इस वर्ष 2011 में आप शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव में नहीं है इसलिए आपको शनि शमन के उपाय करने की कोई आवश्यकता नहीं है परन्तु िफर भी आप भविष्य मे शनि देव के प्रकोप से बचने के लिये प्रत्येक शनि वार के दिन निम्न लिखित उपाय अवश्य करे।
शनि के उपायशनि अशुभ फलों के उपाय
1. राजा दशरथ विरचित शनि स्तोत्र के सवा लक्ष जप।
2. शनि मंदिर या चित्र पूजन कर प्रतिदिन इस मंत्र का पाठ करें:-
नमस्ते कोण संस्थाय, पिंगलाय नमोस्तुते।
नमस्ते वभु्ररूपाय, कृष्णाय च नमोस्तुते ।।
नमस्ते रौद्रदेहाय, नमस्ते चांतकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय, नमस्ते सौरये विभौ।।
नमस्ते मंदसंज्ञाय, शनैश्चर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरू में देवेश, दीनस्य प्रणतस्य च।।
3. घर में पारद और स्फटिक शिवलिंग (अन्य नहीं) एक चौकी पर, शुचि बर्तन में स्थापित कर, विधानपूर्वक पूजा अर्चना कर, रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।
4. सुंदरकाण्ड का पाठ एवं हनुमान उपासना, संकटमोचन का पाठ करें।
5. हनुमान चालीसा, शनि चालीसा और शनैश्चर देव के मंत्रों का पाठ करें। ऊँ शं शनिश्चराय नम:।।
6. शनि जयंती पर, शनि मंदिर जाकर, शनिदेव का अभिषेक कर दर्शन करें।
7. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: के 23,000 जप करें फिर 27 दिन तक शनि स्तोत्र के चार पाठ रोज करें।
8. शनिवार को सायंकाल पीपल के पेड के नीचे मीठे तेल का दीपक जलाएं।
9. घर के मुख्य द्वार पर, काले घोडे की नाल, शनिवार के दिन लगावें।
आप समस्या निदान के लिये सम्पर्क कर सकते है प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र मोबाईल नम्बर 09359109683
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