
सन्तान कि इच्छा रखे लडका हो या लडकी ये सब भगवान के हाथ में है 278 व्यक्तियो ने लाभ प्रप्त किया हैं29 अक्टूबर- श्रीहरि-प्रबोधिनी एकादशी व्रत, देवोत्थान उत्सव, तुलसी-विवाहोत्सव शुरू रवियोग सायं 4.49 बजे तक। क्या आपको संतान की इच्छा हैं और आपने बडे बडे डाक्टरो कि सलाह और हजारो रूपये टेस्टों मे खर्च कर दिये और उसके पश्चात भी आप परेशान हैं सफलता आपसे कोसो दुर हैं। मै आपको अपने अनुभव के आधार पर सलाह दे रहा हूं कि आप 29 अक्टूबर 2009 को धूमधाम से तुलसी का विवाह को मन और आस्था के साथ मनाये अब तक लगभग 278 व्यक्तियो ने लाभ प्रप्त किया हैं आज इन्होको तुलसी मां और भगवान विष्णु से प्रसाद रूप में सन्तान कि प्राप्ति है सन्तान कि इच्छा रखे लडका हो या लडकी ये सब भगवान के हाथ में है परन्तु आपको अवगत करा दूं यदि आपने लडके कि इच्छा से गृभपात कराया है या भूर्ण हत्या के आप किसी प्रकार से अपराध मे लिप्त हैं तो आपको लाभ मिलने मे सन्देह हैं।
जैसे कन्या का विवाह करते हैं, वैसे ही धूमधाम से तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ करने का रिवाज है। तुलसी के पौधे को ओढ़नी पहना कर, सोलह श्रृंगार करके पूरे गाजे-बाजे के साथ तुलसी विवाह करवाया जाता है। खुले आकाश के नीचे चौराहे के निकट केले के चार खम्बों का विवाह मंडप बनाकर उसे वंदनवार और तोरण आदि से सजाया जाता है। विष्णु भगवान की मूर्ति के साथ सोने या चांदी की तुलसी की प्रतिमा बनाकर, फेरों के लिए पास ही हवन की वेदी बनाई जाती है। ज्योतिष शा7 के अनुसार शुभ विवाह मुहूर्त में योग्य ब्राह्मण के सहयोग से गोधूलि वेला में कन्यादान कुशकंडी हवन और अग्नि परिक्रमा आदि विधियों सहित भगवान विष्णु जी और तुलसी जी का विवाह संपन्न करवाया जाता है और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर फिर स्वयं भोजन करने का विधान है यानी माता तुलसी के विवाह के समय भी बेटी के विवाह जैसा ही आयोजन, गीत-संगीत और विदाई आदि की रस्में होती हैं। इस दिन उपवास रखा जाता है। पूर्व जन्म के पापों को दूर करने के लिए एवं सौभाग्य, दीर्घायु, संतान सुख के लिए, संतान की शादी में आने वाली रुकावटों को दूर करने, कन्या प्राप्ति के लिए तुलसी विवाह अवश्य करवाना चाहिए। हमारे पूर्वज स्वर्ग में कामना करते हैं कि हमारे वंशज कन्या दान करके उन्हें मोक्ष दिलाएं, परंतु जिनके घर में कन्या न हो तो वे प्राणी तुलसी की शादी करके अपने पूर्वजों की कामना को पूरा कर सकते हैं।