रविवार, 29 जनवरी 2012

अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो


पति एवं पत्नी प्राप्ति हेतु टोटके
यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो
श्रेष्ठ वर की प्राप्ति हेतु उपाय : लड़की के माता-पिता आदि कन्या के विवाह के लिये सुयोग्य वर की प्राप्ति के निमित्त प्रयासरत रहते हैं और कभी-कभी अनेक प्रयास करने पर भी वर की तलाश नहीं कर पाते। यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक विलंब हो रहा हो, बाधायें आ रही हों तो कन्या को स्वयम् 21 दिनों तक निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना चाहिये और पाठ के उपरांत इसी मंत्र के अंत में ''स्वाहा'' शब्द लगाकर 11 आहुतियां (शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से) देना चाहिये। यह दशांश हवन कहलाता है। 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन देना है, इक्कीस दिनों तक। सिर्फ स्थान, समय और आसन निश्चित होना चाहिये। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई कन्या प्रथम दिन प्रातः काल 9.00 बजे पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही पाठ आरंभ करना चाहिये। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन वहीं बैठकर पाठ करना चाहिये। वैसे ही प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पाठ आरंभ किया गया हो, उसी आसन पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। सार यह है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटरे पर बैठकर पाठ करना है न ही पत्थर की शिला पर बैठकर।
विधि : अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्बीर रखें। कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें। यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से करें। 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलायें और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करना चाहिये।
मंत्र : कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः॥ पाठ समाप्त होने पर इसी मंत्र को पढ़ते हुये 
''नमः'' के स्थान पर 'नमस्वाहा' का उच्चारण करते हुये ग्यारह आहुतियां दें। 
पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस विधि का पालन करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुयोग्य वर प्रदान करती हैं। सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति हेतु उपाय उपाय क्रमांक 1 : ''मन अनुसार चले जो, मन को हरने वाली, ऐसी पत्नी करो प्रदानम्, लाग रहे चरणम्, जये दुर्गे नमनम्।'' यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल उपरोक्त पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।
उपाय क्रमांक 2 : दुर्गा सप्तशती की पुस्तक मे से नित्य ''अर्गला- स्तोत्र'' का एक पाठ (पूर्ण रूप में) करने से सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति संभव हो जाती है। उपाय क्रमांक 3 : यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण रूप में पाठ न कर सकें तो विवाहेच्छुक युवक को अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का मंत्र रूप में 108 बार पाठ या जप करने से पत्नी रूपी गृहलक्ष्मी की प्राप्ति संभव होती है। उपाय क्रमांक 1 से 3 तक का कोई भी प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से आरंभ कर विवाह संबंध सुनिश्चित हो जाने तक सतत करते रहना चाहिये। पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिये। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिये। प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिये। मंत्र उपाय क्रमांक 3 पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥ उपाय क्रमांक 4 : स देवि नित्यं परितप्यमानस्त्वामेव सीतेत्यभिभाषमाणः । धृतव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृतप्रयत्नः॥ यह श्री बाल्मीकी रामायण क े सदुं रकाठं के 36वें सर्ग का 46 वां श्लोक है। विवाह की कामना लेकर श्री हनुमान जी का ध्यान, पूजन, विनय आदि के साथ कोई अविवाहित युवक आदि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः 108 बार पाठ करें तो उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है। पाठ के समय हनुमान जी के चित्र के समक्ष या मूर्ति के समक्ष उत्तराभिमुख घृत-दीप जलते रहना चाहिए। श्री हनुमान जी को प्रतिदिन मधुर फलों का भोग लगाना चाहिए। मंगलवार को सिंदूर और चमेली का तेल चोले के रूप में मंदिर में भेंट करना चाहिए। बाल्मीकी रामायण, रामचरित मानस सुंदर कांड, मूलरामायण का सम्पुटित पाठ उपरोक्त श्लोक का सम्पुट लगाकर करने से भी उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है। उपाय क्रमांक 5 : यदि किसी अविवाहित युवक को विवाह होने में बारंबार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो ऐसे युवक को चाहिये कि वह नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजली जलं ''विश्वावसु'' गंधर्व को अर्पित करे और निम्न मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करे। इसे गुप्त रखें। अर्थात् किसी को इस बात का आभास न होने पाये कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाय। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुसम्पन्न कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है।
जपनीय मंत्र : ' ' ऊँ विश्वा वसुर्नामगं धर्वो कन्यानामधिपतिः। सुरूपां सालंकृतां कन्या देहि में नमस्तस्मै॥ विश्वावसवे स्वाहा॥''
इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र/विद्या का जप करने से एक माह के अंदर अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। कहा भी गया है।
सालंङ्कारा वरां पानीयस्याान्जलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां जपेत्। सालंकारां वरां कन्यां, लभते मास मात्रतः॥
यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।



शनिवार, 28 जनवरी 2012

शुभ हों दुल्हन के पैर


कैसे शुभ हों दुल्हन के पैर......?
आज कल विवाह के दौर चल रहे है इसका भी ध्यान रखे
जब किसी घर में शादी के बाद पहली बार दुल्हन आती है तब उसे लक्ष्मी स्वरुप माना जाता है। वास्तव में लक्ष्मी होती भी है। प्रायः सुनने में आता है कि बहू के पैर बहुत ही भाग्यषाली हैं, जब से पड़े है, घर में लक्ष्मी बरसने लगी है। इसके विपरीत ऐसे पैर भी सुनने को मिलते हैं जिनके घर में प्रवेष करते ही सुख-सम्पदा का पलायन प्रारम्भ हो जाता है। परन्तु मैं प्रत्येक स्त्री के पैर घर में शुभ मानता हूं। मेरी पूर्ण आस्था स्त्री का लक्ष्मी स्वरुप मानने में है। इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि जिस घर से स्त्री का मान-सम्मान उठा है, वहां सर्वनाष ही हुआ है। इस उपाय को उस घर में कदापि न किया जाए जहां स्त्रीयों के प्रति सोहार्दपूर्ण व्यवहार नहीं होता।
स्त्री को घर में प्रवेश करने के प्रथम दिन से ही आदर दें। विवाह के बाद उसके घर आने के समय अपनी-अपनी धर्म जाति के अनुसार जो भी पारम्परिक प्रथाएं हैं, पहले वह पूरी कर लें। उसके बाद दुल्हन से यह उपाय करवाएं। इससे प्रत्येक स्त्री के घर में आने वाले पैर शुभ सिद्ध होंगे।
घर के मुख्य द्वार में प्रवेष से पूर्व स्त्री से द्वार की चैखट पर दाएं अथवा बायीं ओर गंगा जल से थोड़ी सी जगह धुलवाएं उसके ऊपर दही तथा केसर मिश्रित घोल से (इसमें नागकेसर तथा लाल चंदन का चूर्ण भी डाल लें तो और भी शुभ है) स्वास्तिक का पवित्र चिन्ह दांए हाथ की अनामिका उंगली से बनवाएं। इसके ऊपर मध्य में थोड़ा सा गुड़ रखवा कर एक बूंद शहद टपकवा दें। स्वास्तिक की चार बत्ती वाले दिए, धूप-दीप, पुष्प आदि से यथाषक्ति पूजा करवाएं। घर की उपस्थित समस्त स्त्रियां कल्पना करें कि हमारे घर में लक्ष्मी जी के चरण पड़ रहे हैं। बहू को ससम्मान घर के अंदर ले आएं। घर में सर्वप्रथम उसे मीठी खीर, दही आदि जो कुछ भी उपलब्ध हो सप्रेम खिलाएं। स्वास्तिक बनें स्थान को भूल जाएं। उस पर किसी का पैर पड़े, कोई
उसे बिगाड़ दे, अब कोई शंका न करें। तदंतर में प्रत्येक गुरुवार को, गुरु की ही होरा में उक्त प्रकार से वह स्त्री स्वास्तिक बनाती रहे। पहले यह घर के बाहर से अंदर आने पर बनाया गया था। बाद में वह घर के अंदर से बनाया जाएगा। यदि किसी गुरुवार को वह स्त्री पवित्र नहीं है तो उसके स्थान पर घर की अन्य कोई नहाई-धोई स्वच्छ महिला यह उपाय दोहरा दे और अगले गुरुवार से वह स्त्री पुनः ये उपाय जारी रखे। किन्हीं अन्य कारणों से कोई गुरुवार ये उपाय होना छूट भी जाए तो अगले गुरुवार से ये पुनः प्रारम्भ कर दें। चार बत्ती वाला दिया एक बार ही घर में प्रवेष करते समय जलाना है। बाद में जलाना अथवा न जलाना उस स्त्री की सुविधा तथा इच्छा पर निर्भर है परन्तु गंगा जल से लीपने से लेकर शहद की बूंद टपकाने तक संपूर्ण प्रक्रिया आवष्यक रुप से करनी ही है।
इस सरल उपाय से उस नवविवाहिता स्त्री के पैर सर्वदा भाग्यशली बनें रहेंगे। घर में श्री का सदा वास होगा। ये एक ऐसा उपाय है जिसे प्रत्येक हिन्दू परिवार में मैं आवष्यक समझता हॅू। नवविवाहिता के विपरीत घर की किसी अन्य कुआरी अथवा विवाहित स्त्री द्वारा भी यह उपाय सर्वप्रथम प्रारंभ करवाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में उपाय प्रारम्भ करने वाली स्त्री नहा-धोकर घर के बाहर किसी मंदिर में जाए और घर लौटते समय उपरोक्त विधि से ही यह उपाय आरम्भ कर दंे।
 प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683 

शुक्रवार, 20 जनवरी 2012


ॐ हृं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं हृं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: 
मां लक्ष्मी की तस्वीर का पूजन कर, प्रतिदिन एक माला 108 बार 43 दिन तक महिलाये 16 दिन तक मंत्र का जप करे तो इस जाप से साधक को मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है।सर्व-कार्य-सिद्धि के लिये तंत्र मंत्र यंत्र से संबंधित आदि कार्यों के लिए संपर्क करें 
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

बुधवार, 11 जनवरी 2012

बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है।

बगला-मुखी साधन
शत्रुनाशिनी श्री बगलामुखी का परिचय व्यष्टिरूप में शत्रुओं का शमन करने की इच्छा रखने वाली तथा समष्टिरूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला है। पीतांबरा विद्या के नाम से विखयात बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। इनकी उपासना में हरिद्रा माला, पीत पुष्प एवं पीत वस्त्र का विधान है। महाविद्याओं में इनका स्थान आठवां है। ''काला तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी। भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या घूमावती तथा। बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका एता दश महाविद्याः सिद्धविद्याः प्रकीर्तिताः।'' इनके ध्यान में बताया गया है कि ये सुधा समुद्र के मध्य स्थित मणिमय मंडप में रत्नमय सिंहासन पर विराजमान हैं। ये पीत वर्ण के वस्त्र, पीत आभूषण तथा पीले पुष्पों की माला धारण करती हैं। इनके एक हाथ में शत्रु की जिह्ना और दूसरे हाथ में मुद्गर है। बगलामुखी की साधना में बगलामुखी यंत्र का विशेष महत्व है। इस यंत्र को सिद्ध कर घर या कार्यालय में रखने से शत्रुओं का प्रभाव क्षीण हो जाता है। स्वतंत्र तंत्र के अनुसार भगवती बगलामुखी के अवतरण की कथा इस प्रकार है। सत्य युग में संपूर्ण जगत् को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया। प्राणियों के जीवन पर आए संकट को देख कर भगवान महाविष्णु चिंतित हो गए। वह सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के समीप जा कर भगवती को प्रसन्न करने के लिए तप करने लगे। श्री विद्या ने उस सरोवर से बगलामुखी रूप में प्रकट हो कर उन्हें दर्शन दिया तथा विध्वंसकारी तूफान का तुरंत स्तंभन कर दिया। भगवान विष्णु के तेज से युक्त होने के कारण बगलामुखी महाविद्या वैष्णवी हैं। मंगलवारयुक्त चतुर्दशी की अर्ध रात्रि में इनका अवतरण हुआ था। इस विद्या का उपयोग दैवी प्रकोप की शांति और समृद्धि के लिए पौष्टिक कर्म के साथ-साथ आभिचारिक कर्म के लिए भी होता है। यह भेद केवल प्रधानता के अभिप्राय से है; अन्यथा इनकी उपासना भोग और मोक्ष दोनों की सिद्धि के लिए की जाती है। यजुर्वेद की काठक संहिता के अनुसार दसों दिशाओं को प्रकाशित करने वाली, सुंदर स्वरूपधारिणी विष्णु पत्नी त्रिलोक जगत् की ईश्वरी मानोता कही जाती है। स्तंभनकारिणी शक्ति व्यक्त और अव्यक्त सभी पदार्थों की स्थिति का आधार पृथ्वीरूपा शक्ति है। बगला उसी स्तंभनशक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं। शक्तिरूपा बगला की स्तंभन शक्ति से द्युलोक वृष्टि प्रदान करता है। इसी शक्ति से आदित्य मंडल ठहरा हुआ है और इसी से स्वर्ग लोक भी स्तंभित है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में 'विष्टभ्याहमिदं कृत्स्नमेकांशेन स्थितो जगत्' कह कर इसी शक्ति का समर्थन किया है। तंत्र में वही स्तंभन शक्ति बगलामुखी के नाम से जानी जाती है। श्री बगलामुखी को 'ब्रह्मास्त्र' के नाम से भी जाना जाता है। ऐहिक या पारलौकिक देश अथवा समाज में अरिष्टों के दमन और शत्रुओं के शमन में बगलामुखी के मंत्र के समान कोई मंत्र फलदायी नहीं है। चिरकाल से साधक इन्हीं महादेवी का आश्रय लेते आ रहे हैं। इनके बड़वामुखी, जातवेदमुखी, उल्कामुखी, ज्वालामुखी तथा बृहद्भानुमुखी पांच मंत्र भेद हैं। कुंडिका तंत्र में बगलामुखी के जप के विधान पर विशेष प्रकाश डाला गया है। मुंडमाला तंत्र में तो यहां तक कहा गया है कि इनकी सिद्धि के लिए नक्षत्रादि विचार और कालशोधन की भी आवश्यकता नहीं है। बगला महाविद्या ऊर्ध्वाम्नाय के अनुसार ही उपास्य हैं। इस आम्नाय में शक्ति केवल पूज्या मानी जाती है, भोग्या नहीं। श्रीकुल की सभी महाविद्याओं की उपासना, गुरु के सान्निध्य में रह कर सतर्कतापूर्वक, सफलता की प्राप्ति होने तक, करते रहना चाहिए। इसमें ब्रह्मचर्य का पालन और बाहर-भीतर की पवित्रता अनिवार्य है। सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने बगला महाविद्या की उपासना की थी। ब्रह्मा जी ने इस विद्या का उपदेश सनकादिक मुनियों को दिया। सनत्कुमार ने देवर्षि नारद को और नारद ने सांखयायन नामक परमहंस को इसका उपदेश दिया। सांखयायन ने 36 पटलों में उपनिबद्ध बगला तंत्र की रचना की। बगलामुखी के दूसरे उपासक भगवान विष्णु और तीसरे उपासक परशुराम हुए तथा परशुराम ने यह विद्या आचार्य द्रोण को दी। मां बगलामुखी का मुखय पीठ दतिया में ग्वालियर व झांसी के मध्य है। यह पीतांबरा शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश में वनखंडी, गंगरेट और कोटला में, मध्य प्रदेश में नलखेड़ा में, छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव में, उत्तर प्रदेश में वाराणसी में और महाराष्ट्र में मुंबई में मुम्बादेवी नाम से इनके मुखय शक्तिपीठ हैं। 
अब बगला-साधन के मन्त्र, ध्यान, यंत्र, जप-होम स्तव एवं कवच!
बगला-मुखी-ध्यान----
मध्येसुधाब्धिमणिमण्डरत्नवेदी
सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम!
पीताम्बराभरणमाल्यभूषितांगीं
देवीं स्मरामि धृतमुद्गरवैरिजिह्वाम!!
जिह्वाग्रमादाय करेण देवीं
वामें शत्रून परिपीडयन्तीम!
गदाभिवातेन च दक्षिणेन
पीताम्बराढ यां द्विभुजा नमामि !!
सुधा-सागर के मणिमय मण्डल में रत्ननिर्मित वेदी के ऊपर जो सिंहासन है , बगला मुखी देवी उस पर विराजमान हैं! वे पीतावर्णा हैं तथा पीतवस्त्र, पीतवर्ण के आभूषण तथा पीतवर्ण की ही माला को धारण किये हुए हैं! उनके एक हाथ में मुंगर तथा दूसरे हाथ में शत्रु की जिह्वा है! वे अपने बायें हाथ में शत्रु की हिह्वा के अग्रभाग को धारण करके दायें हाथ के गदाघात से शत्रु को पीड़ित कर रही हैं! वे बगलामुखी देवी पीत वस्त्रों से विभूषित तथा दो भुजा वाली है!
बगलामुखी-स्तव--------
बगला सिद्धविद्या च दुष्टनिग्रहकारिणी!
स्तम्भिन्याकर्षिणी चैव तथोच्चाटनकारिणी !!
भैरवी भीमनयनान महेशगृहिणी शुभा!
दशनामात्मकं स्तोत्रं पठेद्वा पाठ्येद्यदि !
स भवेत् मन्त्र सिद्धश्च देवी पुत्र इव क्षितौ !
१ बगला, २ सिद्ध विद्या, ३ दुष्ट निग्रह कारिणी, ४ स्तंभिनी, ५-आकर्षिणी, ६--उच्चाटन, ७--भैरवी, ८-भीमनयना, ९ महेश गृहिणी तथा १० -=शुभादशनामात्मक देवी-स्तोत्र का जो मनुष्य पाठ करता है अथवा दूसरे से पाठ करवाता है, वह मन्त्र सिद्ध होकर देवी-पुत्र की भाँती पृथ्वी पर विचारण करता है!
बगलामुखी कवच-----
ॐ ह्रीं मे हृदयं पादौ श्री बगलामुखी!
ललाटे सततं पातु दुष्टग्रहनिवारिणी!!
"ॐ ह्रीं " यह बीज मेरे हृदय की रक्षा करो, बगलामुखी दोनों पावों की रखा करेन तथा दुष्ट ग्रह निवारिणी मेरे लातात की सदैव रखा करें!
रसानां पातु कौमारी भैरवी चक्षुधोर्म्मम !
कटौ पृष्ठे महेशानी कर्णों शंकरभामिनी!!
कौमारी, मेरी जीभ की, भैरवी नेत्रों की, महेशानी कमर तथा पीठ की एवं शंका-भामिनी मेरे कानों की रक्षा करें!
वर्ज्जतानि तु स्थानानि यानि च कवचेन हि!
तानि सर्व्वाणि मे देवी सततं पातु स्तम्भिनी!!
जिन स्थानों का कवच में वर्णन नहीं किया गया है, स्तम्भिनी देवी उन सब स्थानों की रक्षा करें!
अज्ञातं कवचं देवी यो भजेदबगलामुखीम!
शास्त्राघातमवाप्नोति सत्यं सत्यं ण संशय!!
इस कवच को जाने बिना जो मनुष्य बगलामुखी की उपासना करता है, उसकी शस्त्राघात से मृतु हो जाती है, इसमें संदेह नहीं है! यह सत्य है, सत्य है!
मन्त्र----
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्व्वदुष्टानां वाचं मुखं स्तम्भय जिह्वां कीले कीले बुद्धि नाशय ह्लीं स्वाहा!
इस मन्त्र के द्वारा "बगालामुखि" की पूजा तथा जप आदि करना चाहिये! बगला मुखी माता को "कमला" भी कहते हैं!
बगालामुखि --पूजन का यंत्र---------
पहले त्रिकोण बनाकर, उसके बाहर षटकोण अंकित करके वृत्त तथा अष्टदल पद्म को अंकित करे! उसके बहिर्भाग में भूपुर अंकित करके यंत्र को प्रस्तुत करना चाहिए! यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र के ऊपर लिखना चाहिए!
बजलामुखी के निर्मित्त जप-होम---------------
पीत वस्त्र धारण कर. हल्दी की गाँठ से निर्मित अर्थात जिसमें हल्दी की गाँठ लगी हुई हों, ऐसे माला से प्रतिदिन एक लाख की संख्या में मन्त्र का जप करें तथा पीत वर्ण के पुष्पों से उसका दशांश होम करना चाहिए!
 प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

मंत्र जप


महामृत्युंजय मंत्र---ॐ ह्रौं जूं सः ॐ भूः भुवः स्वः। त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्‌। उर्व्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्‌। स्वः भुवः भू ॐ। सः जूं ह्रौं ॐ ॥
महामृत्युंजय मंत्र जप कराने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है यदि कोई संकट आ जाये तो लाभ मिलता है महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से बहुत सी बाधाएँ दूर होती हैं, अतः इस मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। निम्नलिखित स्थितियों में इस मंत्र का जाप कराये जाते है- सत्ता प्राप्ति के लिये, दुश्मन संहार के लिये, धन कि प्रप्ति के लिये, विवाह मे बाधा हो तब,राजनेता इस मंत्र का अत्यधिक जाप कराते है
सर्व-कार्य-सिद्धि के लिये तंत्र मंत्र यंत्र से संबंधित आदि कार्यों के लिए संपर्क करें
 प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 7 जनवरी 2012

कुम्भ 2012 राशिफल बड़ा दुःखद दाम्पत्य जीवन होता है।

अशुभ तिथियों सहित कुम्भ 2012 राशिफल
कुम्भ: (गू, गे, गो, सा , सि, सु, से, सो , द)
इनका प्रेम धुमकेतु के समान पल में तोला, पल में माशा होता है। बड़ा दुःखद दाम्पत्य जीवन होता है। इनका स्वभाव रसिक होता है। समाज में इसके बावजूद इनकी कुशाग्र बुद्धि और बड़बोलेपन के कारण सम्मान बना रहता है।
कुम्भ जनवरी राशिफल- साल की शुरुआत आपके लिए थोड़ी निराशाजनक रहने वाली है. शत्रु पक्ष की ओर से आपके खिलाफ षड़यंत्र किया जा रहा है, सावधानी की दरकार है. बॉस से मतभेद हो सकता है. संतान की ओर से भी कष् मिलने के योग हैं. माता-पिता के स्वास्थ् को लेकर भी चिंताएं बनी रहेंगी.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,7,14,15,23,24, जनवरी 2012
कुम्भ फरवरी राशिफल- आय में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. किसी का अडि़यल रवैया आपको खिन् कर सकता है. अपना कीमती सामान संभाल कर रखें, उसके खोने या चोरी होने के संकेत हैं. भाग् आपके साथ नहीं है, इसलिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
2,3,11,12,19,20,29, फरवरी 2012
कुम्भ मार्च राशिफल- 15 तारीख से पहले कोई नया काम शुरू करें. महीने के दूसरे पखवाड़े में आपके लिए हालात बदलने वाले हैं. कहीं दूर से मिला कोई शुभ समाचार मिल सकता है. रुका हुआ धन आएगा. कानूनी पेंच आपको थोड़ा परेशान कर सकते हैं. नकारात्मक लोगों से दूर रहें. विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता मिलेगी.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,9,10,17,18,19,27,28,29, मार्च 2012
कुम्भ अप्रैल राशिफल- कोई आपका अपना बन आपको धोखा देने का विचार बना रहा है. इस महीने आपके लिए आय के नए स्रोत खुलेंगे. नौकरी में प्रगति के योग हैं. हालांकि कुछ लोगों के लिए यह इच्छानुसार नहीं होंगे. जीवनसाथी एक मजबूत स्तंभ की तरह आपके साथ रहेगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,14,15,23,24,25, अप्रैल 2012
कुम्भ मई राशिफल- समय अनुकूल है, इसका लाभ उठाइए. कामयाबी के लिए नयी सोच की दरकार है. संतान की ओर से कष् हो सकता है. जीवनसाथी से आपसी विवाद के चलते परेशानी रहेगी. अधिकारियों से संबंधों का फायदा होगा. नौकरीपेशा लोगों के लिए समय सामान् है. स्वास्थ् का घ्यान रखें.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
3,4,11,12,21,22,30,31 मई 2012
कुम्भ जून राशिफल- देवयोग से बनते काम बिगड़ेंगे. साहित्यिक क्षेत्र के लोगों के लिए समय बहुत अच्छा है. आपको मेहनत का फल मिलेगा. नयी नौकरी के अवसर हैं. शिक्षा के लिए विदेश से बाहर जाने का योग है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
7,8,9,17,18,26,27,28, जून 2012
कुम्भ जुलाई राशिफल- सामान् महीना है. किसी भी कागज पर दस्तखत करने से पहले उसकी अच्छी तरह पड़ताल कर लें. आलस् से दूर रहें. माता-पिता का आशीर्वाद प्राप् करें. मित्रों की सहायता से कई काम बनेंगे.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,14,15,16,24,25, जुलाई 2012
कुम्भ अगस्त राशिफल- उधार दें और लें. आप मानसिक रूप से बहुत सुद्ढ़ महसूस करेंगे. धन आने के नए रास्ते खुलेंगे. सेहत की बेहतरी के लिए बाहर खाने से बचें. सूर्योपासना के लाभ होगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,2,11,12,20,21,28,29,30, अगस्त 2012
कुम्भ सितम्बर राशिफल- यह महीना आपके आने वाले जीवन की दिशा निर्धारित करने वाला है. सोच-समझकर फैसला लेना ही बेहतर रहेगा. नया व्यवसाय शुरू करने में मित्रों की सहायता लेने से फायदा होगा. स्त्रियों के समय बहुत अच्छा है. संतान सुख प्राप्ति के योग हैं.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
7,8,16,17,25,26, सितम्बर 2012
कुम्भ अक्टूबर राशिफल- भौतिक सुखों में वृद्धि होगी. आय के नए स्रोत खुलेंगे. नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में शहर से बाहर जाने के योग हैं. पुरानी परेशानियां अब अलविदा कहने को हैं. नए संपर्कों से लाभ होगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
4,5,6,14,15,22,23,31, अक्टूबर 2012
कुम्भ नवम्वर राशिफल- यातायात नियमों का पालन करें. तेज वाहन चलाना बहादुरी का काम नहीं है इस बात का ध्यान रखें. निवेश के लिए उत्तम समय है. सोने की खरीददारी से भविष् में लाभ होगा. अपनी योजनाओं को अमली जामा पहनाने का माकूल समय है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,2,10,11,18,19,28,29,नवम्वर 2012
कुम्भ दिसम्बर राशिफल- छोटी-मोटी समस्याओं को हटा दें तो समय आपके साथ है. सार्वजनिक मोर्चों पर आपकी प्रतिष्ठा में इजाफा होगा. 15 तारीख के बाद परिवारजनों से विवाद हो सकता है. दूसरे के पक्ष को अच्छी तरह सुनकर ही कोई फैसला लें.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
8,9,16,17,25,26,27, दिसम्बर 2012
इन राशि वालो की आर्थिक स्थिति सामान्यता अच्छी रहती है. आवश्यक मात्रा में धन एवं लाभ अर्जित करने में समर्थ रहते है. खर्चा भी इनके हाथ से अधिक होने लगता है. इनका वैवाहिक जीवन तभी सुखद होता है जब इनका साथी इन्ही के समान कुशाग्रबुद्धि वाला होता है. प्रेम में स्थिरता व गंभीरता हो. प्रेम में दृढ़ रहते है. प्रेम में दिखावा इन्हें पसंद नहीं होता है. मानसिक प्रेम को ज्यादा अहमियत देते है,कुम्भ राशि के व्यक्ति कुशाग्रबुद्धि, समझदार, व आत्मविश्वासी होते है. यह स्वार्थी नहीं होते है. जिसके संपर्क में आते है, उसके प्रति सहानुभूति का व्यवहार रखते है.इनकी वाणी घट के समान गहरी व गंभीर होती है.ये भीतर से खोखले, बाहरी दिखावे में सुन्दर दिखलाई पड़ते है.यह लोग भीतर ही भीतर कष्ट सहते है, यह साल आपके लिये उत्तम रहेगा ,भाग्य का विकास होगा ,कानूनी विवाद सुलझेगा, देश विदेश से सुखद समाचार मिलेगा ,घर गृहस्थी का विचार पूरा होगा ,काम बनेंगें,शत्रुता न करें ,संतान सुख मिलेगा ,उन्नति होगी ,नये कार्ज़ की शुरुआत होगी तथा लाभ भी होगा
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

15 जनवरी 2012 की सुबह 7:14 बजे सूर्योदय से स्नान-दान के लिए पुण्यकाल शुरू होगा

2012 का पहला दुर्लभ महासंयोग, 28 साल बाद तीन शुभ योग एक साथ
2012 में नए साल का पहला दुर्लभ योग बन रहा है। मकर संक्रांति पर्व पर 20 घंटे के लिए महासंयोग बनेगा। सालों बाद संक्रांति पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि एवं रवि योग का महासंयोग बनेगा।  ये तीनों योग सूर्योदय से रात 12.35 बजे तक करीब 20 घंटे रहेंगे। एक साथ ये तीनों शुभ योग होने से श्रद्धालुओं को लाभ मिलेगा। इस शुभ पर्व पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा जो कि सूर्य का ही नक्षत्र है। इस मकर संक्रांति पर सूर्य अपने नक्षत्र में रहकर ही राशि बदलेगा और मकर राशि में आ जाएगा। इस पर्व पर तीन शुभ योग और सूर्य के अपने ही नक्षत्र में होने के साथ ही रविवार भी रहेगा जो कि सूर्य देव का ही दिन रहेगा।
कब और कितनी बजे बदलेगा सूर्य-
14 जनवरी 2012 की रात को सूर्य 12:58 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा और 15 जनवरी 2012 की सुबह 7:14 बजे सूर्योदय से स्नान-दान के लिए पुण्यकाल शुरू होगा, जो शाम 4:58 बजे तक रहेगा।
क्या फल देते हैं ये तीन शुभ योग
अमृत सिद्धि योग: इस शुभ योग मेंं किए गए किसी भी काम काम का पूरा फल मिलता है। इस शुभ योग मेंंंंंं शुरू किए गए काम का फल लंबे समय तक बना रहता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग: ज्योतिष के अनुसार इस योग में कोई भी काम करने से हर काम पूरा होता है। समस्त कार्य सिद्धि के लिए और शुभ फल प्राप्त करने के लिए यह योग
शुभ माना जाता है। इस योग में खरीददारी करने का भी विधान है। ऐसा माना जाता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में खरीददारी करने से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
रवि योग: यह योग हर काम का पूरा फल देने वाला है। इस योग को अशुभ फल नष्ट कर के शुभ फल देेने वाला माना जाता है। इस योग मेें दान कर्म करना उचित माना जाता है। ये योग शासकीय और राजकीय कार्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
एक साथ ये तीनों शुभ योग होने से श्रद्धालुओं को लाभ मिलेगा। इस शुभ पर्व पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा जो कि सूर्य का ही नक्षत्र है। इस मकर संक्रांति पर सूर्य अपने नक्षत्र में रहकर ही राशि बदलेगा और मकर राशि में आ जाएगा। इस पर्व पर तीन शुभ योग और सूर्य के अपने ही नक्षत्र में होने के साथ ही रविवार भी रहेगा जो कि सूर्य देव का ही दिन रहेगा। यह संयोग अद्वितीय माना जा रहा है।
धर्मग्रंथों में मकर संक्रांति की क्या है मान्यता..?
यह विश्वास किया जाता है कि इस अवधि में देहत्याग करने वाले व्यक्ति जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। महाभारत महाकाव्य में वयोवृद्ध योद्धा पितामह भीष्म पांडवों और कौरवों के बीच हुए कुरुक्षेत्र युद्ध में सांघातिक रूप से घायल हो गये थे। उन्हें इच्छा-मृत्यु का वरदान प्राप्त था। पांडव वीर अर्जुन द्वारा रचित बाणशैया पर पड़े वे उत्तरायण अवधि की प्रतीक्षा करते रहे। उन्होंने सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर ही अंतिम सांस ली जिससे उनका पुनर्जन्म न हो।
सूर्य के उत्तरायण होने का महापर्व
माघ मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा को 'मकर संक्रान्तिÓ पर्व मनाया जाता है। जितने समय में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाती है, उस अवधि को "सौर वर्ष" कहते हैं। पृथ्वी का गोलाई में सूर्य के चारों ओर घूमना "क्रान्तिचक्र" कहलाता है। इस "परिधि चक्र" को बाँटकर बारह राशियाँ बनी हैं। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना "संक्रान्ति" कहलाता है। इसी प्रकार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को "मकरसंक्रान्ति" कहते हैं।
सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाना दक्षिणायन है। उत्तरायण में दिन बड़े हो जाते हैं तथा रातें छोटी होने लगती हैं। दक्षिणायन में ठीक इसके विपरीत होता है। शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन देवताओं की रात होती है। वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता था। मकर–संक्रान्ति के दिन यज्ञ में दिये हव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं। इसी मार्ग से पुण्यात्माएँ शरीर छोड़कर स्वर्ग आदि लोकों में प्रवेश करती हैं। इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है। इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अनन्य महत्त्व है और सौ गुणा फलदायी होकर प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति प्रत्येक वर्ष प्राय: 14 जनवरी को पड़ती है।
चावल व मूंग की दाल को पकाकर खिचड़ी बनाई जाती है। इस दिन खिचड़ी खाने का प्रचलन व विधान है। घी व मसालों में पकी खिचड़ी स्वादिष्ट, पाचक व ऊर्जा से भरपूर होती है। इस दिन से शरद ऋतु क्षीण होनी प्रारम्भ हो जाती है। बसन्त के आगमन से स्वास्थ्य का विकास होना प्रारम्भ होता है।
तिल संक्रान्ति में तिल का महत्त्व:
मकर संक्रान्ति के दिन, खिचड़ी के साथ–साथ तिल का प्रयोग भी अति महत्त्वपूर्ण है। तिल के गोल–गोल लड्डू इस दिन बनाए जाते हैं। मालिश के लिए भी तिल के तेल का प्रयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है तथा उपरोक्त उत्पादों का प्रयोग हमें सभी प्रकार के पापों से मुक्त करता है; गर्मी देता है और निरोग रखता है।
इस दिन गंगा स्नान व सूर्योपासना के बाद ब्राह्मणों को गुड़, चावल और तिल का दान भी अति श्रेष्ठ माना गया है। महाराष्ट्र में ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रान्ति से सूर्य की गति तिल–तिल बढ़ती है, इसीलिए इस दिन तिल के विभिन्न मिष्ठान बनाकर एक–दूसरे का वितरित करते हुए शुभ कामनाएँ देकर यह त्योहार मनाया जाता है।
संक्रान्ति जन्य पुण्यकाल में दान और पुण्य का महत्त्व:
संक्रान्ति काल अति पुण्य माना गया है। इस दिन गंगा तट पर स्नान व दान का विशेष महत्त्व है। इस दिन किए गए अच्छे कर्मों का फल अति शुभ होता है। वस्त्रों व कम्बल का दान, इस जन्म में नहीं; अपितु जन्म–जन्मांतर में भी पुण्यफलदायी माना जाता है। इस दिन घृत, तिल व चावल के दान का विशेष महत्त्व है। इसका दान करने वाला सम्पूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त करता है - ऐसा शास्त्रों में कहा गया है।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

सोमवार, 2 जनवरी 2012

तुला 2012 राशिफल अशुभ तिथियों सहित


तुला 2012 राशिफल अशुभ तिथियों सहित
तुला: (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
इस राशि का स्वामी शुक्र है, जो काम शाक्ति को बढाने वाला ग्रह कहलाता है। इस राशि के लडको का स्वभाव बडा ही रोमांटिक होता है। इस राशि के लडके किसी सरप्राइज रोमांटिक जगह पर जाना पसंद करते हैं।
तुला जनवरी राशिफल- जीवन में आगे बढ़ने के लिए आपको सहयोग की दरकार है. उच्‍च पद पर आसीन किसी व्‍यक्ति से आपके निजी संबंधों का लाभ होगा. कारोबार में नए दरवाज़े तो खुलेंगे, लेकिन इस अवसरों के लिए आपको सजग होना पड़ेगा. वाहनादि चलाते समय जरा सावधानी बरतें.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,7,14,15,23,24, जनवरी 2012
तुला फरवरी राशिफल- नया घर खरीद सकते हैं. मानसिक चिंता का निवारण होगा. आर्थिक रूप से स्थिति में लाभ होगा. दुश्‍मनों को नजरअंदाज न करें. मातृ पक्ष की ओर से कोई दुखद समाचार मिल सकता है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
2,3,11,12,19,20,29,फरवरी 2012
तुला मार्च राशिफल- कारोबार की दृष्टि से समय अनुकूल है. नए सौदे लाभकारी होंगे. ट्रांसपोर्ट से जुड़े व्‍यवसायियों के लिए विशेष तौर पर समय अच्‍छा है. धन आपके पास आएगा, लेकिन रुकेगा नहीं. किसी भी तरह के विवाद से दूर रहें.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,9,10,17,18,19,27,28,29, मार्च 2012
तुला अप्रैल राशिफल- कुछ लोग आपकी छवि खराब कर सकते हैं. पड़ोसी आपका सहयोग करेंगे. धन के योग सामान्‍य हैं. धार्मिक कृत्‍यों में समय देने से लाभ होगा. अविवाहितों के जीवन में प्रेम की बहार आ सकती है. दान से लाभ होगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,14,15,23,24,25, अप्रैल 2012
तुला मई राशिफल- मिल और फैक्‍ट्री मालिकों को हड़ताल या अन्‍य किसी वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. नौकरीपेशा लोगों के लिए हालांकि महीना सामान्‍य है. वेतन और खर्चों के बीच सामंजस्‍य बिठा पाना मुश्किल होगा. जीवन में नया करने के लिए प्रेरणा मिलेगी.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
3,4,11,12,21,22,30,31, मई 2012
तुला जून राशिफल- जरा सोच विचार कर ही किसी काम में हाथ डालें. नए काम करने से पहले हर पहलु की जांच करनी जरूरी है. मुकदमेबाजी से दूर रहना हितकर रहेगा. किसी को उधार देने से बचें, क्‍योंकि इसमें पैसा डूब भी सकता है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
7,8,9,17,18,26,27,28, जून 2012
तुला जुलाई राशिफल- मौसम आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए ठीक नहीं है. उदर संबंधी समस्‍याओं से बचने के लिए बाहर खाने से बचें. पड़ोसी से झगड़ा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. कोई आप पर नजर रख रहा है, इसलिए अपने काम को पूरी ईमानदारी के साथ करें. मेहनत का परिणाम आपको जरूर मिलेगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,14,15,16,24,25, जुलाई 2012
तुला अगस्त राशिफल- याद रखिए क्रोध आपका ही नुकसान करता है. आपकी वाणी को नियंत्रण की जरूरत है. आपकी किसी बात से आपका जीवनसाथी आपसे नाराज हो सकता है. किसी दुर्घटना की संभावना बन रही है, इसलिए अतिरिक्‍त सावधानी बरतें.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,2,11,12,20,21,28,29,30, अगस्त 2012
तुला सितम्बर राशिफल- किसी पारिवारिक आयोजन में जाना पड़ सकता है. कोई आपसे बड़ी उम्‍मीद पाले हुए है, कृप्‍या उसे निराश न करें. संतान का व्‍यवहार आपको प्रसन्‍न करेगा. जीवन में उमंग और उत्‍साह बना रहेगा. 20 तारीख के बाद कुछ आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं. शत्रु आपका अहित करने की चेष्‍टा करेंगे.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
7,8,16,17,25,26, सितम्बर 2012
तुला अक्टूबर राशिफल- पुराने रुके हुए काम आगे बढ़ेंगे. किसी को झूठा वादा न करें. आपको इच्‍छा अनुसार फल मिलेगा. वर्षा अच्‍छी होने से किसानों को भी लाभ होगा. विरोधी शांत रहेंगे. जीवनसाथी प्रसन्‍न और संतान संतुष्‍ट रहेगी. कुल मिलाकर आपके लिए अच्‍दा महीना है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
4,5,6,14,15,22,23,31, अक्टूबर 2012
तुला नवम्बर राशिफल- व्‍यापारी वर्ग के लिए महीना बेहद लाभकारी है. सौभाग्‍य आपके साथ है, लेकिन साथ ही लापरवाही आपको काफी भारी नुकसान में भी डाल सकती है. निजी संबंधों की सहायता से आय के नए स्रोत खुलेंगे. महिलाओं एवं बुजुर्गों को जोड़ों में दर्द का सामना करना पड़ सकता है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,2,10,11,18,19,28,29, नवम्बर 2012
तुला दिसम्बर राशिफल- संघर्ष से ही कामयाबी मिलेगी. यकायक किसी भी निर्णय पर न पहुंचे. आपकी इस जल्‍दबाजी का लाभ विरोधी उठा सकते हैं. शांत रहकर अच्‍छे कर्म करते रहें. मासांहार और मदिरापान से परहेज बेहतर रहेगा. महीने के आखिरी सप्‍ताह में हालात बदलने शुरू होंगे. साल का अंत सकारात्‍मकता के साथ होगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
8,9,16,17,25,26,27, दिसम्बर 2012
तुला राशि का जातक अपने रिश्तों, कारोबार और अपने संबंधों में सामंजस्य स्थापित किये रहता है। उसे किसी व्यक्ति से कोई शिकायत नहीं होती साहित्य में रूचि होने के कारण इनकी लेखन क्षमता भी अच्छी होती है और कभी-कभी लेखन से संबंधित कार्य भी करते हैं। अपने परिवार की जरूरतें पूरी करना और उनके साथ बिताने का मौका ये लोग कभी नहीं छो़डते। अपनी उम्र से छोटे दिखाई देते हैं और जहां भी जाते हैं वहाँ का माहौल रंगीन करना इनकी आदत होती हैं। इन्हें अधिक तला-भुना और मसालेदार खाने से बचना चाहिए अन्यथा नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है। निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

रविवार, 1 जनवरी 2012

कन्या 2012 राशिफल अशुभ तिथियों सहित

कन्या 2012 राशिफल अशुभ तिथियों सहित
कन्या: (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)
राशि के स्वामी बुध होने से आप अत्यंत बुद्धिमान एवं कोमल स्वभाव के होते हैं। आपका मस्तिष्क चंचल होता है इसलिये अपने आसपास के वातावरण को खुशनुमा बनाये रखने में आपका पूरा-पूरा सहयोग रहता है।
कन्या जनवरी राशिफल- आपके जीवन में काफी उथल-पुथल रहने वाली है. किस्‍मत की गाड़ी रुक-रुककर आगे बढ़ेगी. कहीं कुछ अटका हुआ है जो आपको आगे बढ़ने वाला है. दोस्‍तों आपकी सहायता के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे. जीवनसाथी का अडि़यल रुख मानसिक तनाव बढ़ाएगा. नौकरीपेशा लोगों की बॉस से अनबन हो सकती है. सेहत भी साथ नहीं देगी. कुल मिलाकर यह महीना आपके लिए शुभ फल देने वाला नहीं है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
3,4,12,13,21,22,30,31 जनवरी 2012
कन्या फरवरी राशिफल- महीने की शुरुआत अच्‍छी नहीं रहेगी. संतान पक्ष की ओर से भी प‍रे‍शानियां हो सकती है. आर्थिक पक्ष पर भी मुश्किलों का सामना कर पड़ सकता है. हां, माह अंत में हालात में सुधार आएगा. दूर से आया कोई शुभ समाचार जीवन में उत्‍साह लाएगा. विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में लगेगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,9,10,17,18,26,27,28, फरवरी 2012
कन्या मार्च राशिफल- किस्‍मत का सितारा बदल रहा है, लेकिन मजबूत इच्‍छाशक्ति के बिना आप कामयाबी नहीं पा सकेंगे. आपकी मेहनत की सराहना तो होगी, लेकिन साथ ही शत्रुओं का आपके प्रति वैमनस्‍य भी बढ़ेगा. समय प्रबंधन से आप कई रुके हुए काम कर सकते हैं, इस पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
7,8,15,16,25,26, मार्च 2012
कन्या अप्रैल राशिफल- विदेश यात्रा का योग है. आय के नए स्रोत खुलेंगे. आपका शांत चित्त आपको कई परेशानियों से बचाएगा. जीवनसाथी का सहयोग प्राप्‍त होगा. संतान की ओर से भी शुभ समाचार मिल सकता है. विद्यार्थियों के लिए समय उत्तम है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
3,4,11,12,13,21,22, अप्रैल 2012
कन्या मई राशिफल- प्रॉपर्टी में निवेश का यह सही समय है. कामयाबी का रास्‍ता खुल रहा है. नए संबंधों से फायदा होगा. ऑफिस में सहकर्मियों का रवैया भी सहयोगात्‍मक रहेगा. कहीं बाहर जाने का कार्यक्रम बन सकता है. जीवनसाथी के साथ निजी पल बिताएंगे.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
1,2,9,10,18,19,20,28,29, मई 2012
कन्या जून राशिफल- धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी. किसी धार्मिक स्‍थल की यात्रा हो सकती है. कोई नया सौदा करते समय कागज़ात की अच्‍छी तरह से जांच-पड़ताल कर लें. नई जिम्‍मेदारियां आप पर मानसिक दबाव डाल सकती है. महीने के आखिरी में घर में कुछ मेहमान घर आ सकते हैं.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,14,15,16,24,25,26, जून 2012
कन्या जुलाई राशिफल- विद्यार्थियों को अच्‍छी खबर सुनने को मिल सकती है. लोहे के व्‍यवसायियों को अतिरिक्‍त लाभ हो सकता है. नौकरीपेशा लोगों के वेतन में इजाफा तो होगा, लेकिन बढ़ती महंगाई से हिसाब बराबर हो जाएगा. संतान पक्ष के साथ कुछ निजी वक्‍त बिताने का मौका मिलेगा. भाई या बहन की ओर से कोई शुभ समाचार आपका इंतजार कर रहा है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
3,4,12,13,21,22,23,30,31, जुलाई 2012
कन्या अगस्त राशिफल- रुका हुआ धन वापस आएगा. कानूनी मामलों का निपटान होगा. खुशियों में इजाफा होगा. हालांकि संतान पक्ष की ओर से कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. जीवन साथी का स्‍वास्‍थ्‍य भी चिंताजनक रहेगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
8,9,10,18,19,26,27,28, अगस्त 2012
कन्या सितम्बर राशिफल- राजनीतिक संबंधों का लाभ होगा. व्‍यापार की नयी योजनाएं आपको लाभ पहुंचाएंगी. शत्रु आपको परेशान करने की फिराक में है, बचकर रहें. माता-पिता की ओर से सहयोग प्राप्‍त होगा. संतान का स्‍वास्‍थ्‍य चिंता का सबब बनेगा. विद्यार्थियों का मन पढ़ाई में नहीं लगेगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
4,5,6,14,15,23,24 सितम्बर 2012
कन्या अक्टूबर राशिफल- आपके जीवन में कुछ नया होने होता है. आपके रास्‍ते में कुछ व्‍यवधान आएंगे, लेकिन आप उनसे पार पा लेंगे. परिवार में माहौल ठीकठाक रहेगा. यात्रा का लाभ होगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
2,3,12,13,20,21,29,30,31, अक्टूबर 2012
कन्या नवम्वर राशिफल- कोई करीबी आपके साथ विश्वासघात कर सकता है. नौकरी में तबादले का योग है. वैवाहिक संबंधों में कटुता आ सकती है. जीवनसाथी के प्रति उदार रवैया अपनाने की जरूरत है. आपका क्रोध बनी बनाई बात को बिगाड़ सकता है. मदिरापान से दूर रहना आपके लिए हितकर रहेगा.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
8,9,16,17,25,26,27, नवम्वर 2012
कन्या दिसम्बर राशिफल- दाम्‍पत्‍य जीवन आपका सहयोग और समय मांग रहा है. मित्र के साथ नया कारोबार शुरू करने से कालांतर में लाभ होगा. समय की कीमत पहचानें. आपको जरा व्‍यवहारिक होने की जरूरत है, अति भावुकता आपको नुकसान पहुंचा सकती है. पिता का स्‍वास्‍थ्‍य आपको परेशान कर सकता है.
आपके लिये ये तिथियां ठीक नही है सावधानी कि आवश्यकता है
5,6,7,14,15,22,23,24 दिसम्बर 2012
कन्या राशि के व्यक्ति सभी को साथ लेकर चलते हैं। सभी को खुश रखने का प्रयास करते हैं, जिसमें कई लोग इनसे नाराज हो जाते हैं। ये सबकी बातें सुनते हैं और सहन करते हैं, जब तक सहा जाये, सहते हैं, लेकिन अति होने पर जब क्रोधित होते हैं और बोलते हैं, तो इन्हें रोक पाना मुश्किल होता है। हर बात को गुप्त रखने की आपकी आदत होती है। इस राशि के लोगों को पावर बढाने के लिए गोद,बादाम व छुहारे का सेवन अपने भोजन में करना चाहिए। अपनी वाणी के कौशल से आप मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसानी से बना लेते हैं, बोझिल वातावरण को भी हल्का-फुल्का बना देते हैं। बुध का प्रभाव होने से आप कई बार घर एवं परिवार के बीच बच्चों जैसी हरकते करते हैं
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683