बेहतर रहेगा। कुंभ : परिवार में विवाद , स्वास्थ्य में गिरावट , पत्नी को कष्ट रिश्तेदारों से अनबन तथा निन्दा के पात्र बनेंगे। असफलता के कारण खिन्नता , शत्रुओं द्वारा नुकसान की संभावना रहेगी। शनि की अष्टम लघु कल्याणी ढैया बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। मीन: परिवार में अलगाव खर्च में बढ़ोतरी से परेशानी , स्वास्थ्य में कमी तथा सदूर कष्टदायी यात्रा का योग है। पत्नी का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। शनि की अशुभता जानने के लिये जन्मपत्रिका में शनि की स्थिति को देखा जाता हैं जिन व्यक्तियों कि जन्मपत्रिका में शनि (6.8.12) भावो का स्वामी होकर निर्बल हो मारकेश हो चतुर्थेश व पंचमेश होकर स्थिति में हों नीच राशीगत हों शत्रु राशीगत हो वक्री व अस्त हो बलहीन हो उन्हें शनि के अशुभ फल प्रप्त होते है। शनि के कष्टो से छुटकारा पाने के लिये शनि को प्रसन्न करने के लिये अनेक उपायो का वर्णन ज्योतिष शास्त्रो एवं हिन्दू धर्मग्रन्थो में मिलते हैं। शनि कि अनुकूलता के ‍लिये हमारे ग्रर्न्थो मे अनेक स्तोत्र मन्त्र टोटकें पूजा दान आदि अनेक उपाय हैं
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसंधान केन्द्र सदर मेरठ

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