दान कैसा हो और क्यों हो ?
जब से हमारे द्धारा नेट पर ब्लाक के माध्यम से आप सभी के सम्पर्क में आये हैं तो अनेक प्रश्नो को लिये हुए मेल प्राप्त हो रहे है सभी का उत्तर एक साथ नही दिया जा सकता इस कारण एक प्रश्न का उत्तर यहां देने का प्रयास है।
श्रीमद्भगवदगीता में भगवान कहते है
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेनुपकारिणे।
दातव्यमिति यद्दानं दीयतेनुपकारिणे।
देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्विकं स्मृतम।। श्रीमद्भगवदगीता (अ0 17)
जीवन में दान देना ही कर्तव्य/धर्म है - इस भाव से जो दान योग्य देश, काल को देखकर ऐसे पात्र व्यक्ति को दिया जाता है, जिसमें प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं होती है, वह दान सात्त्विक माना गया है। तदित्यनभिसन्धाय फलं यज्ञतपः क्रियाः ।
दानक्रियाश्च विविधाः क्रियन्ते मोक्षकांक्षिभि।। श्रीमद्भगवदगीता (अ0 17)
तत् शब्द का उच्चारण कर , फल की इच्छा नहीं रखते हुए, मुमुक्षुजन यज्ञ, तप, दान आदि विविध कर्म करते है। बहुत से शिष्यो का प्रश्न होता हैं मुक्ति कैसे मिलती है दान कर्तव्य समझकर योग्य व्यक्ति को बिना किसी अपेक्षा के देना चाहिए। दान करने से अहंकार का नाश होता है। अहंकार के अभाव में, अन्तःकरण की पूर्वार्जित वासनाएं नष्ट हो जाती हैं और नई वासनाएं उत्पन्न नहीं होती। यह भी मुक्ति का एक मार्ग है। "दानशीलता ऐसा प्रयास है, जिसके जरिए आप अपने जीवन का दायरा बढ़ाने और अपने चारों ओर के समस्त तत्वों को समाहित करने का प्रयास करते हैं। इसके जरिए आप दूसरों की जरुरतों को उतना ही महत्त्वपूर्ण मानने की कोशिश करता हैं जितनी कि आपकी खुद की जरुरतें हैं। हमारे सस्थांन / केन्द्र के ज्योतिषाचायों के अनुभव का लाभ उठायें। हिन्दु शास्त्रो में कहां गया हैं नवरात्रो से लेकर गोवर्धन के पश्चात तक संसार को चलाने वाले सभी देवी देवता धरती पर रहकर जनकल्याण के कार्यो को करते हैं तथा उन भक्तो की सुनते हैं जो उन्हे अपने कष्टो के निवारणार्थ पुकारते हैं। यदि आप अपने लग्न चक्र , राशि के आधार पर जानना चाहते है कि आपको दीपावली पर क्या करना चाहिये जिससे आपके घर में लक्ष्मी का सदा निवास करे, प्रसन्न रहे तो हमारे को मेल पर नाम एवं जन्म तिथि जन्म समय जन्म स्थान भेजकर करे और ज्ञात करे।
mahatwapurna jaankari ke liye aabhaar.
जवाब देंहटाएंachee jaankaari hai ...
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