मंगलवार, 19 जुलाई 2011

श्रद्धालु 29 जुलाई को शिवालयों पर जल चढ़ाएंगे। 29 जुलाई को दोपहर 2:42 तक अद्रा रहेगा

भगवान शिव कल्याण के देव हैं और कल्याण की संस्कृति ही वास्तव में शिव की संस्कृति है। सावन का महीना, पार्वती जी का भी महीना है। शिव परमपिता परमेश्वर हैं तो मां पार्वती जगदंबा और शक्ति। सदाशिव और मां पार्वती प्रकृति के आधार हैं। चतुर्मास में जब भगवान विष्णु शयन के लिए चले जाते हैं, तब शिव रुद नहीं, वरन भोले बाबा बनकर आते हैं।
महाशिवरात्रि का मुहूर्त कांवड़ और गंगाजल लेकर जाने वाले श्रद्धालु 29 जुलाई को शिवालयों पर जल चढ़ाएंगे। 29 जुलाई को दोपहर 2:42 तक अद्रा रहेगा, इस कारण इस समय के उपरांत ही शिवालयों पर जल चढ़ाना शुभ फलदाई है।
ब्रह्ममुरारिसुरार्चित लिगं निर्मलभाषितशोभित लिंग |
जन्मजदुःखविनाशक लिंग तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥
मैं उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करता हूँ जिनकी ब्रह्मा, विष्णु एवं देवताओं द्वारा अर्चना की जाति है, जो सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं तथा जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (मोक्ष प्रदान करता है)
देवमुनिप्रवरार्चित लिंगं, कामदहं करुणाकर लिंगं|
रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव लिंगं॥
देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग, जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं शिव का स्वरूप है, जिसने रावण के अभिमान का भी नाश किया, उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ।

शनिवार, 16 जुलाई 2011

शिवजी का पूजन कर निर्माल्य का तिलक लगाए तो भी जल्दी विवाह के योग बनते हैं।16-7-2011 से श्रावण मास प्रारम्भ है

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया।
सावन के महीने में भगवान शंकर की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, गन्ना रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, ऑक मदार, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में धतूरा, भाँग और श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है। एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।
भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।
विष की उग्रता को कम करने के लिए अत्यंत ठंडी तासीर वाले हिमांशु अर्थात चन्द्रमा को धारण कर रखा है। और श्रावण मास आते-आते प्रचण्ड रश्मि-पुंज युक्त सूर्य ( वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ में किरणें उग्र आतपयुक्त होती हैं।) को भी अपने आगोश में शीतलता प्रदान करने लगते हैं।
भगवान सूर्य और शिव की एकात्मकता का बहुत ही अच्छा निरूपण शिव पुराण की वायवीय संहिता में किया गया है। यथा-
'दिवाकरो महेशस्यमूर्तिर्दीप्त सुमण्डलः।
निर्गुणो गुणसंकीर्णस्तथैव गुणकेवलः।
अविकारात्मकष्चाद्य एकः सामान्यविक्रियः।
असाधारणकर्मा च सृष्टिस्थितिलयक्रमात्‌। एवं त्रिधा चतुर्द्धा च विभक्तः पंचधा पुनः।
चतुर्थावरणे षम्भोः पूजिताष्चनुगैः सह। शिवप्रियः शिवासक्तः शिवपादार्चने रतः।
सत्कृत्य शिवयोराज्ञां स मे दिषतु मंगलम्‌।'
अर्थात् भगवान सूर्य महेश्वर की मूर्ति हैं, उनका सुन्दर मण्डल दीप्तिमान है, वे निर्गुण होते हुए भी कल्याण मय गुणों से युक्त हैं, केवल सुणरूप हैं, निर्विकार, सबके आदि कारण और एकमात्र (अद्वितीय) हैं।
सावन के प्रधान देवता शिव हैं । उन्हें सर्वाधिक प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय गंगाजल से जलाभिषेक है । सावन के सोमवार को शिव अर्चना का विशेष महत्व होता है । सावन में किस प्रकार शिव की आराधना विशेष फलादयी हो जाती है, सावन शिव को अत्यंत प्रिय क्यों है, धर्मग्रंथों में इसकी प्रसंगवश व्याख्या की गई है
सावन के महीने में शिवजी को रोजाना बिल्व पत्र चढ़ाए। बिल्व पत्र की संख्या 108 हो तो सबसे अच्छा परिणाम मिलता है।
शिवजी का पूजन कर निर्माल्य का तिलक लगाए तो भी जल्दी विवाह के योग बनते हैं।
हर सोमवार खासतौर पर सावन माह के सोमवार को शिवलिंग का जल या पंचामृत से अभिषेक करें।
कालसर्प दोष के निवारण के लिये नाग पंचमी के दिन शिव की पूजा कर चांदी के नाग का जोड़ा चढ़ाएं और एक जोड़ा चांदी का सर्प बहते जल में बहाएं।
कालसर्प योग हो और जीवन में लगातार गंभीर बाधा आ रही हो तब किसी विद्वान ब्राह्मण से राहु और केतु के मंत्रों का जप कराया जाना चाहिए और उनकी सलाह से राहु और केतु की वस्तुओं का दान या तुलादान करना चाहिए।
सावन में हर राशि का व्यक्ति शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ावें। इसके अलावा जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को किस पूजा सामग्री से शिव पूजा अधिक शुभ फल देती है।
मेष – इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। शक्कर या गुड़ की मीठी रोटी बनाकर शिव को भोग लगाएं। लाल चंदन व कनेर के फूल चढ़ावें।
वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है। इसके अलावा चावल, सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत यानि चावल चढ़ावें।
मिथुन – इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करे। अन्य पूजा सामग्री में मूंग, दूर्वा और कुशा भी अर्पित करें।
कर्क – इस राशि के शिवभक्त घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही कच्चा दूध, सफेद आंकड़े का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ावें।
सिंह – सिंह राशि के व्यक्ति गुड़ के जल से शिव अभिषेक करें। वह गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग शिव को लगाएं। गेहूं और मंदार के फूल भी चढ़ाएं।
कन्या – इस राशि के व्यक्ति गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। शिव को भांग, दुर्वा व पान चढ़ाएं।
तुला – इस राशि के जातक इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें और दही, शहद और श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें।
वृश्चिक – पंचामृत से शिव का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। साथ ही लाल फूल भी शिव को जरुर चढ़ाएं।
धनु – इस राशि के जातक दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करे। भगवान को चने के आटे और मिश्री से मिठाई तैयार कर भोग लगाएं। पीले या गेंदे के फूल पूजा में अर्पित करें।
मकर – नारियल के पानी से शिव का अभिषेक मकर राशि के जातकों को विशेष फल देता है। साथ ही उड़द की दाल से तैयार मिष्ठान्न का भगवान को भोग लगाएं। नीले कमल का फूल भी भगवान का चढ़ाएं।
कुंभ – इस राशि के व्यक्ति को तिल के तेल से अभिषेक करना चाहिए। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं और शमी के फूल से पूजा में अर्पित करें। यह शनि पीड़ा को भी कम करता है।
मीन – इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव पर चढ़ाएं। भात और दही मिलाकर भोग लगाएं। पीली सरसों और नागकेसर से शिव का चढ़ाएं।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

विवाह कब होगा

मित्रो मेरे पास प्रति दिन कोई न कोई फोन करके यह जानना चाहता है कि मेरा विवाह कब होगा इस प्रश्न का उत्तर देते देते मै थक गया आज आपको यह उपाय बता रहा हू आप नोट करे और अपने आप प्रयोग करे और मित्रो को लाभ पहुचाये।
शीघ्र विवाह के लिए मंत्र
सुनि सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तिहारी ॥
राम सीता की फोटो सामने रखें। तुलसी की माला से रामचरित मानस की निम्न चौपाई का १०८ बार नित्य पाठ करना शीघ्र विवाह के लिए दिव्य प्रयोग है।
प० राजेश कुमार शर्मा भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र सदर गजं बाजार मेरठ कैन्ट 09359109683

शनिवार, 2 जुलाई 2011

3 जुलाई 2011 का दिन सबके लिए रहेगा अतिशुभ है

13 साल बाद तीन महायोग का अदभुत संगम
3 जुलाई 2011 का दिन सबके लिए रहेगा अतिशुभ है
3 जुलाई 2011 को यानि रविवार को पुष्य नक्षत्र होने से रवि पुष्य नाम का अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण योग बन रहा है, रविवार का दिन और पुष्य नक्षत्र एक अदभुत संजोग बन रहा है 3 जुलाई को दोपहर 12 बजे से लेकर रात्री 9.30 बजे तक। जिसमें सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। यह योग वार और नक्षत्रों के विशेष संयोग से मिलकर बनता है। रविवार को अगर अश्विनी, पुष्य, हस्त, उत्तराफाल्गुनी, मूल, उत्तराषाढ़ और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र हो तो सर्वाथसिद्धि योग बनता है।(हस्त नक्षत्र के साथ पंचमी तिथि नही होना चाहिए।) पुष्य नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना गया है। देवताओं के गुरु बृहस्पति इस नक्षत्र के स्वामी है। रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग रवि पुष्य नाम का अत्यंत शुभ योग बनाता है। रवि पुष्य योग में खरीददारी, बैंक से संबंधित कार्य, नया व्यापार-ऑफिस शुरू करना, पूजा-पाठ, विवाह संबंधित शुभ कार्य करने से उन कार्यों के पूरे परिणाम प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार तंत्र मंत्र, सिद्धि या प्रयोग के लिए भी रवि पुष्य योग को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
ज्योतिष गणनाओ के अनुसार इस समय सूर्य और शुक्र मिथुन राशि में, मंगल और केतु वृषभ राशि में, बुध कर्क राशि में, बृहस्पति मेष राशि में और राहु वृश्चिक राशि में है।
मंगल, केतु और राहु का समसप्तक योग, शुक्र सूर्य और बृहस्पति का त्रिएकादश योग, शनि और बृहस्पति का षडाष्टक योग, सूर्य, शुक्र और राहु का षडाष्टक योग, मंगल, शनि और केतु का नवम-पंचम योग ये सभी योग पूजा-पाठ, मंत्र जाप और दान के दृष्टिकोण से बहुत अनुकूल है।
यह योग विभिन्न राशियो के लिये लाभ और हानि के योगो का निर्माण कर रहा है यह दिन खरीददारी के लिये उत्तम है आप अपनी राशि के समय अनुसार खरीददारी करे
मेष राशि :- अकस्मात धन प्राप्ति का योग आपके लिये सोना और बिजली का सामान खरीदना लाभ दायक रहेगा।
वृषभ राशि :- समस्याओ का निवारण होगा रुका हुआ धन मिलेगा आपके लिये कंप्यूटर, चांदी और लकडी क़ा सामान खरीदना लाभ दायक रहेगा।
मिथुन राशि :-कठिन परिश्रम करना पडेगा हानि होने की सम्भावना आपके लिये घर के बर्तन, हरे रंग के वस्त्र खरीदना लाभ दायक रहेगा।
कर्क राशि :- धन प्राप्ति के लिए किये गए प्रयास सफल होगें मांगलिक व शुभ कार्यो पर खर्च बढेग़ा आपके लिये वस्त्र, तांबे व चांदी के बर्तन खरीदना लाभ दायक रहेगा।
सिंह राशि :- परिश्रम के अनुकूल सफलता मिलेगी रुका हुआ धन प्राप्त होगा कुछ हानि का योग भी बन रहे है आपके लिये इलेक्ट्रिक वस्तु खरीदना लाभ दायक रहेगा।
कन्या राशि :- परिस्थितियाँ अनुकूल रहेगी उन्नति के अवसर दाम्पत्य जीवन में कुछ नुकसानदायक हो सकते है आपके लिये चांदी के बर्तन,लकड़ी का फर्नीचर खरीदना लाभ दायक रहेगा।
तुला राशि :- आय के साधन बनेगे विद्यार्थियों को शिक्षा के क्षेत्र में कठिन परिश्रम आपके लिये लोहे की वस्तु, टी.वी.खरीदना लाभ दायक रहेगा।
वृश्चिक राशि :- प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पडेगा धन हानि का कारण आपके लिये सोना और बिजली का सामान खरीदना लाभ दायक रहेगा।
धनु राशि :- व्यवसायिक क्षेत्र में संघर्ष का सामना नवीन कार्यो के लिये समय अनुकूल नहीं आपके लिये आपके लिये धार्मिक वस्तुएं, पीले वस्त्र खरीदना लाभ दायक रहेगा।
मकर राशि :- पारिवारिक,कारोबारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का समाधान रोजगार में सुधार, नौकरी में पदोन्न्ति के अवसर आपके लिये मोबाइल, डी.वी.डी., सुगंधित तेल खरीदना लाभ दायक रहेगा।
कुम्भ राशि :- धन की प्राप्ति के अवसर जल्दबाजी से बचे आपके लिये जमीन, चांदी की वस्तुएं, नये कपड़े खरीदना लाभ दायक रहेगा।
मीन राशि :- बिगडे हुए कार्य बनेगें सन्तान संबंधी शुभ सामाचार प्राप्त होगें आपके लिये चांदी की पाजेब, सोने की चेन व पीले वस्त्र खरीदना लाभ दायक रहेगा।