रविवार, 31 मार्च 2013

हनुमान प्रश्नावली चक्र: हर व्यक्ति के मन में अपने भविष्य के प्रति कई प्रश्न होते हैं


हनुमान प्रश्नावली चक्र:
हर व्यक्ति के मन में अपने भविष्य के प्रति कई प्रश्न होते हैं। वह हमेशा उन प्रश्नों के उत्तर की खोज में लगा रहता है लेकिन उन प्रश्नों का उत्तर मिलना बहुत कठिन होता है। ऐसे में हनुमान ज्योतिष के माध्यम से हर प्रश्न का उत्तर आसानी से जाना जा सकता है। इस आर्टिकल के साथ हनुमान प्रश्नावली चक्र प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें आपके हर प्रश्न का उत्तर छिपा है।
उपयोग विधि
जिसे भी अपने प्रश्नों का उत्तर चाहिए वे स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करे और पांच बार ऊँ रां रामाय नम:मंत्र का जप करने के बाद 11 बार ऊँ हनुमते नम:मंत्र का जप करे। इसके बाद आंखें बंद हनुमानजी का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें।
 जिस कोष्ठक(खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक को देखकर अपने प्रश्न का उत्तर देखें। कोष्ठकों के अंकों के अनुसार फलादेश

1- आपका कार्य शीघ्र पूरा होगा।

2- आपके कार्य में समय लेगगा। मंगलवार का व्रत करें।

3- प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें तो कार्य शीघ्र पूरा होगा।

4- कार्य पूर्ण नहीं होगा।

5- कार्य शीघ्र होगा, किंतु अन्य व्यक्ति की सहायता लेनी पड़ेगी।

6- कोई व्यक्ति आपके कार्यों में रोड़े अटका रहा है, बजरंग बाण का पाठ करें।

7- आपके कार्य में किसी स्त्री की सहायता अपेक्षित है।

8- आपका कार्य नहीं होगा, कोई अन्य कार्य करें।

9- कार्यसिद्धि के लिए यात्रा करनी पड़ेगी।

10- मंगलवार का व्रत रखें और हनुमानजी को चोला चढ़ाएं, तो मनोकामना पूर्ण होगी।

11- आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी। सुंदरकांड का पाठ करें।

12- आपके शत्रु बहुत हैं। कार्य नहीं होने देंगे।

13- पीपल के वृक्ष की पूजा करें। एक माह बाद कार्य सिद्ध होगा।

14- आपको शीघ्र लाभ होने वाला है। मंगलवार को गाय को गुड़-चना खिलाएं।

15- शरीर स्वस्थ रहेगा, चिंताएं दूर होंगी।

16- परिवार में वृद्धि होगी। माता-पिता की सेवा करें और रामचरितमानस के बालकाण्ड का पाठ करें।

17- कुछ दिन चिंता रहेगी। ऊँ हनुमते नम: मंत्र की प्रतिदिन एक माला का जप करें।

18- हनुमानजी के पूजन एवं दर्शन से मनोकामना पूर्ण होगी।

19- आपको व्यवसाय द्वारा लाभ होगा। दक्षिण दिशा में व्यापारिक संबंध बढ़ाएं।

20- ऋण से छुटकारा, धन की प्राप्ति तथा सुख की उपलब्धि शीघ्र होने वाली है। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
21- श्रीरामचंद्रजी की कृपा से धन मिलेगा। श्रीसीताराम के नाम की पांच माला रोज करें।

22- अभी कठिनाइयों का सामाना करना पड़ेगा पर अंत में विजय आपकी होगी।

23- आपके दिन ठीक नहीं है। रोजाना हनुमानजी का पूजन करें। मंगलवार को चोला चढ़ाएं। संकटों से मुक्ति मिलेगी।

24- आपके घर वाले ही विरोध में हैं। उन्हें अनुकूल बनाने के लिए पूर्णिमा का व्रत करें।

25- आपको शीघ्र शुभ समाचार मिलेगा।

26- हर काम सोच-समझकर करें।

27- स्त्री पक्ष से आपको लाभ होगा। दुर्गासप्तशती का पाठ करें।

28- अभी कुछ महीनों तक परेशानी है।

29- अभी आपके कार्य की सिद्धि में विलंब है।

30- आपके मित्र ही आपको धोखा देंगे। सोमवार का व्रत करें।

31- संतान का सुख प्राप्त होगा। शिव की आराधना करें व शिवमहिम्नस्तोत्र का पाठ करें।

32- आपके दुश्मन आपको परेशान कर रहे हैं। रोज पार्थिव शिवलिंग का पूजन कर शिव ताण्डवस्तोत्र का पाठ करें। सोमवार को ब्राह्मण को भोजन कराएं।

33- कोई स्त्री आपको धोखा देना चाहती है, सावधान रहें।

34- आपके भाई-बंधु विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को व्रत रखें।

35- नौकरी से आपको लाभ होगा। पदोन्नति संभव है, पूर्णिमा को व्रत रख कथा कराएं।

36- आपके लिए यात्रा शुभदायक रहेगी। आपके अच्छे दिन आ गए हैं।

37- पुत्र आपकी चिंता का कारण बनेगा। रोज राम नाम की पांच माला का जप करें।

38- आपको अभी कुछ दिन और परेशानी रहेगी। यथाशक्ति दान-पुण्य और कीर्तन करें।

39- आपको राजकार्य और मुकद्मे में सफलता मिलेगी। श्रीसीताराम का पूजन करने से लाभ मिलेगा।

40- अतिशीघ्र आपको यश प्राप्त होगा। हनुमानजी की उपासना करें और रामनाम का जप करें।

41- आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

42- समय अभी अच्छा नहीं है।

43- आपको आर्थिक कष्ट का सामना करना पड़ेगा।

44- आपको धन की प्राप्ति होगी।

45- दाम्पत्य सुख मिलेगा।

46- संतान सुख की प्राप्ति होने वाली है।

47- अभी दुर्भाग्य समाप्त नहीं हुआ है। विदेश यात्रा से अवश्य लाभ होगा।

48- आपका अच्छा समय आने वाला है। सामाजिक और व्यवसायिक क्षेत्र में लाभ मिलेगा।

49- आपका समय बहुत अच्छा आ रहा है। आपकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होगी।

प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

श्री सालासर बालाजी स्वयं स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। हर रोज दूर-दूर से भक्त मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनोवांछित फल पाते हैं।

राजस्थान के चुरू जिले में स्थित श्री सालासर धाम पर श्रद्धालुओं का तांता साल भर लगा रहता है। शक्ति पीठ का इतिहास सन् 1754 ई. में नागौर के असोटा निवासी साखा जाट को घिटोला के खेत में हल जोतते समय एक मूर्ति मिली। रात को स्वप्न में श्री हनुमान ने प्रकट होकर मूर्ति को सालासर पहुंचाने का आदेश दिया। उसी रात सालासर में भक्त मोहनदास जी को भी हनुमान जी ने दर्शन देकर कहा कि असोटा ठाकुर द्वारा भेजी गई काले पत्थर की मूर्ति को धोरे (टीले) पर ठाकुर सालमसिंह की उपस्थिति में स्थापित कर देना। धोरे पर जहां बैल चलते-चलते रुक जाएं, वहीं श्री बालाजी की प्रतिमा स्थापित करना।
वह बैलगाड़ी (रेड़ा) आज भी सालासर धाम में दक्षिण पोल पर दर्शनार्थ रखी हुई है। सालासर ग्राम भूतपूर्व बीकानेर राज्य के अधीनस्थ था। सालासर की देख-रेख ठाकुर धीरजसिंह जी के जिम्मे थी। उन्हीं दिनों एक प्रसिद्ध डाकू सहस्रों घोड़ों एवं साथियों को लिए, अत्याचार करता हुआ सालासर के निकट पहुंचा। संध्या हो जाने पर उसने वहीं पड़ाव डालने का विचार कर सहयोगी डाकुओं को गांव से रसद लाने को भेजा। रसद न देने पर लूट लेने की धमकी दी गई।
घबराए हुए ठाकुर सालमसिंह जी भक्तप्रवर के पास, जो टीले पर कुटिया में रहते थे, गए और कहा कि महाराज बड़ी विपत्ति में हूं, न रसद है और न सेना। तब भक्तप्रवर मोहनदास जी ने आश्वासन दिया और श्री बाला जी का नाम लेकर शत्रु की नीली झंडी को तीर से उड़ा देने का आदेश दिया। उन्होंने उसके प्रविष्ट होने से पूर्व ही ऐसा कर देने का आदेश दिया। लोगों ने ऐसा ही किया और गांव का संकट दूर हो गया। डाकू सरगना पैरों में आ गिरा और उसके सहयोगी डरके मारे भाग गए। श्री बाला जी के प्रति ठाकुर सालमसिंह की भक्ति बढ़ी और साथ ही बढ़ा भक्तप्रवर मोहनदास जी के प्रति विश्वास। इस प्रकार नीतिज्ञ एवं वचनसिद्ध महात्मा मोहनदास जी की कृपा से गांव की रक्षा एक नहीं अनेक बार हुई। महामारियों तथा अकाल की स्थितियों से समय-समय पर जनता को आश्चर्यजनक रूप से छुटकारा मिला। श्री बाला जी की मूर्ति की स्थापना सालासर में संवत् 1811 में श्रावण शुक्ला नवमी, शनिवार को हुई। उस समय जूलियासर के ठाकुर जोरावर सिंह ने मनौती पूरी होने पर बंगला (छोटा मंदिर) बनवाया। संवत् 1815 में फतेहपुर (शेखावटी) के मुसलमान कारीगर नूर मोहम्मद व दाऊ ने मंदिर का निर्माण किया। मंदिर का विस्तार संवत् 1860 में लक्ष्मण गढ़ के सेठ रामधन चैखानी ने करवाया। तब से आज तक भक्तों की मनोकामना सिद्ध होने पर सालासर में मंदिर, धर्मशालाओं आदि का निर्माण कार्य दिन-रात चल रहा है।
जालवृक्ष में श्रीफल बंधन जब सीकर नरेश, रावराजा देवी सिंह जी के पुत्र नहीं हुआ तब वे सालासर पधारे तब भक्तप्रवर मोहनदास जी ने मनोकामनापूर्ति के लिए श्रीबाला जी को एक श्रीफल (नारियल) चढ़ाकर उसे समीपस्थ जाल वृक्ष में बांध देने को कहा। भक्त की आज्ञा का भक्तिभाव से पालन करके राव राजा ने श्री मोहनदास जी से विदा ली। दस मास पश्चात कुमार का जन्म हुआ जिसका नाम लक्ष्मण सिंह रखा गया। उसके मुंडन संस्कार के लिए संवत् 1844 में राव राजा सपरिवार सालासर आए और मंदिर के समीप एक महल का निर्माण करवाया तथा भूमि भी प्रदान की। तभी से मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर में स्थित जाल वृक्ष में नारियल बांधने की परंपरा चली आ रही है। वर्तमान में वह जाल वृक्ष तो नहीं है पर नारियल अभी भी चढ़ाए जा रहे हैं जो भक्तों की आस्था के वास्तु की दृष्टि से सालासर श्रीबाला जी का मंदिर श्री सालासर बाला जी मंदिर पूर्व मुखी है जिसके आग्नेय क्षेत्र में धूनी है। इसके ईशान में कुआं है और खुला और बढ़ा हुआ आंगन है। र्नै त्य (दक्षिण-पश्चिम) क्षेत्र बंद है। सालासर का विस्तार भी पूर्व, ईशान में है। श्रीबाला जी के मंदिर की पूर्व दिशा में 2 किलोमीटर पर अंजना माता का मंदिर है। शुभ वास्तु लक्षणों से भरपूर यह मंदिर वैभवशाली एवं सुंदर है। सालासर धाम में असोज व चैत्र मास की पूर्णिमा को दो बड़े मेले लगते हैं जिनमें 15 लाख श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क भोजन की व्यवस्था अनेक संस्थाओं द्वारा की जाती है। श्री सालासर बालाजी स्वयं स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान हैं। यह विश्व में हनुमान भक्तों की असीम श्रद्धा का केंद्र है। हर रोज दूर-दूर से भक्त मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनोवांछित फल पाते हैं।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683










शुक्रवार, 29 मार्च 2013

वशीकरण, ग्रह दोष की शांति, लक्ष्मी की प्राप्ति, प्रमेह रोग से मुक्ति और मनोकामना की पूर्ति


सुयोग्य ब्राह्मणों द्वारा रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करवाएं और उसका श्रवण करें। रुद्री के एक पाठ से बाल ग्रहों की शांति होती है। तीन पाठ से उपद्रव की शांति होती है। पांच पाठ से ग्रहों की, सात से भय की, नौ से सभी प्रकार की शांति और वाजपेय यज्ञ फल की प्राप्ति और ग्यारह से राजा का वशीकरण होता है और विविध विभूतियों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार ग्यारह पाठ करने से एक रुद्र का पाठ होता है। तीन रुद्र पाठ से कामना की सिद्धि और शत्रुओं का नाश, पांच से शत्रु और स्त्री का वशीकरण, सात से सुख की प्राप्ति, नौ से पुत्र, पौत्र, धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार नौ रुद्रों से एक महारुद्र का फल प्राप्त होता है जिससे राजभय का नाश, शत्रु का उच्चाटन, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि, अकाल मृत्यु से रक्षा तथा आरोग्य, यश और श्री की प्राप्ति होती है। तीन महारुद्रों से असाध्य कार्य की सिद्धि, पांच महारुद्रों से राज्य कामना की सिद्धि, सात महारुद्रों से सप्तलोक की सिद्धि, नौ महारुद्रों के पाठ से पुनर्जन्म से निवृŸिा, ग्रह दोष की शांति, ज्वर, अतिसार तथा पिŸा, वात व कफ जन्य रोगों से रक्षा, सभी प्रकार की सिद्धि तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। भगवान शंकर का श्रेष्ठ द्रव्यों से अभिषेक करने का फल जल अर्पित करने से वर्षा की प्राप्ति, कुशा का जल अर्पित करने से शांति, दही से पशु प्राप्ति, ईख रस से लक्ष्मी की प्राप्ति, मधु और घी से धन की प्राप्ति, दुग्ध से पुत्र प्राप्ति, जल की धारा से शांति, एक हजार मंत्रों के सहित घी की धारा से वंश की वृद्धि और केवल दूध की धारा अर्पित करने से प्रमेह रोग से मुक्ति और मनोकामना की पूर्ति होती है, शक्कर मिले हुए दूध अर्पित करने से बुद्धि का निर्मल होता है, सरसों या तिल के तेल से शत्रु का नाश होता है और रोग से मुक्ति मिलती है। शहद अर्पित करने से यक्ष्मा रोग से रक्षा होती है तथा पाप का क्षय होता है। पुत्रार्थी को भगवान सदाशिव का अभिषेक शक्कर मिश्रित जल से करना चाहिए। उपर्युक्त द्रव्यों से अभिषेक करने से शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। रुद्राभिषेक के बाद ग्यारह वर्तिकाएं प्रज्वलित कर आरती करनी चाहिए। इसी प्रकार भगवान शिव का भिन्न-भिन्न फूलों से पूजन करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कमलपत्र, बेलपत्र, शतपत्र और शंखपुष्प द्वारा पूजन करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। आक के पुष्प चढ़ाने से मान-सम्मान की वृद्धि होती है। जवा पुष्प से पूजन करने से शत्रु का नाश होता है। कनेर के फूल से पूजा करने से रोग से मुक्ति मिलती है तथा वस्त्र एवं संपति की प्राप्ति होती है। हर सिंगार के फूलों से पूजा करने से धन सम्पति बढ़ती है तथा भांग और धतूरे से ज्वर तथा विषभय से मुक्ति मिलती है। चंपा और केतकी के फूलों को छोड़कर शेष सभी फूलों से भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। साबुत चावल चढ़ाने से धन बढ़ता है। गंगाजल अर्पित करने से मोक्ष प्राप्त होती है।

रविवार, 17 मार्च 2013

दुख, दरिद्रता आदि समाप्त करने के लिये, इसके लिए शुद्ध वास्तु यंत्र लेकर केसर से सभी सदस्यों का नाम लिख लें और नमो वैश्वानर वास्तु रुपाय, भूपति त्वं मे देहि दापय स्वाहा। दिए गए मंत्र का ग्यारह बार जप करें। यह उपाय होली से पहले पांच दिन तक करें। इसके पश्चात यंत्र को होली की अग्नि में डाल दें प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

कर्ज मुक्ति यदि आप लगातार कर्जों से परेशान हों

कर्ज मुक्ति यदि आप लगातार कर्जों से परेशान हों या व्यवसाय में बाधा आ रही हो, या किसी भी प्रकार आय में वृद्धि नहीं हो पा रही हो तो एक सियार सिंगी होली के दिन एक चांदी की डिब्बी में रख लें व प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में सिंदूर चढ़ाते रहें। ऐसा करने से आप की उपर्युक्त सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी व शीघ्र ही फल की प्राप्ति होगी 

जन्मपत्री कि विवेचना एक ऐसा विषय है जिसे लिख कर नही समझाया जा सकता टाईप करने मे परेशानिया होने के कारण यहां पर बात नही हो पा सकती अगर आप चाहे तो फोन न० 9359109683 पर बात कर सकते है

शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2012

शनि के अस्त होने से आपकी राशि पर कैसा असर रहेगा जानिए...

 8-10-2012 सोमवार शाम 5 बजकर 55 मिनट पर शनि अस्त होकर धरती से दूर चले गये है. इसके साथ ही शनि की सूर्य से नजदीकी बढ़ने लगेगी. अपने पिता के नजदीक जाकर शनि खुद तो जलेगा ही और धरती पर भी आग लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगे. अस्त शनि की ये चाल 8-10-2012 सोमवार से 34 दिनों तक नये नये रगं दिखा कर चौकायेगा  इसलिए इन 34 दिनों में बेहद संभलकर रहें. और अपने कार्यो को अंजाम दे।

न्यायप्रिय ग्रह शनि अपनी ही उच्च राशि में अस्त हो गए हैं। सूर्यदेव के प्रभाव में आकर शनि के अस्त होने से आपकी राशि पर कैसा असर रहेगा जानिए...शनिदेव अभी उच्च राशि तुला में परिभ्रमण कर रहे हैं, जो 8-10-2012 सोमवार शाम 5 बजकर 55 मिनट पर अस्त हुए हैं और 8 नवंबर को उदय होंगे। इस अवधि में शनि को खुश करने वालों पर उनकी कृपा बरसेगी। खासकर साढ़ेसाती, ढय्या वालों को शनि के कुप्रभाव से राहत मिल जाएगी। सौर मंडल में शनि को न्यायप्रिय ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इस समय नीतिगत कार्य करने वालों की उन्नति संभव होगी लेकिन जैसे ही शनि उदय होंगे, वे पुन: अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देंगे।  
मेष - इस राशि के लिए शनि का अस्त होना शुभ रहेगा। कार्यों में सफलता और उन्नति के योग बन रहे हैं।
वृषभ - वृष राशि वालों के लिए यह समय सफलता दिलाने वाला रहेगा। पुराने अटके हुए कार्यों से लाभ होगा।
मिथुन - बुध ग्रह की राशि के लोगों को शनि के अस्त होने से धन लाभ प्राप्त होगा और मान-सम्मान मिलेगा।  
कर्क - इस राशि पर शनि का ढय्या चल रहा है। अत: इन लोगों को कार्यों में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा।   
सिंह - कुछ ही दिनों पूर्व इस राशि से शनि की साढ़ेसाती समाप्त हुई है, अत: शनि के अस्त होने से इन्हें और अधिक लाभ प्राप्त होंगे। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।       
कन्या- कन्या राशि पर शनि की उतरती हुई साढ़ेसाती चल रही है और शनि अब अस्त हो गए हैं तो इन्हें कार्यों में रुकावटों का सामना करना पड़ेगा।   
तुला - तुला राशि में शनि उच्च के रहते हैं और इस समय इस राशि के लोगों को शनि की साढ़ेसाती का मध्य भाग चल रहा है। शनि अस्त होने के कारण इन लोगों कठिन श्रम करना होगा, तभी सफलता प्राप्त होगी।  
धनु - इन लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और मान-सम्मान मिलेगा।           
मकर - शनि के इस राशि का स्वामी है और शनि के अस्त होने पर इन लोगों को ऐश्वर्य और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होगा।
कुंभ - कुंभ राशि वालों के लिए भी शनि का अस्त होना शुभ समय लेकर आया है। इन लोगों को कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।                
मीन - इन लोगों के लिए अस्त शनि थोड़ी परेशानियों लेकर आया है। अत: सावधानी से कार्य करें, स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान एवं शिक्षा केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 16 मई 2012

सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है

 सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है। सूर्यग्रहण का यह दुर्लभ संयोग सौ साल बाद आ रहा है। जिसमें एक ही राशि में छह ग्रहों के साथ सूर्यग्रहण आएगा। इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे।

ये पहली बार नहीं है जब शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण का योग बन रहा है। पं. शर्मा के अनुसार इसके पहले 2011 में भी शनि जयंती व सूर्य ग्रहण का योग बना था।
पांचागों  के अनुसार इस साल का पहला कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण 20 मई 2012 रविवार (ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या) को होगा। इस दिन शनि जयंती का योग भी बन रहा है। सूर्यग्रहण का यह दुर्लभ संयोग सौ साल बाद आ रहा है। जिसमें एक ही राशि में छह ग्रहों के साथ सूर्यग्रहण आएगा। इस दिन वृषभ राशि में चंद्रमा, बुध, सूर्य, गुरू और केतु रहेंगे। ग्रहो का ये योग अद्वभुत योग है ज्योतिषियों के अनुसार यह ग्रहण कृत्तिका नक्षत्र, वृष राशि में होगा, जो भारत के केवल पूर्वी भाग में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष दूसरे दिन यानी 21 मई 2012 सोमवार को सुबह 4 बजकर 51 मिनिट पर होगा। वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे, विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। पड़ोसी देशों से संबंधों में भी कुछ मतभेद हो सकते हैं।
भारत में जिन भागों में यह ग्रहण दिखाई देगा, केवल उन्हीं भागों में इसके सूतक पर विचार किया जाएगा.ऐसा मेरे कुछ मित्रो का मानना है परन्तु मेरे विचारो मे भिन्नता है मेरा विचार है भारत वर्ष एक है सूतक का प्रभाव सारे भरतवर्ष पर पडेगा विचार किया जाना चाहिये इस दिन ग्रहण का सूतक स्थानीय सूर्योदय से 12 घण्टे पहले 20 मई से ही आरम्भ हो जाएगा. 20 मई को यह सूतक शाम 4 बजकर 30 मिनट से से आरम्भ हो जाएगा. यदि किसी को सूतक का समय जानना है तब उस स्थान के सूर्योदय से 12 घण्टे पहले का समय लेकर जान सकता है.
हिंदू धर्म के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शनि देव का विशेष पूजन किया जाता है। इस बार यह पर्व 20 मई 2012  रविवार को है। लेकिन शनि जयंती के दिन ही इस बार सूर्य ग्रहण का योग भी बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य व शनि पिता-पुत्र हैं इसलिए शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण होना ज्योतिषिय दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण घटना है।
ग्रहण के समय मौन रहोगे, जप करोगे, ध्यान करोगे...... तो १०,००० गुना फल प्राप्त होगा सूर्य ग्रहण के समय हज़ार काम छोड़ कर मौनधारण करे और अपने ईष्ट का जप करे। जिन्हें अपने ईष्टदेव का नहीं पता है वह अपने पारीवारिक रीति रिवाजों के अनुसार ईश्वर का ध्यान करना चाहिये. पूजन, जाप, हवन, तर्पण, पाठ, दान आदि कार्य ग्रहण समय तथा सूतक समय में किए जा सकते हैं.
शुक्र कि वस्तुओ पर प्रभाव दिखेगा — चांदी के जेवर या अन्य पदार्थ ,अगरबत्ती व धूप ,श्वेत पदार्थ , कला क्षेत्र ,अभिनय , टूरिज्म , वाहन ,दूध दही ,चावल ,शराब ,श्रृंगार के साधन ,गिफ्ट हॉउस ,चाय -कोफ़ी ,गारमेंट्स ,इत्र,,ड्रेस डिजायनिंग ,मनोरंजन के साधन ,फिल्म उद्योग ,वीडियो पार्लर ,मैरिज ब्यूरो ,इंटीरियर डेकोरेशन ,हीरे के आभूषण ,पालतू पशुओं का व्यापार या चिकित्सक , चित्रकला तथा स्त्रियों के काम में आने वाले पदार्थ , मैरिज पैलेस एवम विवाह में काम आने वाले सभी कार्य व पदार्थ इत्यादि |
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट के अनुसार के इस बार शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण होना शुभ है। शनि, सूर्य के पुत्र हैं तथा सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं किंतु सूर्य, शनि के साथ शत्रुता का भाव नही रखते। 20 मई 2012 रविवार को होने वाला सूर्य ग्रहण व शनि जयंती का संयोग अच्छी वर्षा तथा विदेशी व्यापार में सफलता की ओर संकेत करता है। सूर्य ग्रहण का प्रभाव जिन देशों में होगा उनके शत्रुओं का दमन होगा। भारत के लिए आने वाला सूर्यग्रहण लाभकारी होगा जो चीन तथा पाकिस्तान को सीमित रखने में सफल होगा।
कब-कब बना शनि जयंती के दिन सूर्य ग्रहण का योग

इसके पूर्व 10 जून 2002 एवं 31 मई 2003 में भी यह योग बना था। शनि जयंती के साथ सूर्य ग्रहण का योग पिछले वर्षों में कई बार बना है। 30 मई 1946, 20 मई 1947, 10 जून 1964, 30 मई 1965, 20 मई 1966, 8-9 मई 1967 में भी यह योग बना था। आगे 10 जून 2021 में भी सूर्य ग्रहण के साथ शनि जयंती का योग बनेगा। 
वृष राशि में ग्रहण होने से प्राकृतिक आपदा से जन-धन की हानि के योग बन रहे हैं। सरकार और नागरिकों के बीच तनाव और संघर्ष की स्थिति बन सकती है। राष्ट्र को बड़े राजनेताओं की हानि हो सकती है। आकस्मिक दुर्घटना जैसे रेल हादसे, विमान हादसे के कारण जान-माल का नुकसान भी संभावित है। पड़ोसी देशों से भी संबंध तनावपूर्ण रहेंगे।
  1. मेष राशि के जातकों को कष्ट हो सकता है. उन्हें हानि का सामना करना पड़ सकता है.
  2. वृष राशि के जातकों को शारीरिक कष्ट हो सकते हैं. इनके धन का क्षय भी हो सकता है. इन्हें सतर्क रहना चाहिए.
  3. मिथुन राशि के जातकों को इस ग्रहण का फल अच्छा मिलने में सन्देह है. इन्हें धन हानि हो सकती है.
  4. कर्क जातकों के लिए इस ग्रहण का फल शुभफलदायी होगा. इन्हें धन लाभ होने की संभावना बनती है.
  5. सिंह राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण सुखदायी तथा कल्याणकारी रहने की संभावना बनती है.
  6. कन्या राशि वाले लोगों को सवधान रहना चाहिए. फालतू की बातों में ना उलझे अन्यथा उन्हें अपमानित होना पड़ सकता है.
  7. तुला राशि को विशेषरुप से सतर्क रहना चाहिए. उन्हें अधिक कष्ट उठाने पड़ सकते हैं.
  8. वृश्चिक राशि के जातकों को अपने जीवनसाथी से कष्ट हो सकता है. आपसी अनबन अथवा जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट होने की संभावना बनती है.
  9. धनु राशि के व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण शुभ रहेगा. उन्हें सुख-साधनों की प्राप्ति के योग बनते हैं.
  10. मकर राशि के जातकों के लिए ग्रहण का फल चिन्ताजनक हो सकता है. आप किसी चिन्ता से घिरे रह सकते हैं.
  11. कुम्भ राशि के जातकों के लिए ग्रहण का प्रभाव कष्टकारी रह सकता है. आपको कुछ कष्टों का सामना करना पड़ सकता है.
  12. मीन राशि के व्यक्तियों के लिए ग्रहण का फल शुभफलदायी रहने की संभावना बनती है. आपको कहीं ना कहीं से धन लाभ हो सकता है.
  13. दूसरा ग्रहण 15दिन बाद  जून सोमवार को पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि पर पडेगा। अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण से मेष, वृष, मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर और कुंभ राशि प्रभावित होंगी। जबकि कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि वालों के लिए अच्छा साबित होगा।
  14. शनि ज्यन्ती पर शनि शमन के उपाय करे
  15. शनिदेव तो कर्मफलदाता है और किसी का पक्षपात नहीं करते हैं। शनि अनुकूलन के उपाय का तात्पर्य वैसे शास्त्रोंक्त अनुष्ठानों व शुभ कर्मों से है जिससे पूर्वकृत कर्मों का प्रायश्चित हो जाता है।
  16.     घर में नीले रंग के वस्त्र, नीले रंग के पर्दे, नीले रंग की चादरें व दीवारों पर भी नीला रंग का प्रयोग करें।
  17.     लगातार 27 शनिवारों को 7 बादाम और 7 उड़द के दाने किसी धर्म स्थान पर रख के आ जायें।
  18.     मांस-मदिरा से दूर रहें।
  19.     किसी भी शनिवार को शुरू करके 43 दिनों तक सूर्योदय के समय शनिदेव पर तेल चढ़ाएं।
  20.     पीपल के वृक्ष पर शनिवार को जल चढाये सूर्य उदय से पूर्व या सूर्य उदय के पश्चात। 
  21.     चांदी का चौकोर टुकड़ा सदा अपने पास रखें।
  22.     स्नान करते समय पानी में कच्चा दूध डाल कर लकड़ी के पट्टे पर बैठकर नहायें।
  23.     यदि चन्द्रमा ठीक न हो तो 500 ग्राम उड़द में सरसों का तेल लगाकर पानी में प्रवाहित करें।
  24.     चन्द्रमा प्रतिकूल हो तो 500 ग्राम दूध सोमवार के दिन बहते पानी में प्रवाहित करें और शनिवार के दिन उड़द प्रवाहित करें।
  25.     शनिवार का व्रत रखें और तेल से शनि का अभिषेक करें। नमक का प्रयोग न करे।
  26.     किसी गरीब लड़की के विवाह में जलावन के लिए कोयले या ईंधन खरीदकर दें।
  27.     झूठ न बोलें। शराब व मांसाहार से दूर रहें।
  28.     रोटी के टुकड़ों पर सरसों का तेल चुपड़कर कौओं या कुत्तो को खिलायें।
  29.     शनिवार के दिन पत्थर के कोयले लंगर पकाने के लिए किसी धार्मिक स्थान में दान दें।
  30.     गौ माता की सेवा करें।
  31.     केसर का तिलक नियमित रूप से माथे पर लगाया करें।
  32.     लोहे की वस्तुएं यानी तवा, चिमटा, अंगीठी आदि का दान किसी संत या सज्जन पुरुष को करें।
  33.     यदि कारोबार में घाटा हो रहा हो तो लगातार 43 दिनों तक कौओं या कुत्तों के लिए रोटी डालें।
  34.     लोहे की बासुरी में खांड भरकर किसी वीरान स्थान में दबा दें।
    प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683