बुधवार, 15 सितंबर 2010

चहल-पहल या गतिविधि ईशान में होनी चाहिए

वास्तु नियमों के अनुसार नैर्ऋत्य अन्य सभी कोणों से भारी और बंद होना चाहिए। चहल-पहल या गतिविधि ईशान में होनी चाहिए और नैर्ऋत्य स्थिर या रुका होना चाहिए। इसीलिए नैर्ऋत्य में भंडार गृह को सबसे अधिक मान्यता दी गई है। यदि नैर्ऋत्य में सीढ़ियां बना दी जाती हैं, तो यह कोण भारी और ऊंचा हो जाता है। लेकिन गतिविधि एवं किसी भी तल पर प्रवेश स्थान नैर्ऋत्य कोण हो जाता है। इसीलिए सीढ़ियां नैर्ऋत्य में शुभ नहीं होतीं, अपितु ईशान में सभी तलों पर सुप्रवेश प्रदान करती हैं।

बुधवार, 8 सितंबर 2010

किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो

किसी अगर किसी स्त्री जातिका का किसी कारणवश विवाह में विलम्ब हो रहा हो, तो नवरात्री में गौरी-पूजन करके निम्न मन्त्र का २१००० जप करना चाहिए-
“हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।”